MP News: मध्यप्रदेश में लोकायुक्त की अधिकांश कार्रवाई छोटे कर्मियों पर ही होती हैं। इनके पास से ही करोड़ों की संपत्ति मिलती है। लोकायुक्त की कार्रवाई में चपरासी और क्लर्क जैसे सरकारी कर्मियों की संपत्ति होश उड़ा देती है। इनकी सैलरी 35-40 हजार रुपए होती है लेकिन ठाठ करोड़पति जैसे होते हैं। 2011 में लोकायुक्त ने उज्जैन नगर निगम के एक चपरासी के घर छापेमारी की थी तो करोड़ों की संपत्ति का खुलासा हुआ था। आइए आपको एमपी के भ्रष्ट छोटे पदों वाले कर्मचारियों की संपत्ति के बारे में बताते हैं, जिनके ठाठ करोड़पति जैसे रहे हैं।
अशफाक अली
550 रुपए की सैलरी से स्वास्थ्य विभाग में नौकरी शुरू करने वाले अशफाक अली के पास 10 करोड़ की संपत्ति है। अशफाक सरकारी सेवा से क्लर्क रहते हुए 2021 में रिटायर हुआ है। उस वक्त सैलरी करीब 45 हजार रुपए थे। उसकी रईसी देखकर लोकायुक्त की आंखें फटें रह गईं। मंगलवार को लोकायुक्त की टीम स्वास्थ्य विभाग से रिटायर क्लर्क अशफाक अली के ठिकानों पर छापेमारी की है। एमपी के तीन शहरों में उसके पास घर और प्लॉट हैं। इसके साथ ही 10 करोड़ से अधिक की संपत्ति है। घर का इंटीरियर अरबपतियों जैसे हैं। साथ ही रईसी के लिए घर में रसियन बिल्ली पाल रखे थे, जिनके लिए एसी कमरा है। ऐसे में सवाल है कि क्लर्क जैसे पद पर रहकर उसने इतनी कमाई कैसे की।
चपरासी नरेंद्र देशमुख
देशमुख 1980 में बतौर चपरासी भर्ती हुआ था। 2011 में 31 साल उसे नौकरी करते हो गए थे। इस दौरान उसे 15 लाख रुपए सैलरी के रूप में मिली थी। 7 दिसंबर 2011 में उज्जैन नगर निगम में पदस्थ चपरासी नरेंद्र देशमुख के घर लोकायुक्त ने छापेमारी की थी। छापेमारी में देशमुख के पास आलीशान मकान, फॉर्म हाउस, महंगी कारें और अन्य चीजों मिली थी। आज से 12 साल पहले उन संपत्तियों की कीमत 10 करोड़ रुपए आंकी गई थी।
आरटीओ संतोष पाल
इसी तरह अगस्त 2022 में लोकायुक्त ने जबलपुर में आरटीओ संतोष पाल के घर पर छापेमारी की थी। आरटीओ बनने से पहले संतोष पाल एलआईसी में चपरासी था। आय से अधिक संपत्ति की शिकायत मिलने के बाद लोकायुक्त ने छापेमारी की तो उसकी शानों-शौकत देखकर हैरान रह गई। उसके घर में फिल्म देखने के लिए थियेटर बना हुआ था। साथ ही कई विदेशी चीजें और कारें मिली थीं।