Thursday, December 5, 2024
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3 साल में एक बार आता है विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत, जानें महत्व

Vibhuvana Sankashti Chaturthi: आज 4 अगस्त को विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत है। वैसे तो प्रत्येक माह में दो चतुर्थी तिथि पड़ती है। एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में, लेकिन विभुवन संकष्टी चतुर्थी का व्रत हर तीन साल में एक बार ही आता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह व्रत अधिक मास में पड़ता है। अधिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को विभुवन संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इस व्रत में रात के समय चंद्रमा को अर्घ्य देते हैं। चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही यह व्रत पूर्ण होता है। आइये जानते हैं विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व…

विभुवन संकष्टी चतुर्थी तिथि

सावन अधिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 4 अगस्त, शुक्रवार को दोपहर 12 बजकर 45 मिनट पर हो रही है। इसका समापन 05 अगस्त, शनिवार को सुबह 09 बजकर 39 मिनट पर होगा। इस दिन गणेश जी के साथ चंद्रमा पूजा की महत्व होता है और चंद्रोदय का समय 4 अगस्त को है। ऐसे में विभुवन संकष्टी चतुर्थी का व्रत 4 अगस्त को ही रखा जाएगा।

विभुवन संकष्टी चतुर्थी पूजा का शुभ मुहूर्त

4 अगस्त को विभुवन संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 39 से लेकर सुबह 07 बजकर 21 मिनट तक है। इसके बाद दूसरा मुहूर्त सुबह 10 बजकर 45 मिनट से दोपहर 03 बजकर 52 मिनट तक है।

विभुवन संकष्टी चतुर्थी चंद्रोदय समय

4 अगस्त को चंद्रमा की उदय रात 09 बजकर 20 मिनट पर होगा। इस दिन आप चंद्रोदय होने पर चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करके कर सकते हैं।

विभुवन संकष्टी चतुर्थी 2023 पूजा विधि

  • विभुवन संकष्टी चतुर्थी के दिन सबसे पहले सुबह उठें और स्नान करें।
  • इस दिन लाल रंग के कपड़े पहनकर पूजा करें।
  • पूजा करते समय अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें।
  • स्वच्छ आसन या चौकी पर भगवान को विराजित करें।
  • भगवान की प्रतिमा या चित्र के आगे धूप-दीप प्रज्वलित करें।
  • ॐ गणेशाय नमः या ॐ गं गणपतये नमः का जाप करें।
  • पूजा के बाद भगवान को लड्डू या तिल से बने मिष्ठान का भोग लगाएं।
  • शाम को व्रत कथा पढ़कर चांद देखकर अपना व्रत खोलें।
  • अपना व्रत पूरा करने के बाद दान करें।

विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व

शास्त्रों में भगवान गणेश को विघ्नहर्ता के नाम से भी जाना जाता है। वे अपने भक्तों की सारी विपदाओं को दूर करते हैं और उनकी मनोकामनाएं को पूर्ण करते हैं। ऐसे में विभुवन संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखकर गणपति की पूजा-आराधना करने से समस्त प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती हैं।

विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। साथ ही इस दिन कुछ उपाय करने से विघ्न-बाधाओं का अंत होता है और जीवन में खुशियां आती हैं। चलिए जानते हैं गणेश जी को प्रसन्न करने के उपाय…

  • यदि आप विवाह योग्य हैं, लेकिन विवाह में बार-बार बाधाएं आ रही हैं तो विभुवन संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को गुड़ की 21 गोलियां और दूर्वा अर्पित करें। इससे शीघ्र विवाह के योग बनते हैं।
  • व्यापार में तरक्की या नौकरी में प्रमोशन के लिए विभुवन संकष्टी चतुर्थी के दिन विध्नहर्ता गणेश की प्रतिमा को अपने घर ले आएं। फिर उनका पूजन करें और हल्दी की पांच गांठ गणेश जी को अर्पित करें। ऐसा करने से जल्द प्रमोशन के योग बनते हैं।
  • विभुवन संकष्टी चतुर्थी के दिन घर में गणेश यंत्र की स्थापना करें। ऐसा इसलिए क्योंकि गणेश यंत्र को बहुत लाभकारी माना जाता है। मान्यता है कि गणेश यंत्र को घर में स्थापित करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  • यदि आप धन की समस्या से जूझ रहे हैं तो विभुवन संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा करें। गुड़ और घी का भोग लगाएं फिर उस भोग को गाय को खिलाएं। इससे धन लाभ मिलने के योग बनते हैं
  • विभुवन संकष्टी चतुर्थी के दिन गणपति की प्रतिमा के सामने आसन बिछाकर बैठें और “ॐ गण गणपतये नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें। ये उपाय आपको बाधाओं से पार कराएगा।
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