आरा: आम तौर पर इंसान दूसरे इंसान पर केस करता है, या इंसान इंसाफ और न्याय के लिए भगवान की शपथ लेता है, लेकिन बिहार के आरा में हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जिसमें भगवान इंसान से न्याय के लिए खुद केस किये और न्यायपालिका के दरवाजे तक पहुंच गए है। केस का सिलसिला 1988 से शुरू हुआ था. फिर 1989, 2019 और 2023 में केस दर्ज कराया गया। जो अब तक चल रहा है।
मामला आरा सिविल कोर्ट में बड़ी मठिया में मौजूद हनुमान जी, ठाकुर जी व अन्य देवताओं के नाम से मुकदमा दायर किया गया है। सभी मुकदमा अलग-अलग मामलों का है। यहां एक या दो नहीं बल्कि हनुमान जी के नाम से चल रहा है चार मुकदमा। आरा सिविल कोर्ट में खुद हनुमान जी ने चार इंसानों पर मुकदमा दर्ज कराया है।
जानिए क्या है पूरा मामला
दरअसल पूरा मामला ये है कि आरा सिविल कोर्ट में बड़ी मठिया में मौजूद हनुमान जी, ठाकुर जी व अन्य देवताओं के नाम से मुकदमा दायर किया गया है। सभी मुकदमा अलग-अलग मामलों का है। पहला मुकदमा केस संख्या (4/23) पुष्पा देवी के नाम से है। जिनपर जीमन और महंत के दावेदारी का मुकदमा है। दूसरा केस (11/19) नारायण शर्मा तीसरा केस (297/89) योगिंदर सिंह और चौथा मुकदमा (18/88) अयोध्या मिस्त्री उर्फ सुपन मिस्त्री पर है। इन सभी पर दुकान दखल व किराया नहीं देने का मुकदमा दर्ज कराया गया है। ये सभी मुकदमा बड़ी मठिया के तत्कालीन महंत राम किंकर दास के द्वारा कराया गया है, लेकिन मुकदमा में पहला पार्टी बड़ी मठिया में मौजूद हनुमान जी और ठाकुर जी को बनाया गया है।
आरोपी हैरान
भगवान के इस मुकदमे के आरोपी नारायण शर्मा व पुष्पा देवी के पुत्र चंदन ओझा से बातचीत के दौरान खुद आरोपी भी हैरान हो कर बताये की इस तरह का अजूबा चीज हमारे साथ हुआ है। हम खुद हैरान है। हमलोगों से कोई गलती हो जाती है तो हमलोग खुद भगवान के शरण मे जा कर माफी मांगते है, लेकिन हमलोग भगावन के आरोपी कब बन गए ये पता नहीं चला।
कोर्ट के द्वारा नोटिस प्राप्त हुआ
जब कोर्ट के द्वारा नोटिस प्राप्त हुआ था, उस समय पढ़ कर आंख खुली की खुली रह गई थी कि केस में पहला पार्टी भगवान कैसे बन सकते है। बाद में पता चला कि इस मठिया के महंत हुआ करते थे, राम किंकर दास। उनके द्वारा भगवान के नाम पर केस किया गया है। तारीख पर हमलोग हाजिर होते हैं, न्यायपालिका में मुकदमा चल रहा है देखिये क्या होता है।
इस मामले में सिविल कोर्ट के अधिवक्ता द्वारा बताया गया कि ये थोड़ा हैरान करने वाला मामला तो है, लेकिन भारत के संविधान में ये सम्भव है। भगवान के नाम पर उनके सेवक या मंदिर के पुजारी किसी पर मुकदमा कर सकते हैं।