Thursday, October 5, 2023
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सावन का आखिरी सोम प्रदोष बेहद खास, बन रहे शुभ योग, भक्तों को मिलेगा दोगुना फल

सोम प्रदोष 2023 : हिंदू धर्म में सावन के महीना का बेहद महत्व है। यह पूरा महीना भगवान शिव को समर्पित है, इसलिए यह महीना काफी पवित्र माना जाता है। इस बार अधिकमास की वजह से भक्तों को बाबा भोलेनाथ की पूजा अर्चना करने के लिए दो माह का समय मिला। सावन का महीना अब आखिरी चरण में है। 28 अगस्त के दिन सावन महीने का आखिरी प्रदोष माना जाएगा। वहीं, सोमवार के दिन पड़ने के कारण सावन महीने का आखिरी प्रदोष व्रत सोम प्रदोष व्रत कहलाएगा, जो बेहद ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
हर महीने की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस बार 28 अगस्त के दिन सावन महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। इसकी शुरुआत 28 अगस्त को शाम 6 बजकर 48 मिनट से होगी और समापन 29 अगस्त को दोपहर 2 बजकर 45 मिनट पर होगा। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, सावन का महीना बेहद पवित्र महीना माना जाता है, जो भगवान शिव को समर्पित है। इस बार अधिक मास के चलते यह सावन (sawan 2023) का महीना बेहद आइये जानते हैं सावन महीने के आखिरी प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
और पूजा-विधि।

प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त

ज्योतिष विद्या के अनुसार हर महीने की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत माना जाता है। वहीं, 28 अगस्त के दिन सावन महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि संध्या के समय 6 बजकर 48 मिनट पर शुरू होगी, जो अगलेदिन 29 अगस्त को दोपहर के समय 2 बजकर 45 मिनट तक रहेगी। वहीं, प्रदोष व्रत रखने पर प्रदोष काल के समय पूजा करना बेहद ही शुभ और जरूरी माना जाता है। इसलिए 28 अगस्त सोमवार के दिन शाम 6 बजकर 48 मिनट सेरात 9 बजकर 02 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा।

28 अगस्त को व्रत करने से प्रदोष व्रत और सावन सोमवार व्रत दोनों का फल मिलेगा। सावन के आखिरी प्रदोष और सोमवार के दिन रुद्राभिषेक करना फलदायी होगा।

  • आयुष्मान योग – प्रात:काल से लेकर सुबह 09:56 तक
  • सौभाग्य योग – सुबह 09:56 से पूरी रात तक
  • सर्वार्थ सिद्धि योग – मध्यरात्रि 02:43 से 29 अगस्त को सुबह 05:57 तक
  • रवि योग – मध्यरात्रि 02:43 बजे से 29 अगस्त को सुबह 05:57 बजे तक

पूजा विधि

  • सावन के आखिरी सोमवार और आखिरी प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान कर सफेद या हरेरंग का वस्त्र धारण करें। शिवलिंग का गंगाजल से अभिषेक करें।
    और व्रत रखनेका संकल्प लें। इसके साथ ही भगवान शिव और माता पार्वती की विधि सेपूजा करें।
  • सूर्यास्त होने के बाद प्रदोष काल के शुभ मुहूर्त में शिवलिंग का दूध, दही,घी, गंगाजल और शहद से शिवलिंग का अभिषेक करें।
  • भगवान शिव को बेलपत्र, सफेद अक्षत, भांग, धतूरा, सफेद रंग का फूल, काला तिल और सफेद चंदन अर्पित करें।
    इसके बाद पूरेशिव परिवार की पूजा करें। आखिर मेंशिव चालीसा का पाठ करनेके बाद भगवान शिव की पूरी श्रद्धा के साथ आरती करें।
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