Monday, October 7, 2024
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राजधानी में मगरमच्छ व घड़ियाल पर मंडरा रहा खतरा

भोपाल । भोपाल के आसपास कलियासोत, केरवा और बड़े तालाब के बैकवाटर में मगरमच्छ, घड़ियाल की अच्छी खासी संख्या हो गई है, लेकिन इनमें से कोई भी क्षेत्र बाउंड्रीवाल युक्त नहीं है। यही वजह है कि ये आए दिन पानी से निकलकर बाहर आबादी वाले इलाकों व सड़कों तक पहुंच रहे है। ये इस तरह आबादी की ओर व सड़कों पर निकले तो इनकी जान को खतरा तय है। इन तमाम आशंकाओं को देखते हुए भोपाल सामान्य वन मंडल ने गर्मी में मगरमच्छ, घड़ियाल सर्वे करवाया था। जिसमें 15 दिन तक वन अमले ने मेहनत की थी। बाहर से बुलाए कई विशेषज्ञ ने सर्वे में हिस्सा लिया था। सर्वे के लिए संसाधन जुटाने पर लाखों रुपए खर्च किए गए थे। इस तरह सर्वे रिपोर्ट आई तो पता चला कि भोपाल के आसपास 22 मगरमच्छ व दो घड़ियाल है और इनकी सुरक्षा की सख्त जरूरत है इसको लेकर भोपाल सामान्य वन मंडल ने बाकायदा प्लान तैयार किया और वन्य प्राणी विभाग को भेजा था लेकिन इस पर आज पर्यंत तक सहमति नहीं बनी है। जिसके कारण इन पर खतरा बना हुआ है। मालूम हो कि भोपाल के आसपास पाए जाने वाले मगरमच्छ व घड़ियाल की संख्या और उनकी स्थिति पता करने के लिए सर्वे के नाम पर लाखों रुपये खर्च किए हैं, लेकिन इन प्राणियों की सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं। इन्हें खतरा बढ़ता जा रहा है। इनकी मौजूदगी वाले क्षेत्रों को चिन्हित करके वहां तार फेंसिंग, बाउंड्रीवाल जैसे काम करने हैं। वरिष्ठ स्तर से स्वीकृति नहीं मिलने के कारण ये काम नहीं किए जा रहे हैं। इसमें उदासीनता बरती गई तो इनकी बढ़ती संख्या को नुकसान पहुंचना तय है। नुकसान पहुंचने की कई वजह हो सकती है। सर्वे बीती गर्मी में कराया था। तब 22 मगरमच्छ व दो घड़ियाल मिले थे।इस बारे में  भोपाल सामान्य वन मंडल के डीएफओ आलोक पाठक का कहना है कि मगरमच्छ व घड़ियालों की सुरक्षा की चिंता नहीं होती तो सर्वे ही नहीं कराते है। सर्वे से कुछ न कुछ तो फायदा हुआ ही है। आगे जैसे ही सहमति बनेगी, उस अनुरूप काम करेंगे। उधर भदभदा क्षेत्र में तीन बार मगरमच्छ बड़े तालाब के बेक वाटर से निकलकर सड़कों तक पहुंच चुके हैं, जहां वाहनों की चपेट में आने से नुकसान हो सकता है। गर्मी के दिनों में पानी कम हो जाता है, लोग बड़ी संख्या में मच्छलियां मारते हैं। जिसकी वजह से इन्हें पर्याप्त भोजन नहीं मिल पाता है। ये पानी से निकलकर आबादी वाले क्षेत्रों में भी प्रवेश करते हैं, जहां रहवासी बचाव में इन पर हमला कर सकते हैं।

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