Sunday, September 8, 2024
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हिमाचल में पहली बार टूरिज्म एक्टीविटी पर बैन

शिमला  । हिमाचल के ट्राइबल एरिया में आने वाले लाहौल-स्पीति जिले की सिस्सू और कोकसर पंचायत में टूरिज्म से जुड़ी सभी एक्टिविटी पर बैन लगा दिया गया है। स्थानीय लोगों के आराध्य ‘राजा घेपन के आदेश पर दोनों पंचायतों ने अगले एक महीने के लिए यह बैन लगाया है। देवता के आदेश के साथ ही यहां स्थानीय लोगों ने अपने होटल, ढाबे, होम-स्टे और रेस्टोरेंट बंद कर दिए।
इस इलाके में टूरिज्म एक्टिविटी पर यह बैन पहली बार लगाया गया है। अटल टनल बनने के बाद बहुत अधिक सैलानियों के इस एरिया में पहुंचने के कारण यह फैसला लिया गया है। सिस्सू पंचायत के प्रधान राजीव ने बताया कि 28 फरवरी तक इस पूरे एरिया में टूरिज्म से जुड़ी कोई एक्टिविटी नहीं होगी। होटल-ढाबे और होम-स्टे बंद हो जाने के कारण अब यहां टूरिस्ट आए भी तो उन्हें खाने-पीने और ठहरने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
हिमाचल में सिर्फ सिस्सू-कोकसर में ही बर्फ
हिमाचल में कुल्लू-मनाली, शिमला, कुफरी और डल्हौजी समेत किसी बड़े हिल स्टेशन पर इस बार अभी तक बर्फ नहीं गिरी। वहीं अटल टनल के दूसरी तरफ पड़ते लाहौल-स्पीति के ट्राइबल एरिया में दिसंबर में ही स्नोफॉल हो गया था। हिमाचल में इस समय रोहतांग, सिस्सू और कोकसर के अलावा कहीं बर्फ नहीं है। अटल टनल से पहले लाहौल-स्पीति तक पहुंचने वाली इकलौती सडक़ रोहतांग दर्रा से होकर गुजरती थी जो नवंबर अंत तक वहां भारी बर्फबारी के चलते बंद हो जाती थी इसलिए टूरिस्ट यहां पहुंचते ही नहीं थे।
इस बार रिकॉर्ड टूरिस्ट पहुंचे सिस्सू-कोकसर
मनाली से ऊपर रोहतांग दर्रा की तरफ रोजाना सिर्फ तय संख्या में ही गाडिय़ां भेजी जा सकती है और वहां पहुंचने का रास्ता काफी मुश्किल है। वहीं अटल टनल से होते हुए सडक़ के रास्ते किसी भी समय लाहौल पहुंचा जा सकता है इसलिए सारे टूरिस्ट सिस्सू और कोकसर पहुंच रहे हैं। अटल टनल पार करने के बाद प्रमुख टूरिस्ट स्पॉट सिस्सू व कोकसर ही पड़ते हैं इसलिए इस बार क्रिसमस, न्यू ईयर और उसके बाद बर्फ देखने की चाह में रिकॉर्ड टूरिस्ट यहां पहुंचे। ऐसे में सैलानियों की भीड़ से इलाके के इको सिस्टम को बचाने के लिए यहां के राजा घेपन ने अब एक महीने के लिए यहां टूरिज्म एक्टिविटी पर रोक लगाई है।
देवी भोटी की पूजा के साथ ही सारे मंदिरों के कपाट बंद
सिस्सू के रोपसंग गांव में शुक्रवार को देवी भोटी की पूजा-अर्चना की गई। स्थानीय भाषा में इसे घूमती कहते हैं। इस पूजा के बाद लाहौल घाटी के सभी मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए। यह कपाट लगभग एक महीने बंद रहेंगे। अब देवी भोटी के कपाट 21 फरवरी और राजा घेपन के मंदिर के कपाट 24 फरवरी को खुलेंगे।
कल से हालडा उत्सव, शोर-शराबे की मनाही
लाहौल घाटी में कल यानी 21 जनवरी से हालडा उत्सव शुरू हो रहा है। उसके बाद पूणा त्योहार बनाया जाएगा। इस एरिया में यह दोनों लोकल फेस्टिवल ठीक उसी तरह मनाए जाते हैं जैसे मैदानी इलाकों में शिवरात्रि महोत्सव मनाया जाता है। यह दोनों उत्सव चार हफ्ते चलते हैं। हालांकि इस दौरान शोर-शराबा करने, तेज आवाज में म्यूजिक बजाने और ऊंची आवाज में टीवी-रेडियो सुनने पर पाबंदी रहेगी। लगभग एक महीने तक इस पूरे एरिया में लोग एक-दूसरे के साथ बहुत ऊंची आवाज में बात भी नहीं कर सकते। हालडा उत्सव और पूणा त्योहार समाप्त होने के बाद यहां पर्यटन से जुड़ी गतिविधियां दोबारा शुरू हो जाएंगी।
स्वर्ग लोक की यात्रा पर निकले स्थानीय देवता
मान्यता है कि सर्दियों में बर्फबारी के बाद इस इलाके के आराध्य राजा घेपन के साथ-साथ क्षेत्र के दूसरे सभी देवी-देवता स्वर्ग प्रवास पर चले जाते हैं। उनके स्वर्ग प्रवास से लौटने तक गांवों में शोर-शराबा नहीं किया जाता। गांवों में पूरी तरह शांति रहती है।
 

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