इंदौर । भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक द्वारा ट्रस्ट और एनजीओ के बारे में एक रिपोर्ट जारी की गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार आयकर अधिनियम की छूट का नियम विरुद्ध फायदा उठाया गया है। इसमें आयकर विभाग को 1595 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
कैबिनेट 2014-15 से 2017-18 तक के कुल 773 प्रकरणों की जांच की है। इनमें बिना ट्रस्ट का पंजीयन कराए 1595 करोड रुपए की छूट पर आपत्ति जताई गई है। कैग की रिपोर्ट में सबसे बड़ी आपत्तिजनक बात यह सामने आई है,कि एक एनजीओ और ट्रस्ट ने एक दूसरे को दान देकर टैक्स बचाया है। जो अपराध की श्रेणी में आता है।
सरकार ने 5 करोड़ से अधिक आय वाले ट्रस्ट और एनजीओ की जांच करने के नियम लागू कर दिए हैं। सारे ट्रस्ट को नए यूनिक नंबर दिए गए हैं। शैक्षणिक और चिकित्सा ट्रस्ट के सत्यापन की अभी कोई प्रक्रिया लागू नहीं की गई है। ट्रस्ट के रिटर्न बिना स्कूटनी के स्वीकार हो रहे हैं।
कैग ने देश भर में 4 सालों मैं जो छूट क्लेम की गई है। उसका ऑडिट करना शुरू कर दिया है। देर से आयकर रिटर्न भरने वालों से पेनाल्टी वसूल नहीं करने पर भी आपत्ति जताई गई है।
कैग ने देशभर में आयकर विभाग की 6260 ट्रस्ट और एनजीओ का ऑडिट किया है। इसमें 1580 गलतियों को चिन्हित किया गया है।
कैग ने अपनी आपत्ति में सबसे सनसनीखेज और आश्चर्यजनक मामला पकड़ा है। इसमें भोपाल की एक ट्रस्ट की पंजीयन शुरू होने की तारीख 30 जुलाई 2501 बताई गई है। जबकि अभी 2022 चल रहा है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में इसका विशेष रूप से उल्लेख किया है।
कैग की नजर पड़ी ट्रस्टों पर, बिना पंजीयन 1595 करोड़ की छूट
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