जबलपुर । रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय (रादुविवि) शनिवार १२ नवंबर को सख्त पहरे के बीच बैकलॉग शिक्षको के ७० पदों पर बैकलॉग भर्ती प्रक्रिया के तहत आयोजित साक्षात्कार लिए गए। इसी दौरान छात्र संगठन एनएसयूआई ने भी जबरदस्त विरोध जताया, सुबह-सुबह पहुंचे छात्र नेताओं ने नारेबाजी की। ये छात्र साक्षात्कार प्रक्रिया का विरोध कर रहे थे। बताया गया है कि साक्षात्कार के प्रथम चरण में इतिहास विभाग के लिए विज्ञापित एक पद के लिए विश्वविद्यालय को प्राप्त आवेदनों की स्क्रीनिंग के बाद कुल ९ अभ्यार्थियों को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया था, सभी को १२ नवंबर की सुबह ९ बजे कुलपति कार्यालय में उपस्थित होने के निर्देश दिए गए थे। लिहाजा निर्धारित समय पर सभी अभ्यार्थी पहुंच गए थे।
अगस्त २०२१ में निकली थी भर्ती…….
रादुविवि ने १९ अगस्त २०२१ को प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर एवं असिसटेंट प्रोफेसर के बैक लॉक श्रेणी में आने वाले रिक्त पदों की भर्ती के लिए सूचना जारी की थी। विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से जारी सूचना के तहत अक्टूबर माह तक पात्र अभ्यार्थियों को आवेदन जमा करने का मौका दिया गया था। विश्वविद्यालय ने प्रोफेसर के १३ पदों के लिए सूचना जारी की थी जिसमें एसटी के लिए ५, एससी के ३ एवं ओबीसी वर्ग के लिए ४ पदों को आरक्षित किया था। इसी प्रकार एसोसिएट प्रोफेसर के २७ पदों लिए एसटी के ११, एससी के ९ एवं ओबीसी के ७ वर्ग लिए आरक्षित किए गए था। सबसे ज्यादा असिस्टेंट प्रोफेसर के ३० रिक्त पदों के लिए एसटी वर्ग के लिए १२, एससी के लिए ९ एवं ओबीसी के लिए ९ पदों को आरक्षित किया गया था।
एनएसयूआई ने प्रक्रिया पर उठाए सवाल……………
शनिवार को एक बार फिर रादुविवि में एक तरफ साक्षात्कार तो दूसरी तरफ एनएसयूआई का प्रदर्शन चल रहा था। हो-हल्ले के बीच रादुविवि के कुलपति प्रो.कपिल देव मिश्र स्वयं बाहर आए और छात्र नेताओं से चर्चित की। प्रों. कपिल देव मिश्र ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया नियमानुसार की जा रही है तो वहीं एनएसयूआई पदाधिकारियों ने भर्ती प्रक्रिया में कई सवाल उठाए। एनएसयूआई पदाधिकारियों का आरोप है कि शैक्षणिक पदों पर बैकलॉग भर्ती के लिए २०१९ के रोस्टर एवं विज्ञापन के अनुसार भर्ती प्रक्रिया आयोजित कराई जा रही है जो कि पूर्णत: नियमों का उल्लंघन है। वर्ष २०१४ में विश्वविद्यालय द्वारा शैक्षणिक पदो पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। लेकिन मप्र हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर होने के बाद भर्ती प्रक्रिया थम गई थी। जनहित याचिका अभी भी लंबित है। नियम है कि पूर्व विज्ञापन को रद्द किए बिना नए रोस्टर एवं विज्ञापन को जारी नहीं किया जा सकता, परंतु रादुविविप्रशासन मनमाने ढंग से कार्य करते हुए अवैध रूप से भर्ती प्रक्रिया आयोजित करवा रहा है। वहीं दूसरी ओर २०१९ में विश्वविद्यालय द्वारा बनाए गए रोस्टर में विश्वविद्यालय शिक्षण विभाग को एक इकाई माना गया था, परंतु केंद्र सरकार ने इस नियम में संशोधन किया और नए नियमानुसार विश्वविद्यालय को एक इकाई मानने का नियम है। अब चूंकि विश्वविद्यालय २०१९ के रोस्टर के आधार पर भर्ती कर रहा है और यह रोस्टर शासन के नियम के खिलाफ है इसलिए इसे रद्द किया जाना चाहिए। प्रदर्शन के दौरान सागर शुक्ला, शाहनवाज अंसारी, अदनान अंसारी, अभिषेक सेठी सहित बड़ी संख्या में छात्र उपस्थित थे।