नई दिल्ली: अगर आप बर्थ सर्टिफिकेट को हल्के में लेते हैं, बनवाया ही नहीं है या घर में बच्चों के भी बर्थ सर्टिफिकेट नहीं हैं तो आपके लिए बहुत जरूरी खबर है। अब 1 अक्टूबर से एक अनिवार्य नियम लागू होने वाला है, जिसके बाद डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन में बर्थ सर्टिफिकेट का रोल बढ़ने वाला है। अब जन्म प्रमाणपत्र कई बातों को प्रमाणित करने के लिए एक एकल दस्तावेज होगा। अब नए नियमों के मुताबिक, जन्म और मृत्यु का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया है। केंद्रीय गृहमंत्रालय ने आदेश दिया है कि 1 अक्टूबर से बर्थ सर्टिफिकेट कई सरकारी कामों में सिंगल डॉक्यूमेंट के तौर पर इस्तेमाल होगा। केंद्रीय गृहमंत्रालय ने आदेश दिया है कि 1 अक्टूबर से बर्थ सर्टिफिकेट कई सरकारी कामों में सिंगल डॉक्यूमेंट के तौर पर इस्तेमाल होगा।
एक अक्टूबर से लागू होगी
केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक जन्म और मृत्यु का पंजीकरण (संशोधन) अधिनियम 2023 आगामी 1 अक्टूबर से लागू हो जाएगा। इस संशोधित कानून के लागू होने से कई महत्वपूर्ण कामों में बर्थ सर्टिफिकेट सिंगल डॉक्यूमेंट के तौर पर इस्तेमाल होगा। जैसे कि शैक्षणिक संस्थान में प्रवेश, ड्राइविंग लाइसेंस, मतदाता सूची तैयार करने, आधार संख्या, विवाह पंजीकरण और सरकारी नौकरी में नियुक्ति के लिए एकल दस्तावेज के तौर पर इस्तेमाल होगा जन्म और मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) अधिनियम, 2023 जो किसी शैक्षणिक संस्थान में प्रवेश, ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने, मतदाता सूची तैयार करने, आधार संख्या, विवाह के पंजीकरण के लिए एकल दस्तावेज के रूप में जन्म प्रमाण पत्र के उपयोग की अनुमति देता है। सरकारी नौकरी और केंद्र द्वारा निर्धारित किसी अन्य उद्देश्य के लिए नियुक्ति एक अक्टूबर से लागू होगी।
लोकसभा में 1 अगस्त को पारित हुआ था
बता दें कि संसद के दोनों सदनों ने हाल ही में बीते मानसून सत्र के दौरान जन्म और मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2023 पारित किया गया था. बीते 7 अगस्त को राज्यसभा में इस संशोधित विधेयक को ध्वनिमत से पारित किया गया था। वहीं लोकसभा में 1 अगस्त को पारित हुआ था। जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम 1969 के अस्तित्व में आने के 54 वर्षों बाद पहली बार इसमें संशोधन हुआ है।
नागरिक अनुकूल बनाने के लिए संशोधन की जरूरत
रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने विधेयक पेश करते हुए कहा था कि सामाजिक परिवर्तन और तकनीकी प्रगति के साथ तालमेल बनाए रखने एवं इसे अधिक नागरिक अनुकूल बनाने के लिए संशोधन की जरूरत है। उन्होंने कहा था कि राज्य सरकारों, जनता और अन्य हितधारकों के साथ इस बारे में सलाह ली गई थी।