भोपाल : प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार में सराहनीय कार्य हुआ है। यह जानकारी केन्द्र शासन के विशेष दल द्वारा सीधी एवं सिंगरौली जिले में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के निरीक्षण के बाद दिये प्रतिवेदन में दी गई।
केन्द्र सरकार के विशेष दल द्वारा इस वर्ष सीधी और सिंगरौली जिले की स्वास्थ्य संस्थाओं का भ्रमण किया गया। भ्रमण के बाद दल ने दिये प्रतिवेदन में बताया कि आयुष, एचडब्ल्यूसी, स्वास्थ्य संस्थाओं में पैथालॉजी लेब, डायलिसिस उपकरण के रख-रखाव, योजनाओं के क्रियान्वयन के साथ ही एनआरसी में भर्ती कुपोषित बच्चों की प्रगति की मॉनीटरिंग के लिये एनआरसी, एमआईसी पोर्टल का संधारण बहुत अच्छे से किया गया है। दल द्वारा बताया गया कि स्वास्थ्य संस्थाओं में शाम की ओपीडी लाभदायक है। जाँच दलों ने बताया कि स्वास्थ्य संस्थाओं में डिजिटल हीमोग्लोबिन मीटर से खून की जाँच की जा रही है, जिससे एनीमिया का समय पर पता कर उपचार किया जा रहा है। एमपी आरोग्यम से सीएचओ की परफार्मेंस को मॉनीटर किया जा रहा है। ममता कॉर्नर, सुमन डेस्क और जननी एक्सप्रेस महिलाओं के लिये मददगार साबित हो रही हैं।
जाँच दल ने बताया कि टी.बी. मुक्त भारत बनाये जाने के लिये टी.बी. की जाँच और उपचार की व्यवस्था ग्राम स्तर तक सुनिश्चित की जाए। विभागीय संरचना में हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर पर पदस्थ कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर की भूमिका को सशक्त बनाया जाए। इनके माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए, जिससे कि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम किया जा सके। प्रतिवेदन में जाँच दल ने बताया कि जिले और राज्य की जरूरतों के लिये आईटी पोर्टल का विकास किया जाए।
केन्द्र सरकार के विशेष जाँच दल ने प्रतिवेदन का प्रस्तुतिकरण एम.डी. एनएचएम सुश्री प्रियंका दास की अध्यक्षता में एनएचएम मुख्यालय में हुई कॉमन रिव्यू मीटिंग में दिया गया। सीधी जिले में भ्रमण करने वाले केन्द्र शासन के विशेष दल में डॉ. एम.ए. बालसुब्रमण्यम, एडवाइजर सीपीसीएससी और जिला सिंगरौली में सुश्री रंगोली पाठक उप संचालक एमएमपी सेल केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय टीम लीडर थी। केन्द्र सरकार के विशेष दल द्वारा जिलों में 5 दिवसीय भ्रमण किया गया। एम.डी. एनएचएम सुश्री दास ने बताया कि मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिये निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। इसके लिये स्टेट टॉस्क कम्युनिटी बनाई गई है, जिसके द्वारा मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के कार्यक्रमों की मॉनीटरिंग की जा रही है।