नोटबंदी का दौर आप नहीं भूले होंगे, जब लोगों को बैंकों में और एटीएम के आगे लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ा था। सरकार ने कालाधन और टेरर फंडिंग को लेकर यह फैसला लिया था। तारीख थी- 8 नवंबर 2016, जब केंद्र सरकार ने 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने का फैसला लिया था। इन पुराने नोटों को बदलने और जमा करने के लिए सरकार ने अवसर दिया था।
आप सोच रहे होंगे कि नोटबंदी के 6 साल बाद यह सवाल अचानक कहां से आ गया! दरअसल, सुप्रीम कोर्ट नोटबंदी को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि जो लोग समयसीमा में अपने पुराने नोट बदलवाने से चूक गए हैं, उनके आवदेनों पर आरबीआई को विचार करना चाहिए। इस मामले में अब सुनवाई 5 दिसंबर को होगी।
कुछ मामलों पर हो सकता है विचार
पांच जजों जस्टिस एस. अब्दुल नजीर, बी.आर. गवई, ए.एस. बोपन्ना, वी. रामासुब्रमण्यन और बी.वी. नागरत्ना की बेंच 500 और 1,000 रुपये के नोटों को विमुद्रीकृत करने के 8 नवंबर के फैसले की वैधता पर विचार कर रहे हैं। लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने कहा, ‘विमुद्रीकृत नोटों को बदलने की तारीखों का विस्तार नहीं किया जा सकता। लेकिन रिजर्व बैंक आवेदकों द्वारा आवश्यक शर्तों को पूरा करने और केंद्रीय बैंक की संतुष्टि वाले कुछ व्यक्तिगत मामलों पर विचार करेगा।’ वेंकटरमणि आरबीआई के पास आए 700 आवेदनों के बारे में बात कर रहे थे
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अब इन याचिकाओं का कोई मतलब नहीं
अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट में नोटबंदी की अधिसूचना का बचाव किया। उन्होंने कहा कि नोटबंदी को जाली नोटों की समस्या, काला धन और आतंकवाद की समस्या को रोकने के लिए लागू किया गया था। सरकार का कहना है कि नोटबंदी को रिजर्व बैक कानून 1934 के नियमों के तहत लागू किया गया था। सरकार का कहना है कि छह साल बाद याचिकाओं पर विचार करना एक शैक्षणिक कवायद है, इसका कोई मतलब नहीं रह गया है।
क्या कह रहे याचिकाकर्ता
सुप्रीम कोर्ट नोटबंदी को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। इनमें कहा गया है कि उनके पास पुराने नोट पड़े हैं। एक याचिकाकर्ता ने कहा कि उसके पास एक करोड़ रुपये से ज्यादा के पुराने नोट रखे हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि आप इन्हें संभाल कर रखिए। एक याचिकाकर्ता ने कहा कि वे नोटबंदी के समय विदेश में थे। नोट बदलवाने की तारीख मार्च से पहले बंद हो चुकी थी। जबकि कहा गया था कि विंडो मार्च के आखिर तक खुली रहेगी। इसी तरह एक याचिकाकर्ता ने कहा कि उसके जब्त किये गए लाखों रुपये कोर्ट में जमा हैं, लेकिन नोटबंदी के बाद वे सब बेकार हो गए।
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कहां गए नोटबंदी में Ban किए 15.28 लाख करोड़ के नोट?
क्या आप जानते हैं कि नोटबंदी के दौरान बैन किए गए 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों का क्या हुआ, 15.28 लाख करोड़ रुपये कहां गए? आप सोच रहे होंगे कि नोटबंदी के साढ़े चार साल बाद यह सवाल अचानक कहां से आ गया!
नोटों की कतरन कर दी जाती है चौकोर ईंट की शक्ल
RBI के मुताबिक इन पुराने नोटों का नियमों के मुताबिक विघटन किया जाता है. केंद्रीय बैंक ने तब बताया था कि इन नोटों की वेरिफिकेशन एंड प्रोसेसिंग सिस्टम के बाद उनका ब्रिकेट सिस्टम के जरिए ब्रिक्स तैयार किया जाएगा. आरबीआई के मुताबिक पुराने नोटों को तरीके से विघटन किया जाता है.
पहले चरण में यह देखा जाता है कि करेंसी नष्ट करने के लायक हैं या नहीं. फिर दूसरे चरण में श्रेडिंग ब्रिकेट सिस्टम के जरिए नोटों को मशीन की मदद से महीन कतरनों में बदला जाता है. इन कतरनों को फिर से कम्प्रेस कर ब्रिक्स की शेप दी जाती है.
जर्व बैंक के विभिन्न कार्यालयों में लगाए गए नोटों को काटने और ब्रिकेटिंग प्रणाली में इन्हें काटकर उन्हें ब्रिकेट में परिवर्तित किया जाता है. आरबीआई ने तब बताया था कि जब इन कटे हुए नोटों को दबाकर इन्हें चौकोर ईंट की शक्ल में बदल दिया जाएगा तो टेंडर के माध्यम से इनका निस्तारण कर दिया जाएगा. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इन ब्रिक्स से फाइल कवर, कार्डबोर्ड जैसी चीजें भी बनाई जाती हैं.