MP News: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में सरकार ने इस प्रोजेक्ट में करीब 15 साल पहले 360 करोड़ रुपए खर्च किए थे. साल 2009 में बीआरटीएस कॉरिडोर के लिए निविदाएं जारी की थीं. साल 2011 में एक संशोधित डीपीआर के बाद इसे मंजूरी दे दी गई. इसके बाद 27 सितंबर 2013 को बीआरटीएस का काम पूरा हुआ. इसमें मिसरोद से लेकर संत हिरदाराम नगर (पूर्व में बैरागढ़) तक 24 किलोमीटर के कॉरिडोर का निर्माण पूरा किया गया. शिवराज सरकार ने इस प्रोजेक्ट में करीब 15 साल पहले 360 करोड़ रुपए खर्च किए थे. सीएम यादव ने कहा कि यातायात में सुगमता और जन सुविधा के लिए इसे हटाने का निर्णय लिया गया है. जहां ट्रैफिक का दबाव सर्वाधिक हो, वहीं से कॉरिडोर हटाने का कार्य आरंभ किया जाएगा.
‘तय समय सीमा में होना चाहिए हटाने का काम’
यहां बताते चलें कि भोपाल के बीआरटीएस कॉरिडोर को हटाने की मांग स्थानीय जनप्रतिनिधि लंबे समय से कर रहे थे. नई सरकार बनने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने राजधानी भोपाल के बीआरटीएस कॉरिडोर को हटाने का आदेश दे दिया था. आज बुधवार (17 जनवरी) को भोपाल में मंत्रालय में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने राजधानी के बीआरटीएस कॉरिडोर (BRTS) को हटाने के संबंध में नगरीय विकास एवं आवास राज्य मंत्री प्रतिमा बागरी जी एवं वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक में तय किया गया कि भोपाल के बीआरटीएस कॉरिडोर को हटाने का कार्य बैरागढ़ से आरंभ किया जाएगा. सीएम यादव ने कहा कि यातायात में सुगमता और जन सुविधा के लिए इसे हटाने का निर्णय लिया गया है. जहां ट्रैफिक का दबाव सर्वाधिक हो, वहीं से कॉरिडोर हटाने का कार्य आरंभ किया जाएगा. जन सुविधा को देखते हुए कॉरिडोर हटाने का कार्य रात में हो. पुलिस से समन्वय करते हुए इस संपूर्ण अवधि में शहर में सुगम तथा सुरक्षित यातायात व्यवस्था सुनिश्चित की जाए. मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि बीआरटीएस हटाने का काम तय समय सीमा में होना चाहिए.
13 साल पहले 360 करोड़ में बना था कॉरिडोर
बीआरटीएस कॉरिडोर के निर्माण को मंजूरी पूर्व मेयर सुनील सूद के कार्यकाल के अंतिम दौर में मिली थी जबकि इसका पूरा काम कृष्णा गौर के कार्यकाल में पूरा हुआ। इस पर 360करोड़ की लागत आई थी जिससे 22 किमी देश के सबसे लंबे बीआरटीएस कॉरिडोर का निर्माण किया गया। इसे मिसरोद से चिरायु हास्पिटल तक बनाया गया। इस डेडीकेट लेन में जनता के लिए बसों के अलाव बाद में एंबुलेंस और वीआईपी काफिले को गुजरने की अनुमति दी गई। इसका निर्माण यूपीए सरकार की जेएनएनयूआरएम योजना के तहत हुआ था। शहर में इसके आलव तीन अन्य कॉरिडोर प्रस्तावित थे लेकिन बाद की सरकारों ने इन पर कोई काम नहीं किया।