भोपाल। अतिथि शिक्षकों के बाद अब अतिथि विद्वानों को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बड़ी सौगातें दी हैं। भोपाल में आयोजित अतिथि विद्वानों की पंचायत में मुख्यमंत्री ने अतिथि विद्वानों का 50 हजार रुपए तक मासिक मानदेन देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अतिथि विद्वान प्राध्यापकों, व्याख्याताओं जितना ही कार्य कर रहे हैं, ऐसे में उनकी जिंदगी की अनिश्चितता समाप्त होनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने अतिथि विद्वानों को सरकारी कर्मचारियों की तरह अवकाश देने और स्थानांतरण की सुविधा देने की भी घोषणा की है। अतिथि विद्वानों को अब कार्य दिवस के अनुसार भुगतान नहीं मासिक मानदेय मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि मप्र लोक सेवा आयोग द्वारा सहायक प्राध्यापकों की भर्ती परीक्षा में 25 प्रतिशत पद अतिथि विद्वानों के लिए आरक्षित किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री निवास में आयोजित अतिथि विद्वानों की पंचायत को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अतिथि विद्वानों को अब कार्यदिवस के बजाए मासिक सैलरी मिलेगी। और वह 50 हजार रुपए तक होगी। फाल एन आउट के चलते बाहर किए गए अतिथि विद्वानों को भी सेवा में लिया जाएगा। आईटीआई के अतिथि अध्यापकों को 20 हजार रुपए मिलेगा। तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास केंद्रों में कार्यरत अतिथि विद्वानों को भी इन घोषणाओं का लाभ मिलेगा।
सरकारी अवकाश की सुविधा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि कई जिलों में अतिथि विद्वान मिलते थे, कई बहनें-भांजियां भावुक हो जाती थीं। नियमित करने को लेकर कई बार मिलते रहे हैं। अतिथि विद्वानों का कष्ट देखकर मन दुखी होता था और इसलिए तय किया था कि अतिथि विद्वानों के हित में महत्वपूर्ण फैसले लिए जाएंगे। युवाओं के भविष्य को मजबूत करने का काम अतिथि विद्वानों को ही करना है। इसके पहले उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि सीएम की संवेदनशीलता अतिथि विद्वानों के लिए कोरोना काल में भी रही। जब कॉलेज बंद थे, लोगों को रोजगार की सुविधा देने के लिए ऑनलाइन क्लासेस के माध्यम से रोजगार दिलाया गया और मानदेय मिलता रहा।