विदिशा । जिले के तीन पत्रकारों की सलामतपुर के पास भीषण सड़क हादसे में मौत हो गई। घटना सलामतपुर रामाखेड़ा जोड़ पर सोमवार रात करीब साढ़े 9 बजे हुई। तीनों पत्रकार भोपाल में साप्ताहिक अखबार प्रकाशित करने के लिए गए थे, वापस विदिशा लौटते समय ये हादसा हुआ। मरने वालों में विदिशा प्रेस क्लब संघ के अध्यक्ष राजेश शर्मा भी शामिल हैं। जिले में पिछले कई वर्षों से साप्ताहिक अखबार का प्रकाशन करने वाले पत्रकार सुनील शर्मा, नरेंद्र दीक्षित और प्रेस क्लब संघ अध्यक्ष राजेश शर्मा सोमवार को सुबह के समय बाइक से भोपाल गए थे। वे अक्सर अखबार छपवाने के लिए हफ्ते में एक बार भोपाल प्रिंटिंग प्रेस जाया करते थे। सोमवार को वे छपाई का आर्डर देने के लिए गए थे। रात में भोपाल से विदिशा लौटते वक्त सलामतपुर लांबाखेड़ा जोड़ पर एक अज्ञात ट्रक ने टक्कर मार दी। टक्कर इतनी भीषण थी कि बाइक चकनाचूर हो गई और तीनों की मौके पर ही मौत हो गई। दो के शव आसपास ही मिले जबकि एक शव सड़क से करीब 20 फीट दूर मिला। मृतक राजेश शर्मा के तीन बच्चे हैं सबसे छोटा बेटा एक साल का है वह अरिहंत विहार में रहते थे। सुनील शर्मा डंडापुरा में रहते थे उनकी एक बेटी और एक बेटा है पत्नी शिक्षक है। वहीं मृतक नरेंद्र दीक्षित बंटीनगर क्षेत्र में रहते थे। घटना की जानकारी मिलते ही विदिशा से कई साथी पत्रकार और उनके मित्र घटना स्थल पर पहुंच गए थे। सलामतपुर थाना प्रभारी देवेंद्र पाल ने बताया कि तीनों को सांची अस्पताल भेजा गया है। तीनों की मौके पर ही मौत हो गई थी। मौके पर उनकी बाइक मिली है। टक्कर मारने वाले ट्रक चालक को बेरखेड़ी चौराहे के पास पकड़ लिया है।
सीएम शिवराज ने जताया शोक
इस दर्दनाक हादसे पर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने शोक जताते हुए दिवंगतों के प्रति श्रद्धांजलि प्रकट की है। साथ ही उन्होंने मृतकों के परिजनों को 04-04 लाख रुपये सहायता राशि देने की भी घोषणा की। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि विदिशा प्रेस क्लब के अध्यक्ष राजेश शर्मा और पत्रकार साथी सुनील शर्मा एवं नरेंद्र दीक्षित के दुर्घटना में निधन का दुखद समाचार प्राप्त हुआ है। ईश्वर से दिवंगत आत्माओं को अपने श्री चरणों में स्थान और परिजनों को यह गहन दुःख सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना करता हूं। दिवंगत श्री राजेश शर्मा जी, श्री सुनील शर्मा जी और श्री नरेंद्र दीक्षित जी का परिवार स्वयं को अकेला न समझें, दुःख की इस घड़ी में हम सब शोकाकुल परिवार के साथ हैं। राज्य सरकार की ओर से मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपए सहायता राशि प्रदान की जायेगी।
पौन घंटा तक नहीं आई एंबुलेंस, नहीं तो बच जाती एक जान
हादसा भोपाल विदिशा रोड पर हुआ, उस समय विदिशा के सनातन श्री हिंदू उत्सव समिति के अध्यक्ष शैलेंद्र सिंह भी भोपाल से विदिशा आ रहे थे। रास्ते में उन्हें दुर्घटना की जानकारी मिली। उन्होंने बताया कि वे तीनों को देखते ही पहचान गए थे कि ये विदिशा के पत्रकार हैं। वहां पौन घंटा तक कोई एंबुलेंस नहीं आई थी। यदि एंबुलेंस समय पर आती तो नरेंद्र दीक्षित को बचाया जा सकता था। नरेंद्र दीक्षित घायल अवस्था में तड़प रहे थे और बचाने की गुहार लगा रहे थे। लेकिन पुलिस उन्हें अपने वाहन से अस्पताल लेकर नहीं गई। शैलेंद्र के मुताबिक पुलिस बेबस खड़ी दिखाई दे रही थी, पुलिस के अधिकारी नशे में लग रहे थे। शैलेंद्र ने बताया कि मौके पर टूटे कांच पड़े थे लेकिन टक्कर मारने वाला ट्रक गायब था। हमने अपने प्रयास से एंबुलेंस की व्यवस्था की और तीनों को सांची अस्पताल लेकर आए। जहां डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
हादसे से घंटे भर पहले फेसबुक पर लिखा, राम नाम सत्य है
प्रेस क्लब संघ के अध्यक्ष राजेश शर्मा ने घटना से करीब एक घंटे पहले 8 बजकर 55 मिनिट पर फेसबुक पर पोस्ट की जिसमें उन्होंने लिखा कि व्यक्ति अकेला पैदा होता है, अकेला ही मर जाता है और वो अपने अच्छे और बुरे कर्मो का फल खुद ही भुगतता है। वह अकेले ही नरक या स्वर्ग जाता है। जय श्री राम। राम नाम सत्य है। ये लाइनें लिखने के बाद कुछ समय बाद राजेश हादसे का शिकार हो गए। उन्होंने पोस्ट में अपनी एक फोटो भी डाली जो भोपाल तालाब किनारे खींची थी। इसी तरह सुनील शर्मा ने भी भोपाल तालाब किनारे खीचीं गई फोटो से अपनी प्रोफाइल पिक्चर बदली थी।
दूसरे वाहनों को टक्कर मारते भागा वाहन चालक
विदिशा पुलिस कंट्रोल रूम से मिली जानकारी के अनुसार रायसेन की डायल 100 ने बताया कि एक ट्रक ने और भी कई लोगों को टक्कर मारी है। संभवता ट्रक चालक नशे में थे जो टक्कर मारता हुआ चला गया। अन्य घायलों को डायल 100 के माध्यम से सांची अस्पताल लेकर आए हैं। पुलिस सूत्रों के मुताबिक आरोपित ट्रक और चालक को बेरखेड़ी चौराहे के पास पकड़ लिया है।
हेलमेट पहना होता तो बच जाती जान
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि दुर्घटना के बाद तीनों मृतकों के सिर पर गहरी चोट आई थी। उनके चेहरे खून से सने हुए थे। उनकी पहचान करना मुश्किल हो रहा था। स्थानीय पुलिस अधिकारियों का कहना था कि मृतक हेलमेट नहीं पहने थे, यदि हेलमेट पहने होते तो शायद जान बच सकती थी।