Lab-Grown Babies: लैब में भ्रूण तैयार करने की तकनीक पहले से ही है, लेकिन भविष्य में प्रयोगशाला में बच्चे भी पैदा हो सकेंगे। जापान के वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है। उन्हें लैब में अंडाणु और शुक्राणु बनाने में कामयाबी मिली है। उन्होंने कहा कि मानव में यह पांच साल में संभव हो पाएगा। फिलहाल यह प्रयोग चूहों पर पूरी तरह से सफल है, उन्होंने कहा कि मानव में यह पांच साल में संभव हो पाएगा।
वैज्ञानिकों को लैब में चूहों में शुक्राणु और अंडाणु बनाने में सफलता मिली है। इनसे भ्रूण भी बनेगा, जिन्हें बाद में कृत्रिम गर्भ में विकसित किया जाएगा। जापानी वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में मानव शिशुओं की पैदाइश को हकीकत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। इससे वे अब बांझपन, एक ही लिंग के लोगो के माता या पिता बनने की समस्या से निजात पाना संभव हो सकेगा। यह शोध मानव अंडे और स्पर्म के जरिए प्रयोगशाला के वातावरण में कृत्रिम गर्भ के अंदर भ्रूण विकसित करने में सफलता दिला सकती है।
कृत्रिम मानव शुक्राणु और अंडो का निर्माण कुछ लोगों माता पिता को अपने बच्चों को अनुवांशकीय तौर पर कांट छांट करवाने के लिए प्रेरित कर सकता है और इसके लिए वे जीन एडिंटिंग उपकरणों का उपयोग करने के लालच में आ सकते हैं जिस पर पहले से ही बहुत तीखी बहस चल रही है।
बांझपन जैसी दिक्कतों से हमेशा के लिए मुक्ति
वैज्ञानिकों का दावा है कि वे मानव अंडे और शुक्राणु बनाने में सक्षम हैं, लेकिन भ्रूण बनाने में कुछ समय लगता है। डॉ. हयाशी ने अनुमान लगाया कि इंसानों को अंडे जैसी कोशिकाएं विकसित करने में पांच साल लगेंगे। यह प्रक्रिया काफी सुरक्षित होगी। हालांकि, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हेनरी ग्रीले के अनुसार, विश्वसनीयता हासिल करने में 10 साल तक का समय लग सकता है। क्योंकि वैज्ञानिकों को सुरक्षा समेत तमाम सवालों के जवाब देने हैं। मुझे आश्चर्य नहीं होगा अगर यह पांच साल में हो जाए। अगर इसमें 25 साल लग जाएं तो चौंकिए मत। क्योंकि यह एक ऐसी घटना होगी जो सभी विचारों को बदल देगी। लोगों को बांझपन जैसी समस्या से हमेशा के लिए निजात मिल जाएगी।
लेकिन इस तकनीक से कई उम्मीदें भी जुड़े हैं। कई युगल माता पिता बनने में चिकित्सकीय तौर पर सक्षम नहीं हैं और अमेरिता में 10 युगलों में से एक युगल जो इस तरह की समस्या से जूझ रहे हैं उनक लिए यह तकनीक वरदान हो सकती है।