Sunday, April 27, 2025
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सिवनी मालवा बलात्कार-हत्या मामले में मिला इंसाफ, जज ने दोषी को फांसी की सजा सुनाते हुए लिखी कविता

सिवनी मालवा: सिवनी मालवा के नयापुरा में 6 साल की मासूम बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के मामले में शुक्रवार को कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए महज 88 दिन में बच्ची को न्याय दिलाया। महिला जज ने आरोपी को फांसी की सजा सुनाई। इस घटना को रिकॉर्ड किया गया और महज 88 दिन में फैसला सुनाया गया और आरोपी पर 3 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया और बच्ची के माता-पिता को 4 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया गया।

सोती हुई बच्ची को उठा ले गया था आरोपी

2 जनवरी 2025 की रात 6 साल की मासूम से दुष्कर्म और हत्या की घटना सामने आई है। आरोपी अजय बाडिवा उर्फ ​​धुर्वे ने इस वारदात को अंजाम दिया। वह पीड़िता के मामा के घर में पलंग के नीचे सो रहा था, जहां बच्ची आई हुई थी। जब बच्ची की मां और मामा ने उसे घर से बाहर निकाल दिया तो वह रात में फिर घर में घुस गया और सो रही बच्ची को उठाकर जंगल में ले गया। वहां उसने नहर के किनारे बच्ची के साथ दुष्कर्म किया और उसकी हत्या कर दी। जिला अभियोजन अधिकारी राजकुमार नेमा ने इस मामले की जानकारी दी है। 2 जनवरी की रात आरोपी अजय बाडिवा (धुर्वे) घर में सो रही बच्ची को जंगल में ले गया। नहर के किनारे उसने उसके साथ दुष्कर्म किया और गला दबाकर उसकी हत्या कर दी। जिला अभियोजन अधिकारी राजकुमार नेमा ने बताया कि 2 जनवरी 2025 को बच्ची अपने मामा के घर आई थी। आरोपी उसी घर में पलंग के नीचे सो रहा था, जिसे बच्ची की मां और मामा ने भगा दिया। अजय ने जाते समय कहा कि मुझे एक बच्ची दे दो। इसके बाद मां ने बच्ची को सुला दिया। कुछ देर बाद आरोपी बच्ची को उठाकर ले गया। जंगल में ले जाकर दुष्कर्म किया और उसकी हत्या कर दी। बच्ची की मां ने आरोपी पर शक जताया था। पुलिस ने उसी रात आरोपी को गांव से गिरफ्तार कर लिया। उसने दुष्कर्म कर हत्या करना कबूल कर लिया। जज ने फैसले में बच्ची के दर्द पर एक कविता भी लिखी…

सरकार की ओर से विशेष लोक अभियोजक मनोज जाट ने पैरवी की। सिवनी मालवा के अधिवक्ताओं ने आरोपियों का केस न लड़ने का ऐलान किया था। लोगों ने आरोपियों को फांसी की सजा दिलाने के लिए प्रदर्शन भी किया।

जज की कविता… हां, एक और निर्भया:

2 और 3 जनवरी की थी वो दरमियानी रात जब कोई नहीं था मेरे साथ। इठलाती, नाचती छः साल की परी थी, मैं अपने मम्मी-पापा की लाडली थी। सुला दिया था उस रात बड़े प्यार से मां ने मुझे घर पर, पता नहीं था नींद में मुझे ले जाएगा।। “वो” मौत का साया बनकर। जब नींद से जागी तो बहुत अकेली और डरी थी मैं, सि​सकियां लेकर मम्मी-पापा को याद बहुत कर रही थी मैं। न जाने क्या-क्या किया मेरे साथ, मैं चीखती थी, चिल्लाती थी, लेकिन किसी ने न सुनी मेरी आवाज़। थी गुड़ियों से खेलने की उम्र मेरी, पर उसने मुझे खिलौना बना दिया। “वो” भी तो था तीन बच्चों का पिता, फिर मुझे क्यों किया अपनों से जुदा। खेल-खेलकर मुझे तोड़ दिया, फिर मेरा मुंह दबाकर, मसला हुआ झाड़ियों में छोड़ दिया। हां मैं हूं निर्भया, हां फिर एक निर्भया, एक छोटा सा प्रश्न उठा रही हूं जो नारी का अपमान करे क्या इंसाफ निर्भया को मिला वह मुझे मिल सकता है। -तबस्सुम खान, विशेष न्यायाधीश

न्यायाधीश ने बच्ची के दर्द पर लिखी कविता

बताया जा रहा है कि बच्ची की मां और मामा ने आरोपी अजय को भगा दिया था, लेकिन जाने से पहले उसने कहा था कि बच्ची मुझे दे दो। इसके बाद मां ने बच्ची को सुला दिया और कुछ देर बाद आरोपी बच्ची को उठाकर जंगल में ले गया और दुष्कर्म कर उसकी हत्या कर दी। बच्ची की मां ने आरोपी पर शक जताया था। पुलिस ने उसी रात आरोपी को गांव से गिरफ्तार कर लिया। उसने दुष्कर्म कर हत्या करने की बात कबूल कर ली। जज ने फैसले में बच्ची के दर्द पर कविता भी लिखी…

सरकार की ओर से विशेष लोक अभियोजक मनोज जाट ने पक्ष रखा। सिवनी मालवा के वकीलों ने आरोपियों का केस न लड़ने का ऐलान किया था। लोगों ने आरोपियों को फांसी की सजा दिलाने के लिए प्रदर्शन भी किया था।

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