Saturday, July 27, 2024
Homeराज्‍यमध्यप्रदेशMP: स्वच्छता सर्वे में लगातार 7वें साल इंदौर पहले नंबर पर, सबसे...

MP: स्वच्छता सर्वे में लगातार 7वें साल इंदौर पहले नंबर पर, सबसे स्वच्छ राज्यों में मप्र का दूसरे स्थान

MP News: स्वच्छता सर्वे में लगातार 7वें साल इंदौर पहले नंबर पर, सबसे स्वच्छ राज्यों में मप्र का दूसरे स्थान स्वच्छ सर्वे 2023 के नतीजे घोषित कर दिए गए। नई दिल्ली के भारत मंडपम कन्वेंशन सेंटर में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु विजेताओं को पुरस्कार प्रदान कर रही हैं। इस कार्यक्रम में शिरकत करने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, नगरीय एवं विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, राज्यमंत्री श्रीमती प्रतिमा बागरी भी दिल्ली पहुंचे हैं। स्वच्छता रैंकिंग में मप्र को दूसरे सबसे स्वच्छ राज्य का दर्जा मिला है। महाराष्ट्र इस मामले में पहले नंबर पर आया है। प्रदेश भर में आम लोगों से मिली प्रतिक्रिया (फीडबैक), स्वच्छता को लेकर प्रदेश भर में चलाई गई परियोजनाएं, बजट आवंटन आदि के आधार पर प्रदेशों की स्वच्छ रैकिंग तय की जाती है। स्वच्छ राज्यों में छत्तीसगढ़ तीसरे नंबर पर रहा। पिछले साल मप्र को देश का सबसे स्वच्छ राज्य चुना गया था, वहीं छत्तीसगढ़ दूसरे नंबर पर था। इस तरह दोनों राज्यों की रैंकिंग एक-एक पायदान गिरी है। भोपाल को देश की स्वच्छतम राज्य राजधानी का खिताब मिला है। भोपाल ने पिछले साल भी यह तमगा हासिल किया था।

भोपाल पांचवां सबसे स्वच्छ शहर

देश के 10 लाख से अधिक आबादी वाले महानगरों की श्रेणी में भोपाल को देश का पांचवां सबसे स्वच्छ शहर चुना गया। महापौर मालती राय के साथ नगर निगम कमिश्नर फ्रेंक नोबल ए ने राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कार ग्रहण किया। पिछले साल भोपाल देश के सबसे स्वच्छ शहरों में छठवें नंबर पर रहा था। वहीं वर्ष 2017 और 2018 में लगातार दो साल देश में दूसरी रैंक हासिल की थी।

निजी एजेंसियों को काम सौंपने से पिछड़ते रहे

बता दें कि भोपाल शहर की वर्तमान आबादी 24 लाख पहुंच गई है। निगम के 19 जोन व 85 वार्ड में साफ-सफाई का जिम्मा नगर निगम के नौ हजार कर्मचारियों के पास है। जिसमें से सात हजार कर्मचारी सिर्फ स्वास्थ्य विभाग में दैनिक वेतनभोगी हैं। हर जोन में एक प्रभारी सहायक स्वास्थ्य, हर वार्ड में एक दरोगा और हर वार्ड में 25 से 30 कर्मचारी रोजाना साफ-सफाई करते हैं। लेकिन निगम अधिकारी सिर्फ एनजीओ और सलाहकारों पर निर्भर हैं। कर्मचारियों के श्रम से ज्यादा एनजीओ को तबज्जो दी जाती है। इसलिए नगर निगम स्वच्छता के मामले में अपेक्षित सुधार नहीं कर पा रहा है।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments