Pushkar Mela: राजस्थान में अजमेर जिले के पुष्कर में लगने वाले अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेले की अपनी एक अलग ही पहचान है। इस पुष्कर मेले में देसी-विदेशी सैलानी हर साल घूमने के लिए आते हैं। वहीं, यहां का पशु मेला भी अपनी एक अलग पहचान रखता है। अंतर्राष्ट्रीय पुष्कर मेले में हर साल की तरह इस बार भी करोड़ों की कीमत के भैंसे बिकने और ब्रीडिंग के लिए आ चुके हैं। मेले का सबसे बड़ा आकर्षण है भैंसा अनमोल। हरियाणा (सिरसा) से आए इस भैंसे के मालिक ने इसकी कीमत 11 करोड़ लगाई है। उनका दावा है कि अनमोल की देखरेख पर वे हर महीने ढाई से तीन लाख रुपये खर्च करते हैं।
अनमोल का वजन करीब 1570 किलो
हरविंदर का यह भी दावा है कि आठ साल के अनमोल के ब्रीडिंग के जरिए अब तक 150 बच्चे हो चुके हैं। 5.8 फीट ऊंचे मुर्रा नस्ल के अनमोल का वजन करीब 1570 किलो है। पिछले साल इसका वजन 1400 किलो था। उनका दावा है कि महीने भर में अनमोल का 8 लाख का सीमन बेच देते हैं। इसके सीमन से पैदा होने वाली भैंस का वजन 40 से 50 किलो रहता है।
हर महीने 2.5 से 3 लाख खर्च
अनमोल की खुराक और अन्य खर्चे मिलकर हर महीने 2.50 से 3 लाख रुपये खर्च होते हैं। इसे रोजाना एक किलो घी, पांच लीटर दूध, एक किलो काजू-बादाम, छोले और सोयाबीन खिलाए जाते हैं।अनमोल के साथ 2 लोग हमेशा रहते हैं, जिन्हें अलग से सैलरी दी जाती है। भैंसे के मालिक ने दावा किया कि जब साल 2022 में अनमोल को लाए थे तो 2.30 करोड़ कीमत आंकी गई थी। इस बार ‘अनमोल’ की कीमत 11 करोड़ रुपये लगाई है।
अनमोल हरियाणा के झज्जर मेले में चैंपियन रह चुका
हरविंदर ने बताया कि उनका अनमोल हरियाणा के झज्जर मेले में चैंपियन रह चुका है। इसके साथ ही वह अलग-अलग क्राउन भी जीत चुका है। हरविंदर बताते हैं कि यहां घोड़े भी आए हैं। कई बार घोड़े को देख कर यह डर जाता है और भागने लगता है। इसे शांत करना पड़ता है। उन्होंने कहा, हमारे गांव में घोड़े नहीं है। ऐसे में अनमोल का सामना कभी किसी घोड़े से नहीं हुआ है। उसे देखकर यह डर जाता है। घोड़ा पास में आते ही वह घबरा जाता है और चिल्लाने लगता है। करीब पांच मिनट तक अनमोल को शांत करने का समय लगता है।
पुष्कर मेले का महत्व
मान्यता है कि कार्तिक माह की एकादशी से पूर्णिमा तक 5 दिनों तक सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा ने पुष्कर में यज्ञ किया था। इस दौरान 33 करोड़ देवी-देवता भी पृथ्वी पर मौजूद रहे। इसी वजह से पुष्कर में कार्तिक माह की एकादशी से पूर्णिमा तक 5 दिनों का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि इस माह में सभी देवताओं का वास पुष्कर में होता है।इन्हीं मान्यताओं के चलते पुष्कर मेला लगता है। पुराने समय में श्रद्धालु संसाधनों के अभाव में पशुओं को भी साथ लाते थे। वह धीरे-धीरे पशु मेले के रूप में पहचाना जाने लगा।