इंदौर। इंदौर के धार जिले के मांडू में इमली की बेहद दुर्लभ प्रजाति पाई जाती है। मांडू की इस इमली का नाम खुरासानी इमली है। इसमें कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। दुनिया भर में इसकी भारी मांग है। प्रवासी भारतीय सम्मेलन और जी-20 सम्मेलन में पर्यटकों के बीच इसकी ब्रांडिंग की गई और इन पेड़ों का महत्व बताया गया था।आदिवासियों का कहना है कि प्रशासनिक अधिकारियों ने एक कंपनी से मिलीभगत कर नियमविरुद्ध पेड़ों को कटवा जा रहा है। अब ये पेड़ देश के नामचीन अरबपतियों के घरों में लाखों रुपए लेकर लगाए जाएंगे।
सुल्तान ने दिया था उपहार में
15वीं शताब्दी में मांडू के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी को अफगानिस्तान के खुरासान के सुल्तान ने उपहार स्वरूप कुछ बोलने वाले तोते और खुरासानी इमली के पौधे भेंट किए थे। इसका वानस्पतिक नाम बायबाय है। अलाउद्दीन खिलजी ने पूरे साम्राज्य में खुरासानी इमली के पौधे लगाए थे, लेकिन सिर्फ मांडू एवं आसपास के क्षेत्रों में ही अनुकूल जलवायु मिलने से यह पनप सके।
स्वाद में बहुत लाजवाब
मांडू में इसके करीब एक हजार पेड़ हुआ करते थे। अब सिर्फ 75 ही पेड़ बचे हैं। इसके पेड़ विशालकाय होते हैं। खुरासानी इमली का फल भी आकार में बड़ा होता है। यह स्वाद में बहुत लाजवाब होता है। मांडू आने वाले पर्यटक इसकी विशेष रूप से डिमांड करते हैं। यहां के अधिकांश आदिवासी परिवार इस फल का व्यापार करते हैं।
इलाज के रूप में किया जाता है उपयोग
इस इमली का इस्तेमाल पेट दर्द, पेचिश, कब्ज, हेल्मिन्थस (कृमि) संक्रमण जैसी पेट से जुड़ी समस्याओं से बचाव में किया जा सकता है। इसके अलावा इस इमली में लीवर संरक्षण, ह््रदय संरक्षण और पेट साफ करने वाले गुण भी पाए जाते हैं।
खुरासानी इमली जो एक दुर्लभ प्रजाति का पेड़ है और जिसे धार जिले के आदिवासी भाई-बहनों ने वर्षों से सहेज कर रखा था अब वह लेकिन लालसा और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता जा रहा है। आदिवासियों ने इसे पेड़ को परिवार का सदस्य समझकर संरक्षण किया है।