भोपाल : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गोवर्धन पूजा पर प्रदेशवासियों को पौध-रोपण करने, बिजली बचाने, पानी बचाने, लकड़ी के स्थान पर गो-काष्ठ का उपयोग करने, प्राकृतिक खेती अपनाने, गो-ग्रास के लिए योगदान देने, पराली नहीं जलाने और पर्यावरण-संरक्षण के लिए राज्य सरकार के साथ हरसंभव सहयोग देने का संकल्प दिलाया। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि गोवर्धन पूजा पर्यावरण और प्रकृति की पूजा ही है। मुख्यमंत्री चौहान कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर भोपाल में गोवर्धन पूजा पर प्रकृति के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के उद्देश्य से आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। पर्यावरण मंत्री हरदीप सिंह डंग, चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग, इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्ण कॉन्शसनेस इस्कॉन के गवर्निंग बॉडी कमिश्नर गोरांग दास विशेष रूप से उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री चौहान ने धर्मपत्नी साधना सिंह के साथ कन्वेंशन सेंटर परिसर में बने गोवर्धन परिक्रमा पर्वत की विधि-विधान से पूजा अर्चना की। मुख्यमंत्री चौहान ने प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि और संपन्नता की कामना की। कार्यक्रम का दीप प्रज्जवलित कर शुभारंभ किया। पर्यावरण-संरक्षण पर केंद्रित लघु फिल्म का प्रदर्शन भी हुआ। मुख्यमंत्री चौहान ने प्रदेश के 16 नगर निगमों में शहरी पार्क, शहरी वन क्षेत्र, हरित परिवहन, वायु गुणवत्ता और सौर ऊर्जा के मापदंडों पर रैंकिंग के लिए ग्रीन सिटी इंडेक्स का सिंगल क्लिक से शुभारंभ किया।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रकृति के असंतुलन से मनुष्य के अस्तित्व पर संकट आएगा। हमारी संस्कृति, प्रकृति के दोहन का संदेश देती है, शोषण का नहीं। भारतीय संस्कृति में हर बिंदु पर पेड़ों की पूजा और जियो और जीने दो के सिद्धांत को व्यवहार में लाने का ध्यान रखा गया है। किसान जीव-जंतुओं के चारे के लिए घास उपलब्ध कराने के उद्देश्य से बीड़ के रूप में अपने गाँवों में स्थान छोड़ते थे। आज वही अवधारणा ग्रीन बेल्ट के रूप में लागू हो रही है। प्राणियों में सद्भावना और विश्व के कल्याण का भाव, भारतीय परंपरा में वर्षों से विद्यमान है।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि आने वाली पीढ़ियों के लिए वर्तमान में धरती की चिंता करना आवश्यक है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लाइफ फॉर एनवायरमेंट कार्यक्रम आरंभ किया गया है। उनके संकल्पों को पूरा करने के लिए मध्यप्रदेश प्रतिबद्ध है। धरती बचाने के लिए जीवन शैली में परिवर्तन लाना आवश्यक है। हमें अपने जीवन में पानी बचाने, बिजली बचाने, अपने जन्म-दिवस, शादी की वर्षगाँठ सहित अन्य शुभ अवसरों पर पौधा लगाने को आदत में शामिल करना होगा। विकास और पर्यावरण-संरक्षण के बीच संतुलन आवश्यक है। पर्यावरण-संरक्षण के संबंध में जन-साधारण से भी विचार आमंत्रित किए जा रहे हैं। इन गतिविधियों में समाज और सरकार साथ मिल कर कार्य करेंगे। प्रदेश में "ग्रीन एनर्जी-क्लीन एनर्जी" के लिए नवकरणीय ऊर्जा के स्रोतों को प्रोत्साहित करने की दिशा में गतिविधियाँ संचालित हैं।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि गो-वंश के रख-रखाव की जिम्मेदारी सरकार के साथ समाज को भी उठानी होगी। मशीनीकरण के कारण बैलों का उपयोग नहीं रहा है। दुग्ध उत्पादन के योग्य नहीं रही गायों को भी छोड़ दिया जाता है। प्रदेश में 1 करोड़ 87 लाख से अधिक गो-वंश है। बहुत बड़ी संख्या में गो-वंश सड़क पर है। इनके प्रबंधन के लिए समाज और सरकार को संयुक्त रूप से आगे आना होगा। गाय के गोबर से सीएनजी उत्पादन के लिए प्रदेश में प्रयास हो रहे हैं। साथ ही गो-मूत्र और गोबर के अन्य उपयोग भी हैं, इन्हें शामिल कर गो-शालाओं को बहुआयामी बना कर उन्हें आत्म-निर्भर बनाने की दिशा में कार्य किया जाएगा। शहर और ग्रामों में पौध-रोपण के लिए स्थान निर्धारित किए जाएंगे। इन स्थानों की देख-रेख पंचायत तथा नगरीय निकाय करेंगे। यह स्थान गो-वंश के लिए भी सुरक्षित होंगे।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि रासायनिक खाद और कीटनाशकों के उपयोग से हो रही खेतों की दुर्दशा को रोकने के लिए प्राकृतिक खेती को अपनाना आवश्यक है। सभी किसान भाई अपनी-अपनी कृषि भूमि के एक भाग में प्राकृतिक खेती को अपनाएँ। मध्यप्रदेश में जीडीपी की गणना में ग्रास एनवायरमेंटल प्रोडक्ट को भी जोड़ा जाएगा। प्राकृतिक संसाधन, वन और जैव विविधता को भी जीडीपी में शामिल किया जाएगा। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि राज्य सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए हर संभव प्रयास करेगी। प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रखना समय की मांग है। गोवर्धन पूजा कर्मकांड नहीं प्रकृति के संरक्षण का अभियान है। समाज और सरकार मिल-कर धरती बचाने का संकल्प लें।
इस्कॉन संस्था के गोरांग दास जी ने कहा कि मुख्यमंत्री चौहान द्वारा पर्यावरण हितैषी जीवन-शैली को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से आयोजित सामाजिक नेतृत्व के इस कार्यक्रम की अवधारणा सराहनीय है। मानव समाज में भ्रांतियाँ विद्यमान हो गई हैं कि धन ही सुख का आधार है, तकनीक से शांति प्राप्त की जा सकती है, अस्त्रों से सुरक्षित रह जा सकता है, भूमि से भोग की सभी सामग्री प्राप्त की जा सकती है और अपशिष्ट के लिए पृथ्वी का निर्बाध उपयोग किया जा सकता है। जिससे प्राकृतिक व मनुष्य का आतंरिक पर्यावरण बिगड़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ, जन-सामान्य में आत्म-संयम विकसित करने धर्म गुरुओं का सहयोग ले रही है। जीवन की निरंतरता के लिए पर्यावरण के प्रति नम्रता और कृतज्ञता का भाव आवश्यक है।
पर्यावरण मंत्री हरदीप सिंह डंग ने कहा कि मुख्यमंत्री चौहान की पर्यावरण संवेदी सोच के परिणाम स्वरूप ही गोवर्धन पूजा के कार्यक्रम की संकल्पना साकार हुई। मातृ-भूमि को स्वच्छ सुंदर बनाना हमारा कर्त्तव्य है। प्राकृतिक संपन्नता से ही प्रदूषण की समस्या के समाधान का मार्ग प्रशस्त होता है। प्रदेश में अंकुर अभियान में 16 लाख लोगों द्वारा पंजीयन कराया गया है।
पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन (एप्को) तथा मध्यप्रदेश जनअभियान परिषद द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में सभी जिले और विकासखंड वर्चुअली शामिल हुए। विभिन्न टी.वी. चैनलों और सोशल मीडिया प्लेटफार्मस से भी लोग कार्यक्रम से जुड़ें। कार्यक्रम में अंकुर अभियान के प्रतिभागी और ग्राम पंचायतों में प्रस्फुटन समितियों के सदस्य सहभागी रहें। गोवर्धन-पूजा के राज्य स्तरीय कार्यक्रम में प्रदेश की सभी गोशालाएँ, कृषि विज्ञान केन्द्र, कृषि प्रशिक्षण केन्द्र, कृषि उपज मंडियाँ, नाबार्ड के एफपीओ, सहकारी समितियाँ, कृषि महाविद्यालय और विश्वविद्यालय वर्चुअली शामिल हुए।