Sunday, October 13, 2024
Homeधर्मपितरों का आशीर्वाद हासिल करने करते हैं श्राद्ध

पितरों का आशीर्वाद हासिल करने करते हैं श्राद्ध

भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन श्राद्ध पक्ष शुरू हो जाते हैं। पितरों का आशीर्वाद हम पर बना रहे इसलिए उनकी आत्मा की शांति के लिए हर साल श्राद्ध करते हैं। उनके आशीर्वाद से घर में सुख-शांति बनी रहती है। 
इतने होते हैं श्राद्ध
निर्णय सिंधु और भविष्य में पुराण में श्राद्ध के 12 प्रकारों का वर्णन मिलता है। ये हैं नित्य, नैमित्तिक, काम्य, वृद्धि, सपिंडन, पार्वण, गोष्ठी, शुद्धयर्थ, कर्मांग, तीर्थ, यात्रार्थ, पुष्ट्यर्थ।
पितरों के प्रसन्न करने के लिए करें यह श्राद्ध
नित्य श्राद्ध: कोई भी व्यक्ति अन्न, जल, दूध, कुश, फूल व फल से हर रोज श्राद्ध करके हर रोज पितरों को प्रसन्न कर सकता है।
नैमित्तिक श्राद्ध: यह श्राद्ध विशेष अवसर पर किया जाता है। जैसे- पिता आदि की मृत्यु तिथि के दिन इसे एकोदिष्ट कहा जाता है।
काम्य श्राद्ध: इस श्राद्ध को किसी कामना विशेष, सिद्धि की प्राप्ति के लिए किया जाता है।
वृद्धि श्राद्ध: इस श्राद्ध को सौभाग्य प्राप्ति के लिए किया जाता है। इसमें वृद्धि की कामना के लिए किया जाता है।
सपिंडन श्राद्ध: इस श्राद्ध को मृत व्यक्ति के 12वें दिन पितरों से मिलने के लिए किया जाता है। इसे स्त्रियां भी कर सकती हैं।
पार्वण श्राद्ध: पिता, दादा, परदादा और दादी, परदादी के निमित्त किया जाता है। इसे पर्व की तिथि पर ही किया जाता है।
समूह में किया जाता है यह श्राद्ध
गोष्ठी श्राद्ध: इस श्राद्ध को परिवार के सभी लोग मिलकर करते हैं। यह श्राद्ध हमेशा समूह में किया जाता है।
शुद्धयर्थ श्राद्ध: परिवार की शुद्धता के लिए शुद्धयर्थ श्राद्ध किया जाता है।
कर्मांग श्राद्ध: यह श्राद्ध को किसी संस्कार के अवसर पर ही किया जाता है। कर्मांग का अर्थ कर्म के अंग से होता है।
यात्रा के लिए करते हैं यह श्राद्ध
तीर्थ श्राद्ध: यह श्राद्ध हमेशा तीर्थ पर ही किया जाता है।
यात्रार्थ श्राद्ध: यात्रा की सफलता के लिए यात्रार्थ श्राद्ध किया जाता है।
पुष्ट्यर्थ श्राद्ध: आर्थिक उन्नति में बढ़ोतरी, अच्छे स्वास्थ्य के लिए पुष्टि के निमित्त जो श्राद्ध किए जाते हैं वे पुष्ट्यर्थ श्राद्ध कहलाते हैं।
अमावस्या को किया जाता है इनका श्राद्ध
जिन लोगों की मृत्यु के दिन की सही-सही जानकारी न हो, उनका श्राद्ध अमावस्या तिथि को करना चाहिए। सांप काटने से मृत्यु और बीमारी में या अकाल मृत्यु होने पर भी अमावस्या तिथि को श्राद्ध किया जाता है। जिनकी आग से मृत्यु हुई हो या जिनका अंतिम संस्कार न किया जा सका हो, उनका श्राद्ध भी अमावस्या को करते हैं।
 

RELATED ARTICLES

Contact Us

Owner Name:

Deepak Birla

Mobile No: 9200444449
Email Id: pradeshlive@gmail.com
Address: Flat No.611, Gharonda Hights, Gopal Nagar, Khajuri Road Bhopal

Most Popular

Recent Comments

Join Whatsapp Group
Join Our Whatsapp Group