वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2023 को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट पेश करेंगी। साल 2024 में आम चुनाव होंगे इस लिए उससे पहले आने वाला यह बजट कई मायनों में अहम है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के तहत हर वित्तीय वर्ष की शुरुआत से पहले सरकार को संसद में केंद्रीय बजट या बजट पेश करना जरूरी होता है।
केंद्रीय बजट किसी वित्तीय वर्ष में होने वाली आमदनी और खर्चों से जुड़ा दस्तावेज है। यह वित्तीय वर्ष हर साल 1 अप्रैल से शुरू होकर अगले साल 31 मार्च को समाप्त होता है। देश में सरकार की ओर से बजट पेश करने की शुरुआत 19वीं सदी में ही हो गई थी।देश का पहला बजट 163 साल पहले अंग्रेजी शासन के दौरान पेश किया गया था। इसे स्कॉटिश अर्थशास्त्री और राजनीतिज्ञ जेम्स विल्सन ने ईस्ट इंडिया कंपनी की ओर से ब्रिटिश क्राउन के समक्ष पेश किया गया था।
इस बजट को 7 अप्रैल 1860 को पेश किया गया था। केंद्रीय बजट के शुरुआती 30 वर्षों में इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर नाम के शब्द की कोई चर्चा नहीं थी। बजट में यह शब्द पहली बार 20 शताब्दी की शुरुआत में शामिल किया गया।आजाद भारत का पहला बजट 16 नवंबर 1947 को पेश किया गया था। इसे देश के पहले वित्त मंत्री आरके शनुखम चेट्टी ने पेश किया था।
हालांकि यह एक तरह से भारतीय अर्थव्यवस्था की समीक्षा रिपोर्ट थी। इस बजट में किसी नए टैक्स की घोषणा नहीं की गई थी। इस बजट की कुल राशि का लगभग 46% लगभग 92.74 करोड़ रुपये रक्षा सेवाओं के लिए अलॉट किया गया था।माना जाता है कि आजाद भारत के बजट की परिकल्पना प्रो. प्रशांत चंद्र महालनोबिस ने की थी। स्वतंत्र भारत के बजट की अवधारणा उन्होंने ही तैयार की थी। वे एक भारतीय वैज्ञानिक और सांख्यविद् थे। वे भारत के योजना आयोग के सदस्य भी थी।