पटना । बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर घमासान मच गया है। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस इस बार करीब 60 से 62 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। यह फैसला सहयोगी दलों मुखेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) और अन्य छोटे दलों को समायोजित करने के लिए हो सकता है। सीटों के अदला-बदली की संभावना है। बता दें कि 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीटों पर लड़ी थी। महागठबंधन में इस बार राजद, कांग्रेस, वीआईपी, वाम दल, झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) और लोक जनशक्ति पार्टी (पशुपति पारस गुट) शामिल है। सीटों के बंटवारे को लेकर सभी दलों के बीच लगातार बातचीत चल रही है।
कांग्रेस नेतृत्व ने पिछले चुनाव में मिली कमजोर सीटों को लेकर नाराजगी जाहिर की थी। पार्टी नेताओं का कहना है कि इस बार संख्या से ज्यादा सीटों की गुणवत्ता पर ध्यान रखा जाएगा। एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा है कि सीट बंटवारे पर अंतिम समझौता अक्टूबर के पहले हफ्ते में हो सकता है। पार्टी के भीतर भी मंथन जारी है। बिहार से कांग्रेस के सांसद ने कहा कि इस बार सीटों का पुनर्संयोजन किया जाएगा। पार्टी का मकसद जीतने योग्य सीटें सुनिश्चित करना है। वहीं एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि कांग्रेस को 90 से ज्यादा सीटों से चुनाव लड़ने के लिए 3,000 से अधिक आवेदन मिले हैं।
हालांकि, अंदरूनी स्तर पर बहस है कि असंतोषजनक रिपोर्ट वाले मौजूदा विधायकों को टिकट से वंचित किया जाए या नहीं। कुछ नेता मानते हैं कि ऐसा करने से बगावती उम्मीदवार खड़े हो सकते हैं, इससे चुनावी संभावनाएं प्रभावित होंगी। अंतिम फैसला कांग्रेस की चुनाव समिति की बैठक में होगा। इस बीच, बिहार कांग्रेस ने राहुल गांधी के दरभंगा रोड शो की तारीफ की है। चुनाव से पहले राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा राज्य में कई रैलियां और कार्यक्रम करने वाले हैं। गठबंधन की राजनीति पर नया मोड़ तब आया जब राजद नेता तेजस्वी यादव ने घोषणा की कि उनकी पार्टी राज्य की सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी। उनके इस ऐलान से महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर चर्चा और तेज हो गई है।