Seven Chiranjeevi : हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार हनुमान जी को चिरंजीवी का आशीर्वाद प्राप्त है, ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी कलयुग में भी हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं हनुमान जी के अलावा 6 और देव पुरुष हैं, जिन्हें चिरंजीवी होने का वरदान प्राप्त है. जिसमें हनुमान जी, परशुराम, असुर राज बलि, विभीषण, अश्वत्थामा, महर्षि व्यास और कृपाचार्य शामिल हैं हिंदू शास्त्रों में सात चिरंजीवी देवों का वर्णन मिलता है. योग की अष्ट सिद्धियों के कारण इन सभी चिरंजीवी देव पुरुषों को दिव्य शक्तियां प्राप्त हैं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ये सभी देव पुरुष आज भी धरती पर मौजूद हैं चलिए जानते हैं इन सभी चिरंजीवी देव पुरुषों के बारे में.
हनुमान जी
भगवान राम के परम भक्त अंजनी पुत्र वीर हनुमान को भी अजर अमर होने का वरदान प्राप्त है. राम के काल से लेकर हजारों वर्षों बाद हुए महाभारत के युद्ध में भी हनुमान जी का उल्लेख होता है. उस समय हनुमान जी ने भीम का घमंड तोड़ा था.
परशुराम जी
परशुराम जी को भगवान विष्णु के 6वें अवतार माने गए हैं. महान ऋषि परशुराम का जन्म सतयुग में बैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हुआ था. इनका नाम पहले राम था, भगवान शिव ने राम की तपस्या से खुश होकर एक फरसा दिया था, जिसके कारण इन्हें परशुराम कहा जाने लगा. माना जाता है कि भगवान परशुराम आज भी अमर है.
विभीषण
रामायण में आपने विभीषण का नाम तो सुना ही होगा, उन्हें भी चिरंजीवी होने का वरदान मिला हुआ है. विभीषण ने अपने सगे भाई रावण के खिलाफ भगवान राम का साथ दिया था. आपको बता दें कि राम जी ने लंका में युद्ध जीतने के बाद विभीषण को लंका का राजा बनाया था.
अश्वत्थामा है धरती पर मौजूद
महाभारत में आपने अश्वत्थामा नाम का पात्र देखा होगा. ये गुरु द्रोणाचार्य जी के बेटे थे. ये महाभारत काल से ही धरती पर मौजूद हैं. एक कथा प्रचलित है कि श्रीकृष्ण जी ने अश्वत्थामा को चिरंजीवी रहने का श्राप दिया था.
महर्षि व्यास
महाभारत की रचना महर्षि व्यास ने की थी. वे ऋषि पराशर और माता सत्यवती की संतान थे. इनका रंग सांवला होने और यमुना नदी के नजदीकी द्वीप पर जन्म लेने की वजह से इन्हें कृष्ण द्वैपायन भी कहा जाता है. इन्हें भी चिरंजीवी रहने का वरदान प्राप्त है.
कृपाचार्य
कृपाचार्य एक विद्वान ऋषि थे. ये कौरवों के कुलगुरु भी थे और अश्वत्थामा के मामा थे. पांडवों के खिलाफ महाभारत के युद्ध में ऋषि कृपाचार्य जी ने कौरवों की तरफ से युद्ध लड़ा था. इन्हें भी चिरंजीवी रहने का आशीर्वाद मिला था.
महान दानी असुर राज बलि
असुरों के राजा बलि बहुत ही बड़े दानी थे, लेनिक वे अपने दान के अहंकार से इंद्रलोक पर भी अधिकार जमाने के बारे में सोच रहे थे. उस समय विष्णु जी ने वामन अवतार लिया और राजा बलि का घमंड तोड़ दिया. वामन अवतार में उन्होंने 2 पग में तीनों लोक को नाप लिया और तीसरा पग राजा बलि के सिर पर रखा. जिससे उन्हें पाताल लोक भेज दिया. ऐसी मान्यता है कि राजा बलि आज भी पाताल लोक में जीवित है.
(यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Pradeshlive इसकी पुष्टि नहीं करता है)