Friday, March 29, 2024
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RBI रेपो रेट : 10 लाख तक के कर्ज पर इस साल का बोझ, मासिक EMI में हुई 1875 रुपये की बढ़ोतरी…

RBI Repo Rate: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक समीक्षा नीति की तीन दिवसीय बैठक खत्म होने के बाद RBI ने क्रेडिट पॉलिसी को लेकर नये न‍िर्णय ल‍िए है। RBI रेपो रेट के बढने से 10 लाख तक के कर्ज पर इस साल का बोझ बढकर मासिक EMI में 1875 रुपये की बढ़ोतरी हुई है. RBI मौद्रिक समीक्षा नीति की बैठक ने रेपो रेट में 0.35% तक का इजाफा करने का ऐलान क‍िया है। फिलहाल इससे पहले रेपो रेट 5.90% है। जो बढ़कर 6.25% हो गई है। इससे एक बाद फिर से सभी तरह के लोन महंगे हो गए और ईएमआई का खर्च बढ़ गया है। इस साल अब तक केंद्रीय बैंक नीतिगत दरों में 5 बार बढ़ोतरी कर चुका है। इस साल अब तक 2.25% की बढ़ोतरी हुई है। लंबे समय से देश में महंगाई उच्च स्तर पर बनी हुई है। इसे काबू में करने के लिए रिजर्व बैंक ने लगातार रेपो रेट (Repo Rate) में बढ़ोतरी की है। हालांकि, बीते अक्टूबर महीने में देश में महंगाई दर में कमी आई है।

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क्या है रेपो रेट? क्‍यों महंगा हो जाता है लोन?

रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI द्वारा बैंकों को कर्ज दिया जाता है। बैंक इसी कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं। रेपो रेट कम होने का अर्थ होता है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के लोन सस्ते हो जाएंगे। जब RBI रेपो रेट घटाता है, तो बैंक भी ज्यादातर समय ब्याज दरों को कम करते हैं। यानी ग्राहकों को दिए जाने वाले लोन की ब्याज दरें कम होती हैं, साथ ही EMI भी घटती है। इसी तरह जब रेपो रेट में बढ़ोतरी होती है, तो ब्याज दरों में बढ़ोतरी के कारण ग्राहक के लिए कर्ज महंगा हो जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कॉमर्शियल बैंक को RBI से ज्यादा कीमतों पर पैसा मिलता है, जो उन्हें दरों को बढ़ाने के लिए मजबूर करता है।

RBI रेपो रेट क्यों बढ़ाता या घटाता है?

RBI के पास रेपो रेट के रूप में महंगाई से लड़ने का एक शक्तिशाली टूल है। जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है तो, RBI रेपो रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है। रेपो रेट ज्यादा होगा तो बैंकों को RBI से मिलेने वाला कर्ज महंगा होगा। बदले में बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर देंगे। इससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होगा। मनी फ्लो कम होगा तो डिमांड में कमी आएगी और महंगाई घटेगी। इसी तरह जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में RBI रेपो रेट कम कर देता है। इससे बैंकों को RBI से मिलने वाला कर्ज सस्ता हो जाता है और ग्राहकों को भी सस्ती दर पर लोन मिलता है।

0.35% रेपो रेट बढ़ने से क‍ितना बढ़ गया EMI का बोझ

इसे समझते हैं एक उदहारण से यद‍ि आपने 7.55% के फिक्स्ड रेट पर 20 साल के लिए 30 लाख का लोन लिया है। उसकी EMI 24,260 रुपए है। 20 साल में उसे इस दर से 28,22,304 रुपए का ब्याज देना होगा। यानी, आपने 30 लाख के बदले कुल 58,22,304 रुपए चुकाने होंगे।

अब बात करते है आपको लोन लेने के बाद RBI रेपो रेट में 0.35% का इजाफा कर द‍िया। इस कारण बैंक भी 0.35% ब्याज दर आप पर बढ़ा देते हैं। अब यद‍ि कोई और व्‍यक्ति उसी बैंक में लोन लेने के लिए पहुंचता है तो बैंक उसे 7.55% की जगह 7.90% रेट ऑफ इंटरेस्ट बताएगा।

अब हर लोन लेने वाले व्‍यक्ति को 30 लाख रुपए का ही लोन 20 अगर साल के लिए लेता है, तो उसकी अब EMI 24,907 रुपए की बनती है। यानी आपकी EMI से 647 रुपए ज्यादा। इस वजह से लोन लेने वाले व्‍यक्ति को 20 सालों में कुल 59,77,634 रुपए चुकाने होंगे। ये रोहित से 1,55,330 ज्यादा है।

पहले से चल रहे लोन पर भी बढ़ेगी EMI, क्‍या होगा असर

लोन की ब्याज दरें 2 तरह से होती हैं फिक्स्ड और फ्लोटर। फिक्स्ड में आपके लोन कि ब्याज दर शुरू से आखिर तक एक जैसी रहती है। इस पर रेपो रेट में बदलाव का कोई फर्क नहीं पड़ता। वहीं फ्लोटर में रेपो रेट में बदलाव का आपके लोन की ब्याज दर पर भी फर्क पड़ता है। ऐसे में अगर आपने फ्लोटर ब्याज दर पर लोन लिया है तो आपकी लोन EMI भी बढ़ जाएगी।

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