पांच नेताओं पर पीके ने सप्रमाण लगाए करोड़ों के भ्रष्टाचार के आरोप: बिहार की राजनीति में आया तूफान  

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पटना। बिहार की राजनीति में भ्रष्टाचार के मुद्दे ने नया तूफ़ान खड़ा कर दिया है। जन स्वराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर (पीके) ने इस बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सबसे करीबी मंत्री अशोक चौधरी पर 200 करोड़ रुपये की जमीन खरीद का गंभीर आरोप लगाया है। किशोर ने मीडिया के सामने इस आरोप के सप्रमाण दस्तावेज और बैंक ट्रांजैक्शन डिटेल भी पेश किए, जो साबित करते हैं कि मामले की जांच होने पर मंत्री और उनके परिवार के लिए बचना मुश्किल होगा।
इसी के साथ ही अशोक चौधरी, जो ग्रामीण विकास मंत्री और मुख्यमंत्री के विश्वसनीय सहयोगी माने जाते हैं, अचानक आरोपों के घेरे में आ गए हैं। इस आरोप के बाद चौधरी सार्वजनिक मंचों से दूरी बनाए हुए हैं और मीडिया से भी बच रहे हैं। यहां बताते चलें कि प्रशांत किशोर ने पिछले ढाई महीनों में लगातार बिहार के पांच बड़े नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। इसमें बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और सांसद संजय जायसवाल शामिल हैं। किशोर ने हर बार स्पष्ट किया कि उनके आरोप केवल राजनीतिक बयानबाज़ी नहीं, बल्कि सभी आरोप साक्ष्यों पर आधारित हैं। 
इन खुलासों ने बिहार की राजनीति में हड़कंप मचा दिया है। एनडीए के भीतर बेचैनी दिखाई दे रही है, लेकिन अब तक न तो जेडीयू और न ही बीजेपी के शीर्ष नेताओं की ओर से कोई ठोस सफाई आई है। केवल छिटपुट बयान दिए गए हैं, जबकि सरकार ने आम तौर पर चुप्पी साध रखी है, जिससे सवाल और गहराते जा रहे हैं। विशेषज्ञों की मानें तो यह स्थिति मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण है। एक ओर वे खुद को ईमानदार और पारदर्शी नेता के रूप में पेश कर रहे, वहीं उनके करीबी सहयोगी भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसते नजर आ रहे हैं। बहरहाल यदि ये आरोप साबित हुए, तो यह सरकार की साख और राजनीतिक स्थिरता के लिए बड़ा झटका होगा। एक तरह से प्रशांत किशोर के इन आरोपों ने बिहार की राजनीति को नई दिशा दे दी है। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि नीतीश सरकार इन आरोपों का क्या जवाब देती है और क्या इनकी निष्पक्ष जांच कराई जाएगी।