Sunday, September 24, 2023
Homeराज्‍यमध्यप्रदेशहाईकोर्ट का फैसला : सभी दिव्यांगता प्रमाण पत्र की जांच जरूरी, जरूरत...

हाईकोर्ट का फैसला : सभी दिव्यांगता प्रमाण पत्र की जांच जरूरी, जरूरत पड़े तो पुलिस का सहयोग ले

ग्वालियर। मध्य प्रदेश में दिव्यांगता प्रमाण पत्र के कारण नौकरी पाने वाले लोगों के प्रति हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। ग्वालियर में मेडिकल अथॉरिटी ने दिव्यांग का प्रमाण पत्र जारी किया है। लिहाजा उनके प्रमाणपत्र की दोबारा जांच का नियम नहीं है। हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि वास्तविक दिव्यांगों की पहचान करने के लिए मध्यप्रदेश के सभी चयनित दिव्यांग अभ्यर्तियों के प्रमाण पत्रों की जांच कराना जरूरी है। साथ ही हाईकोर्ट ने लोक शिक्षण आयुक्त से कहा कि अगर जांच जरूरत पड़े तो जांच में पुलिस का भी सहयोग ले।

लोक शिक्षण संचालनालय के आयुक्त अनुभव श्रीवास्तव ने 13 जून 2023 को एक आदेश जारी किया था। दरअसल ये आदेश में दिव्यांग कोटे से नोकरी हासिल करने वाले अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों की दोबारा जांच कराने का आदेश था। इस आदेश के खिलाफ ग्वालियर निवासी शिक्षक धर्मेंद्र रावत ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

कोर्ट ने किया याचिका को खारिज

बता दें, आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय की आयुक्त अनुभा श्रीवास्तव ने 13 जून को एक आदेश जारी किया था। इसे चुनौती देते हुए धर्मेंद्र ने हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में याचिका दायर की थी। धर्मेंद्र ने कहा था कि 16 दिसंबर 2019 को ग्वालियर की मेडिल अथॉरिटी ने दिव्यांगता प्रमाण पत्र जारी किया। एक बार नियुक्ति होने के बाद कानून में दिव्यांगता प्रमाण पत्र को पुन: जांचने या फिर मेडिकल बोर्ड के समक्ष टेस्ट देने का प्रावधान नहीं है। कोर्ट को बताया गया कि याचिकाकर्ताका विदिशा जिले के ब्लॉक लटेरी शिक्षक के पद पर सिलेक्शन हुआ है। अतिरिक्त महाधिवक्ता विवेक खेडकर ने मुरैना में हुए फर्जीवाड़े की जानकारी दी। बताया गया कि लगभग 75 लोगों के खिलाफ फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र मामले में एफआईआर दर्ज कराई गई है। सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments