भोपाल। शिवराज सरकार प्रदेश में अवैध रूप से संचालित मदरसों को लेकर सख्त है। अब मदरसे मनमर्जी से संचालित नहीं किए जा सकेंगे। अवैध रूप से संचालित मदरसों पर शिकंजा कसने के लिए सरकार इनका पंजीयन अनिवार्य करने जा रही है। साथ ही मदरसों में आधुनिक शिक्षा देना भी अनिवार्य किया जाएगा। इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग पॉलिसी तैयार करेगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देशों के बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने इस दिशा में तैयारी शुरू कर दी है। प्रदेश में मदरसा बोर्ड में रजिस्टर्ड मदरसों की संख्या 2689 है। इनमें से प्रत्येक मदरसे को प्रदेश सरकार की ओर से सालाना 25 हजार रुपए की ग्रांट दी जाती है। इनमें 1600 मदरसे ऐसे हैं, जिन्हें प्रदेश सरकार के साथ ही केंद्र से भी ग्रांट मिलती है। एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश में गैर पंजीकृत मदरसों की संख्या 500 से ज्यादा है।
दरअसल, मध्य प्रदेश में अभी मदरसों का पंजीयन कराना अनिवार्य नहीं है। सिर्फ वे ही लोग मदरसा का पंजीयन कराते हैं, जो ग्रांट लेना चाहते हैं। यही वजह है कि प्रदेश में मदरसों की वास्तविक संख्या कितनी है, वहां बच्चों को क्या तालीम दी जा रही है, बच्चों की संख्या कितनी है, उन्हें फंडिंग कहां से हो रही है आदि का लेखा-जोखा सरकार के पास नहीं है। इस कारण सरकार मदरसों पर कोई कार्रवाई भी नहीं कर पाती। स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सबसे पहले मदरसों का सर्वे कराया जाएगा। सर्वे के दौरान यह देखा जाएगा कि संबंधित मदरसा पंजीकृत है या नहीं। इसके अलावा मदरसा कब से चल रहा है, इसका संचालन करने वाली संस्था का नाम, जिस भवन में मदरसा चलाया जा रहा है, वह निजी है या किराए का है, वहां पढ़ रहे छात्र-छात्राओं की संख्या, उनकी उपस्थिति, फर्नीचर, पानी की व्यवस्था, मदरसे में शिक्षकों की संख्या, छात्र-छात्राओं को किस तरह की सुविधाएं मिल रही हैं इन सबके बारे में जानकारी एकत्रित की जाएगी। इस दौरान जो भी मदरसा पंजीकृत नहीं पाया जाएगा, उसे तत्काल प्रभाव से बंद करने की कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में मदरसा चलाने के लिए पंजीयन कराना अनिवार्य होगा। यदि कोई व्यक्ति कहता है कि बिना पंजीयन कराए और सरकार से अनुदान लिए बगैर मदरसा संचालित करना चाहता है, तो उसे इसकी अनुमति नहीं दी जाएगी।
सीएम ने यह कहा था
मुख्यमंत्री चौहान ने चार दिन पूर्व कानून व्यवस्था की समीक्षा करते हुए कहा था, कट्टरता और अतिवाद बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रदेश में अवैध मदरसे, संस्थान जहां कट्टरता का पाठ पढ़ाया जा रहा है, उसका रिव्यू किया जाएगा। समाज का माहौल खराब करने वालों को किसी तरह की मोहलत नहीं दी जा सकती।
बीजेपी-कांग्रेस आमने सामने
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश के बाद स्कूल शिक्षा विभाग एक्टिव मोड पर आ गया है। इधर मदरसे को लेकर बीजेपी-कांग्रेस आमने सामने आ गई है। कांग्रेस मीडिया प्रभारी केके मिश्रा का बयान सामने आया है। उन्होंने सरकार से आधुनिकता की परिभाषा स्पष्ट करने के लिए कहा है। उन्होंने सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि सरकार की नजर में आधुनिकता की परिभाषा क्या है ? मिश्रा ने कहा कि पहले यह स्पष्ट होना चाहिए इतिहास बदलना क्या आधुनिकता की परिभाषा है, समाज में वैमनस्यता फैलाना क्या आधुनिकता की परिभाषा है। वहीं इस पर बीजेपी प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा का भी बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि आधुनिक शिक्षा में कट्टरता का कोई स्थान नहीं है। इतिहास के नाम पर सिर्फ मुगलकाल बताया जाता है। कांग्रेस पिछड़ी मानसिकता की सोच वाली है। सलूजा ने कहा कि आधुनिक शिक्षा के नाम पर कांग्रेस के पेट में दर्द होता है।