आरा: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सभी राजनीतिक दलों की ओर से रणनीति तैयार की जा रही है। कार्यकर्ताओं को एकजुट करने से लेकर पार्टी नेताओं में एकता स्थापित करने की कवायद जारी है। इसके अलावा नेता अब खुद ही एक्टिव हो गए हैं। ताजा मामला लालू प्रसाद यादव से जुड़ा हुआ है। लालू यादव अपने सबसे करीबी पूर्व विधायक की पिताजी की दूसरी पुण्यतिथि पर भोजपुर जिले के संदेश विधानसभा में पहुंचे। वे पूर्व विधायक अरुण यादव के पिता की दूसरी पुण्यतिथि में शामिल हुए। अरुण यादव हमेशा से लालू यादव के बेहद करीबी आरजेडी नेताओं में रहे हैं।
भोजपुर पहुंचे लालू यादव
फिलहाल अरुण यादव की पत्नी किरण देवी संदेश विधानसभा से आरजेडी की वर्तमान विधायक हैं। बिहार चुनाव से पहले लालू यादव का भोजपुर के संदेश पहुंचाना एक बड़ा सियासी संकेत माना जा रहा है। चुनाव से पहले लालू यादव एक्टिव मोड में नजर आ रहे हैं। सवाल ये है कि लालू यादव अगर चुनाव से पहले इस तरह एक्टिव होते हैं, तो इसका असर क्या देखने को मिलेगा? सियासी गलियारों में चर्चा है कि चुनाव से पहले लालू यादव का एक्टिव होना, इससे आरजेडी को कितना फायदा होगा। राजनीतिक जानकारों की मानें, तो लालू यादव के इस तरह एक्टिव होने से कार्यकर्ताओं के बीच एक विशेष संदेश जाएगा। कार्यकर्ता लालू यादव से भावनात्मक रूप से जुड़ेंगे।
आरजेडी को फायदा
इसके अलावा लालू यादव के एक्टिव होने से 2025 के चुनाव में पार्टी के अलावा उन विधायकों का फायदा होगा, जिस क्षेत्र में लालू यादव भ्रमण कर रहे हैं। लालू यादव को आज भी बिहार की राजनीति में एक करिश्माई व्यक्तित्व के रूप में देखा जाता है। राजनीतिक लिहाज से लालू यादव की बातों को आज भी कार्यकर्ता दिल से लगाकर रखते हैं। लालू यादव के बोलने का अंदाज कार्यकर्ताओं से विशेष जुड़ाव। और ठेठ तरीके से कार्यकर्ताओं से डील, आरजेडी को फायदा पहुंचा सकता है। ये भी माना जा रहा है कि लालू यादव आरजेडी के वोटों को एक करने में विशेष भूमिका निभा सकते हैं। लालू यादव, यादव- मुस्लिम और अति पिछड़ों को एक करने के लिए कोई भी कदम उठा सकते हैं। लालू यादव का बिहार चुनाव से पहले सक्रिय होना, विरोधियों के लिए भी चिंता का विषय होगा।
राजनीति को नई धार
राजनीतिक जानकारों की मानें, तो लालू यादव के एक्टिव होने से विपक्ष की राजनीति को एक नई धार मिलेगी। उसी धार के सहारे तेजस्वी यादव और महागठबंधन के अन्य दल भी आगे बढ़ेंगे। लालू यादव वैसे भी कांग्रेस पार्टी से जो कहेंगे, कांग्रेस को वही करना होगा। अन्य छोटी पार्टियां को संभाल लिया जाएगा। तेजस्वी यादव ने पिछली बार भी मजबूती से चुनाव लड़ा, लेकिन सत्ता तक पहुंचने में कामयाब नहीं हुए। लालू यादव को लगता है कि इस बार थोड़ा जोर लगा देने से माहौल बन सकता है और तेजस्वी को गद्दी मिल सकती है। लालू यादव के इस तरह एक्टिव होने से पार्टी के अंदर चल रहे आंतरिक असंतोष पर नियंत्रण पाया जा सकता है। लालू यादव की बात का कार्यकर्ताओं और पार्टी नेताओं पर खासा असर पड़ता है। लालू यादव ने जिस तरह आरा जाकर कार्यकर्ताओं को संदेश दिया है। इस तरह अगर बिहार चुनाव में एक्टिव हो जाते हैं, तो तेजस्वी की जीत आसान हो सकती है।