Thursday, October 5, 2023
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Aditya-L1: चांद के बाद सूरज की बारी, दो सितंबर को होगा लॉन्च, सूर्य के कौन से सीक्रेट्स खोलेगा आदित्य एल-1

Aditya-L1: चंद्रयान-3 की सफलता से साइंस एंड टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में दुनिया में डंका बजवाने के बाद अब भारत सूर्य मिशन के लिए तैयार है. सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली स्पेस बेस्ड इंडियन ऑब्जर्वेटरी से संबंधित भारत के सूर्य मिशन को 2 सितंबर को सुबह 11.50 बजे श्रीहरिकोटा से आदित्य एल-1 मिशन लॉन्च करेगा. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सोमवार (28 अगस्त) को इसकी जानकारी दी. अब तक इस लेवल पर सूर्य के राज जानने की कोशिश नहीं की गई है. इसरो के इस मिशन से सूर्य के कई सीक्रेट्स मालूम चल सकते हैं. सूरज के राज मालूम करने के लिए इसरो का यह पहला मिशन होगा. इस मिशन में 368 करोड़ रुपये की लागत आई है. आदित्य एल1 को सूर्य-धरती की व्यवस्था के लाग्रेंज बिंदु 1 (एल1) के चारों ओर एक हेलो ऑर्बिट में रखा जाएगा, जो धरती से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है. यहां से सूर्य को बिना किसी रुकावट या ग्रहण के लगातार देखने का फायदा मिलेगा.

इस मिशन से क्या हासिल होगा?

>> आदित्य एल -1 मिशन से स्पेस में मौसम की फुर्ती, सूर्य के कोरोना के तापमान, सौर तूफान, एमिशन्स और पराबैगनी किरणों के धरती, खासकर ओजोन परत पर पड़ने वाले असर की स्टडी की जा सकेगी.

>> वैज्ञानिकों का मानना है कि मिशन के तहत अलग-अलग तरह का डेटा जमा किया जा सकेगा ताकि कोई ऐसा सिस्टम बनाया जा सके कि नुकसानदेह सौर वायु और तूफान की जानकारी मिलते ही सावधानी का अलर्ट जारी किया जा सके.

किसने बनाए उपकरण?

आदित्य एल1 मिशन के लिए जरूरी इंस्ट्रूमेंट्स सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (एसयूआईटी) को पुणे के इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (आईयूसीएए) ने तैयार किया है.

सूर्य के कितने पास जाएगा मिशन?

आईयूसीएए के साइंटिस्ट और एसयूआईटी के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर प्रो. दुर्गेश त्रिपाठी ने बताया कि इसरो का सूर्य मिशन आदित्य एल-1 धरती से सूरज की तरफ 15 लाख किलोमीटर तक जाएगा और सूरज की स्टडी करेगा. उन्होंने बताया कि सूरज से काफी मात्रा में पराबैंगनी किरणें निकलती है और इस टेलीस्कोप (एसयूआईटी) से 2000-4000 एंगस्ट्रॉम के वेवलैंथ की पराबैंगनी किरणों की स्टडी की जाएगी. इससे पहले दुनिया में इस लेवल की पराबैंगनी किरणों की स्टडी नहीं की गई है.

आदित्य एल-1 मिशन की खासियतें

>> आदित्य-एल1 मिशन सात पेलोड लेकर जाएगा, जो अलग-अलग वेव बैंड में फोटोस्फेयर (प्रकाशमंडल), क्रोमोस्फेयर (सूर्य की दिखाई देने वाली सतह से ठीक ऊपरी सतह) और सूर्य की सबसे बाहरी परत (कोरोना) की जानकारी मुहैया कराएंगे.

>> सात में से चार पेलोड लगातार सूर्य पर नजर रखेंगे जबकि तीन पेलोड परिस्थितियों के हिसाब से कणों और मैग्नेटिक फील्ड की स्टडी करेंगे.

>> आईयूसीएए के एक अन्य वैज्ञानिक प्रो. ए. एन. रामप्रकाश ने बताया, सूरज की ऊपरी सतह पर कुछ विस्फोट होते रहते हैं लेकिन यह कब होंगे और इसके असर क्या होंगे, इसकी सटीक जानकारी नहीं है.

>> ऐसे में इस टेलीस्कोप का एक मकसद इनकी स्टडी करना भी है. उन्होंने बताया कि इसके लिए हमने एक AI बेस्ड तत्व तैयार किया है जो इसका डाटा (विस्फोटों का) जमा कर उसका मूल्यांकन करेगा.

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