नई दिल्ली। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के वोटों और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों की 100% क्रॉस-चेकिंग की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने ADR समेत अन्य वकीलों और चुनाव आयोग की 5 घंटे दलीलें सुनी।
बता दें कि वर्तमान में प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में पांच रैंडम रूप से चयनित ईवीएम की वीवीपैट पर्चियों का सत्यापन किया जाता है। इस मामले पर दायर की गई याचिका में गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने दलीलें पेश की हैं।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक वकील बांग्लादेश की चुनावी व्यवस्था की ओर इशारा किया। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारा सिस्टम अच्छे से काम कर रहा है, आप जानते हैं और हम भी जानते हैं कि मतपत्रों के साथ क्या हुआ। हमारे मतदाताओं की संख्या भी बढ़ी है और यह लोगों के विश्वास को दर्शाता है। जस्टिस दत्ता ने कहा कि ऐसा मत सोचिए कि केवल विदेशी देश ही अच्छा कर रहे हैं, भारत भी अच्छा कर रहा है।
इस मकसद के चलते लाई गई थी VVPAT
सुनवाई के दौरान जजों की ओर से यह भी कहा गया कि वीवीपैट की पारदर्शिता को लेकर दलील दी जा रही है पर वह शुरू से ऐसे ही है। मशीन में बल्ब जलता है। वोट की पुष्टि करने के लिए सात सेकेंड का मौका मिलता है। यही उस व्यवस्था को लाने का मकसद था। जस्टिस संजीव खन्ना ने प्रशांत भूषण से कहा- आप इस तरह हर चीज पर अविश्वास नहीं जता सकते। आपकी बातों को हमने विस्तार से सुना. चुनाव आयोग के प्रयासों को भी जाना। आपको भी इसकी सराहना करनी चाहिए।
EVM को हैक करना संभव ही नहीं- वकील का बड़ा दावा
हियरिंग के बीच चुनाव आयोग के वकील ने जजों का ध्यान इस ओर दिलाया कि सिर्फ बैलेट पेपर से मतदान ही नहीं, 100 फीसदी ईवीएम-वीवीपैट मिलान की मांग को भी सुप्रीम कोर्ट पहले खारिज कर चुका है। कुछ हाई कोर्ट भी ऐसी याचिकाओं को निराधार बता कर ठुकरा चुके हैं। वकील ने आगे यह दावा भी दोहराया कि ईवीएम स्टैंडअलोन मशीन है, जिसे हैक करना संभव ही नहीं है।