भोपाल (पंकज पाठक)। मध्य प्रदेश के धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटन नगर उज्जैन को हरिद्वार और वाराणसी की बराबरी पर लाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने प्राण-प्राण से कार्य प्रारंभ कर दिया है । इसके साथ-साथ प्रदेश के अन्य धार्मिक स्थलों का भी विकास किया जाएगा । मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने धर्म को प्राथमिकता में रखा है और इसके लिए धर्मस्व विभाग का बजट 4 हज़ार करोड़ रुपये कर दिया है । याने धर्मस्व विभाग की यह धनराशि बढ़ाकर दोगुनी कर दी गई है । धर्मस्व विभाग का मुख्यालय राजधानी भोपाल से उज्जैन स्थानांतरित कर दिया गया है । तत्कालीन मुख्यमंत्री उमा भारती ने प्रदेश के 13 शहरों को धार्मिक नगरी घोषित किया था । नई सरकार द्वारा महाकालेश्वर (उज्जैन), ओंकारेश्वर के मंदिर, आदि-शंकराचार्य की प्रतिमा (खंडवा), सलकनपुर (सीहोर), पीतांबरा पीठ (दतिया) चित्रकूट, मैहर की शारदा भवानी, (सतना), अमरकंटक (अनूपपुर) और शनिश्चरा मंदिर (ग्वालियर) के विकास की योजना बनाई जा रही है ।
लेकिन इससे हटकर उज्जैन का समग्र विकास किया जा रहा है । देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन के महाकालेश्वर का महाकाल लोक के रूप में विस्तार इसी महत्वाकांक्षी योजना का एक हिस्सा है । महाकाल लोक के लिए 850 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया है । अभी पहले चरण का कार्य समाप्त हुआ है और इसमें से अभी सिर्फ़ आधी राशि ही ख़र्च हुई है । इसके बाद उज्जैन में तीर्थयात्रियों की संख्या में इतनी बढ़ोतरी हुई कि उसने देश के सभी धार्मिक स्थलों में दर्शनार्थ आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या का कीर्तिमान भंग कर दिया है । प्रतिदिन तीर्थयात्रियों की संख्या की दृष्टि से उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर इस समय टॉप पर है । यही कारण है कि ये उज्जैन में अनेक प्रकार के व्यवसाय बहुत अच्छे से चल रहे हैं और लोगों की क्रयशक्ति में भी इज़ाफ़ा हुआ है ।
इतना ही नहीं, अत्यधिक विकास कार्यों के कारण ज़मीनों के भाव भी काफ़ी बढ़ गए हैं ।लेकिन योजनाओं पर कार्य जारी है। कृष्ण पाथेय न्यास और वीर भारत न्यास के अलावा गुरु सांदीपनि महागुरुकुल की स्थापना बड़ी परियोजनाएँ हैं । पुण्य सलिला शिप्रा के जीर्णोद्धार का महती कार्य भी है । 12 वर्षों में एक बार होने वाले सिंहस्थ महापर्व (कुंभ) के लिए स्थाई नगर बसाकर उसमें स्थाई निर्माण कार्य कराने की एक अलग योजना भी प्रस्तावित हुई है । उज्जैन में महाकवि कालिदास, राजा भर्तृहरि, महाराजा विक्रमादित्य, वराह मिहिर, वररुचि, हरसिद्धि, गढ़की-कालिका, नगरकोट की रानी, मंगलनाथ, सिद्धनाथ, कालभैरव, विक्रांत भैरव, चिंतामन गणेश, इच्छामन गणेश, बड़े गणेश, गंगाघाट, खेड़ापति हनुमान, चौरासी महादेव, चौबीस खंबा देवी आदि देवस्थलियों का ऐतिहासिक विकास किया जाना प्रस्तावित है ।
उज्जैन का थिंक टैंक “हम विक्रम”
उज्जैन के बुद्धिजीवियों का एक समूह है.. “हम विक्रम” , जिसने मुख्यमंत्री को उज्जैन के सर्वांगीण विकास के लिए आग्रह किया था । वे “हम विक्रम”की बैठक में भी आए थे और उन्होंने इस पर अपनी सहमति व्यक्त की थी । तब वे प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री थे । “हम विक्रम” के साथ उनके विधायक बैठक होने जा रही है, जिसमें यह थिंक टैंक अपने सुझाव उन्हें विस्तार से प्रस्तुत करेगा । यह समूह राष्ट्रीय स्तर पर उज्जैन का धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटन स्थल के रूप में विकास चाहता है ।
(जनसंदेश टाइम्स, लखनऊ एवं newsyday.com से साभार)