Uttarakhand Tunnel Accident : उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सुरंग धंसने के बाद इसमें फंसे करीब 41 मजदूरों को पाइप के जरिए ऑक्सीजन, पानी और सूखा भोजन दिया जा रहा है, लेकिन उनका हौसला टूट रहा है। घटना के आठ दिन बीत चुके हैं, लेकिन एक भी मजदूर को बाहर नहीं निकाला जा सका है। इसकी वजह से इन मजदूरों और परिजनों में मायूसी छायी हुई है। अंदर फंसे मजदूरों के हौसले टूट रहे हैं, तो दूसरी तरफ उनके सहकर्मियों और परिजनों का गुस्सा प्रशासन की विफलता पर फूट रहा है। बिहार का रहने वाला दीपक कुमार भी सिलक्यारा सुरंग में फंसा है। शनिवार को दीपक के चाचा कृष्णा पटेल सिलक्यारा पहुंचे। पाइपलाइन के जरिए उनकी दीपक से बात करवाई गई। कृष्णा पटेल ने बताया कि दीपक कह रहा है कि उसका पेट नहीं भर रहा, उसे जल्दी बाहर निकालो।
इंदौर से एक नई मशीन लाई गई
मजदूरों को निकालने के लिए दिल्ली से लाई गई ऑगर मशीन ने शुक्रवार (17 नवंबर ) शाम से काम करना बंद कर दिया है। इंदौर से एक नई मशीन लाई गई है जिसे अब सुरंग के 200 मीटर अंदर ले जाया जा रहा है ताकि रुके हुए काम को आगे बढ़ाया जा सके। अब हॉरिजेंटल यानी सामने से ड्रिलिंग के बजाय वर्टिकल यानी ऊपर से छेद किया जाएगा ताकि मलबे को आसानी से हटाया जा सके। अब तक टनल के अंदर 70 मीटर में फैले मलबे में 24 मीटर छेद किया जा चुका है। हालांकि यह आधा भी नहीं है इसलिए दावा किया जा रहा है कि अभी भी कम से कम 4-5 दिनों का समय मजदूरों को बाहर निकालने के लिए व्यवस्था करने में लग सकता है।
बचाव अभियान की रणनीति को लेकर आयोजित एक विशेष बैठक
दुर्घटना के सातवें दिन शनिवार (18 नवंबर) को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के उपसचिव मंगेश घिल्डियाल और प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार और उत्तराखंड सरकार के विशेष कार्याधिकारी भास्कर खुल्बे ने घटनास्थल का दौरा किया है। बचाव अभियान की रणनीति को लेकर आयोजित एक विशेष बैठक में हुए विचार-विमर्श के बाद उन्होंने घोषणा की कि सिलक्यारा सुरंग हादसे में फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए रेसक्यू ऑपरेशन अब पांच मोर्चों पर चलेगा।
पाइपलाइन से दिया जा रहा फूड
सुरंग में फंसे मजदूरों की जीवनरेखा बनी पाइपलाइन के जरिए अंदर फंसे मजदूरों तक पोषक फूड सप्लीमेंट, ओआरएस भेजे जा रहे हैं। इधर रेस्क्यू ऑपरेशन में हो रही देरी की वजह से मजदूरों के परिजनों और साथ काम करने वाले कर्मचारियों में नाराजगी बढ़ रही है। टनल बनाने के प्रोजेक्ट में लोडर और ऑपरेटर का काम करने वाले मृत्युंजय कुमार कहते हैं, “हम लोग भी अंदर फंसे मजदूरों को समझाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन एक हफ्ते हो गए। वो स्वस्थ हैं लेकिन अब उनका हौसला धीरे-धीरे टूट रहा है। वो कह रहे हैं कि सूखा खाना खाकर कितने दिन जिएंगे। वो हम से पूछ रहे हैं कि हम लोग उन्हें निकलने का काम कर रहे हैं या उन्हें झूठा दिलासा दे रहे हैं।”
सुरंग में 41 आदमी कैद
मुजफ्फरपुर बिहार का रहने वाला दीपक कुमार भी सिलक्यारा सुरंग में फंसा है। शनिवार को दीपक के चाचा कृष्णा पटेल सिलक्यारा पहुंचे। पाइपलाइन के जरिए उनकी दीपक से बात करवाई गई। कृष्णा पटेल ने बताया कि दीपक कह रहा है कि उसका पेट नहीं भर रहा, उसे जल्दी बाहर निकालो। 20 वर्षीय दीपक कुमार सिलक्यारा सुरंग में फंसा 41वां श्रमिक है, जिसकी अब तक अंदर फंसे श्रमिकों में गिनती भी नहीं थी। उसके साथियों ने कंपनी प्रबंधन को जानकारी दी कि हादसे के बाद से बूमर मशीन ऑपरेटर दीपक भी लापता है, वह भी सुरंग के अंदर फंसा है। शुरू में कंपनी प्रबंधन इससे इन्कार करता रहा, लेकिन शुक्रवार को कंपनी प्रबंधन ने जिला प्रशासन को दीपक के सुरंग में फंसे होने की जानकारी दी। वहीं साथियों की सूचना पर दीपक के चाचा कृष्णा पटेल सिलक्यारा पहुंचे। कृष्णा ने कहा कि सुरंग में 41 आदमी कैद हैं। एक किलो बादाम में 40 आदमियों का पेट कैसे भरेगा। उन्होंने सरकार से जल्द से जल्द सुरंग में फंसे सभी मजदूरों को बाहर निकालने की अपील की।