Viral news: प्राचाीन भारतीय समाज में गुरु का स्थान बहुत ही महत्वपूर्ण बताया गया है। शिक्षक से ही ज्ञान प्राप्त कर हम सफलता को पाते हैं और जीवन में आने वाली चुनौतियों से लड़ना सीखते हैं। चीन से गुरु शिष्य का एक मामला सामने आया है जिसमे एक टीचर ने अपनी क्लास की बच्ची को इतना पीटा कि खोपड़ी से दिमाग ही बाहर आ गया।
9 साल की बच्ची को स्कूल में टीचर ने इस बेदर्दी से मारा कि उसकी खोपड़ी ही खुल गई। जिस बच्चे को खरोच भी आ जाए तो माता-पिता का दिल दुख जाता है, उस बच्चे का ये हाल देखकर सोचिए उसके पैरेंट्स पर क्या गुजरी होगी। बच्ची की उम्र इतनी कम है कि उसका नाजुक शरीर टीचर की हैवानियत को झेल नहीं पाया। ये मामला चीन के हुनान प्रांत का है।
लोहे के स्केल से किया सिर पर वार
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की खबर के मुताबिक लड़की के सिर पर टीचर ने लोहे की स्केल से इतने वार किए थे कि उसकी खोपड़ी ही खुल गई थूी. उसकी खोपड़ी में हड्डी टूटकर घुसी हुई थी और सिर पर इतने ज़ख्म थे कि आप सोच भी नहीं सकते। बोकाई मिक्सिहु प्राइमरी स्कूल में बच्ची पढ़ती थी और ये घटना 6 सितंबर को हुई। बच्ची के सिर में 5 सेंटीमीटर गहरा घाव हो गया था और स्कूल ने इसे मामूली सी चोट बताया. लड़की को किस बात पर इतना मारा गया था, ये पता नहीं चला है लेकिन एक्सरे में पता चला कि उसके सिर की कई हड्डियां टूटी हुई थी और खोपड़ी में फ्रैक्चर आ गया था।
देखकर हिल गए डॉक्टर भी
बच्ची को अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने ऑपरेशन से ही इनकार कर दिया था क्योंकि उसके माता-पिता वहां नहीं थे। तब जाकर पैरेंट्स को सूचना दी गई और उन्होंने अपनी मंजूरी दी। मां ने बताया कि स्कूल का डॉक्टर वहीं था और उसने डॉक्टरों से कहा कि बस टांके लगा दें. जब फ्रैक्चर का पता चला तो उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया। स्कूल ने बाद में भी परिवार से कोई कॉन्टैक्टर नहीं किया, हालांकि बच्ची अब भी आईसीयू में है। हालांकि स्कूल का कहना है कि वो पुलिस जांच में सहयोग करने को तैयार है।
यहां के बोकाई मीक्सिहु प्राइमरी स्कूल की टीचर को स्थानीय पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। उसने बच्ची के सिर पर इतना मारा कि 5 सेंटीमीटर गहरा घाव हो गया, जिससे बच्ची की खोपड़ी बुरी तरह चोटिल हो गई। उसे क्यों इतना मारा गया इसकी जानकारी अभी नहीं मिल पाई है। ये घटना 6 सितंबर को हुई थी। टीचर की पहचान सोंगसों माउमिंग के तौर पर हुई है। जब बच्ची की हालत खराब हुई, तो उसे स्कूल में मौजूद डॉक्टर के पास ले जाया गया। स्कूल ने इसे एक मामूली सी चोट बताया और कहा कि बस टांके लगाने की जरूरत है। मगर लड़की की हालत बिगड़ती देख स्कूल का स्टाफ उसे अस्पताल ले गया।
ऐसी कैसी क्रूरता? कि बच्चे को इतना पीटा या इतना डांटा कि उसकी जान ही खतरे में पड़ गई। उनके मानसिक स्वास्थ्य या वो किन दिक्कतों से गुजर रहा है, इसका कौन ध्यान रखेगा? वयस्क या टीनेजर्स तब भी जिंदगी को इतना समझ जाते हैं, कि वो अपने साथ होने वाली किसी घटना को हैंडल कर सकें। लेकिन बच्चे इतने मजबूत नहीं होते। न तो शरीर से और न ही दिल से।उनके साथ फूल जैसा बर्ताव किया जाना चाहिए, न कि अपराधियों जैसा।