Pull -Push Trains: भारत में परिवहन के क्षेत्र में कई नए आविष्कार, प्रयोग और निर्माण हो रहे हैं। सामान्य ट्रेनों को आधुनिक बनाया जा रहा है, सेमी हाई स्पीड ट्रेन शुरू हो चुकी हैं, रैपिड रेल की शुरुआत होने वाली है और बुलेट ट्रेन का काम चल रहा है। इसी दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए भारत में पुल और पुश ट्रेन चलाने की तैयारी भी हो रही है।
बिहार की राजधानी पटना और महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई के बीच भारत की पहली पुल-पुश ट्रेन चलाई जा सकती है। जिससे काम के लिए बाहर जाने वाले लोगों को फायदा होगा। लेकिन पुल पुश ट्रेन है क्या? ऑनलाइन प्लेटफार्म कोरा पर यही सवाल पूछा गया, जिस पर कई यूजर्स ने जवाब दिए। आइए जानते हैं इस ट्रेन के बारे में।
अमेरिका और कनाडा में, उन्हें कैब कार कहा जाता है
पुश-पुल ट्रेन में ट्रेन के एक छोर पर एक लोकोमोटिव होता है, जो किसी प्रकार के रिमोट कंट्रोल, जैसे कि मल्टीपल-यूनिट ट्रेन नियंत्रण, के माध्यम से ट्रेन के दूसरे छोर पर नियंत्रण कैब से सुसज्जित वाहन से जुड़ा होता है। यह दूसरा वाहन एक अन्य लोकोमोटिव, या एक बिना शक्ति वाली नियंत्रण कार हो सकती है। यूके और यूरोप के कुछ अन्य हिस्सों में, नियंत्रण कार को ड्राइविंग ट्रेलर के रूप में जाना जाता है, अमेरिका और कनाडा में, उन्हें कैब कार कहा जाता है।
जिन लोगों ने मेट्रो को देखा होगा, वे इसके बारे में अच्छे से समझ पाएंगे। दरअसल, पुल-पुश ट्रेन एक ऐसी ट्रेन है जिसमें दो इंजन होते हैं, एक आगे और दूसरा पीछे। दोनों इंजन एक साथ ट्रेन को खींचते और धकेलते हैं। इस तरह, ट्रेन को आगे बढ़ाने के लिए केवल एक इंजन की आवश्यकता नहीं होती है। पुल-पुश ट्रेन चलाने के कई फायदे हैं। सबसे पहले, इससे ट्रेन की रफ्तार आसानी से बढ़ सकती है। दूसरे, इससे ट्रेन की क्षमता काफी बढ़ जाती है। और तीसरे, इससे ट्रेन को चलाने के लिए कम पावरफुल इंजन की आवश्यकता होती है, जिससे रेलवे को लागत में कमी आ सकती है।
क्या है पुल और पुश ट्रेन?
पुल-पुश ट्रेनों की रफ्तार पारंपरिक ट्रेनों की तुलना में अधिक होगी। इन ट्रेनों में अधिक कोच लगाए जा सकते हैं। यानी ज्यादा यात्री एक साथ सफर कर पाएंगे। इससे टिकट वेटिंग का झंझट काफी हद तक कम हो जाएगा। रेलवे सूत्रों के मुताबिक, इस ट्रेन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें एक नहीं दो इंजन लगाए जाएंगे। एक इंजन आगे और एक इंजन पीछे होगा। ट्रेन में जनरल और स्लीपर क्लास के कुल 22 कोच लगाए जाएंगे। शुरुआत में यह ट्रेन नॉन-एसी ही होगी। इसके लिए, पश्चिम बंगाल के चितरंजन लोकोमोटिव वर्क में स्पेशल कोच भी तैयार किए गए हैं। डबल इंजन वाली इस ट्रेन में एक समय पर एक ही इंजन चालू होगा और इसे एक ही ड्राइवर या ऑपरेटर चलाएगा।