Climate change: मौसम के साथ कुछ असामान्य हो रहा है। रिकॉर्ड तोड़ वैश्विक गर्मी और अत्यधिक बारिश को नजरअंदाज करना मुश्किल है। मौसम में आ रहे इन बदलावों के लिए लोग जलवायु परिवर्तन को दोष देने में लगे हैं। हाल में की गई स्टडी में सामने आया है कि पृथ्वी का एक बड़ा हिस्सा आने वाले वक्त में इतना ज्यादा गर्म हो जाएगा कि वहां रहना इंसानों के बस की बात नहीं होगी। इसका सबसे ज्यादा असर उस इलाके पर पड़ने वाला है, जहां दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी रहती है। उत्तर और दक्षिण अमेरिका, एशिया और मिडिल ईस्ट वो जगह होंगे, जहां तापमान इतना ज्यादा बढ़ जाएगा कि लोगों को ठंडी जगहों की ओर पलायन के लिए मजबूर होना पड़ेगा। इसकी मुख्य वजह लगातार जलवायु परिवर्तन में हो रहा बदलाव होगा।
बढ़ते तापमान के लिए सिर्फ मानवजनित ग्लोबल वार्मिंग को ही एक कारण नहीं बताया जा सकता। इंसानी गतिविधियों के कारण वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन होता है। जिसके कारण तापमान में धीरे-धीरे बढ़ोतरी हो रही है। अमेरिका में रिसर्चर्स का कहना है कि भारत, पाकिस्तान, पूर्वी चीन और सब-सहारा अफ्रीका बर्दाश्त से बाहर वाली गर्मी का सामना करने वाले हैं।
गर्मी का असर कनाडा और यूरोप में पहले ही देखा जा चुका है
प्रोफेसर डॉ मैथ्यू ह्यूबर ने आगे बताया कि भीषण गर्मी की वजह से अरबों गरीब लोग तड़पने वाले हैं। इनमें से करोड़ों लोगों की मौत हो जाएगी। वह कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि गर्मी के प्रकोप का कहर सिर्फ गरीब मुल्क झेलेंगे। इसका असर उन अमीर मुल्कों पर भी पड़ेगा, जो बहुत ज्यादा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जित करते हैं। उन्होंने कहा कि अमीर मुल्कों को बढ़ते तापमान से चलने वाली लू और हीटवेव से जूझना पड़ेगा। गर्मी का असर कनाडा और यूरोप में पहले ही देखा जा चुका है।
रहने लायक नहीं रहेगी दुनिया
अमेरिकी प्रोफेसर ने बताया कि अगर तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5C से अधिक बढ़ जाता है, तो गरीब मुल्कों के बड़े हिस्से रहने लायक नहीं बचेंगे। इस बात की जानकारी ऐसे समय पर सामने आई है, जब दुनिया को सबसे गर्म सितंबर का सामना करना पड़ा है। सितंबर में औसत सतह का तापमान 16.38 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। सबसे ज्यादा डराने वाली बात ये है कि लोग इसके बाद भी पर्यावरण की ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं, जो काफी चिंताजनक है।
जैसे-जैसे तापमान में वृद्धि जारी है, मौसम की घटनाएं और अधिक चरम होती जा रही हैं। अब 50 प्रतिशत से अधिक संभावना है कि पृथ्वी का वैश्विक तापमान बढ़ जाएगा, कम से कम अस्थायी रूप से, इससे भी अधिक मानव प्रभावों के साथ जलवायु परिवर्तन बिंदुओं को ट्रिगर करने का जोखिम बढ़ जाएगा। जलवायु प्रणाली के कई हिस्सों के दुर्भाग्यपूर्ण समय के कारण, ऐसा लगता है कि हालात हमारे पक्ष में नहीं हैं ।