Dussehra 2023: हर साल दशहरा हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस पर्व पर खास किस्म के पक्षी (Dussehra Neelkanth Bird) को देखना काफी शुभ माना जाता है। लोग इस पक्षी का दर्शन पाने को आतुर रहते हैं। नीलकंठ तुम नीले रहियो सारी बात राम से कहियो, दशहरे पर यह परंपरागत बातें आज भी गांव-देहात और कुछ शहरों में सुनने को मिल जाती हैं। दशहरे का पावन पर्व आजमनाया जाएगा। नवमी तिथि दोपहर 3:00 बजे के बाद समाप्त होने के साथ ही दशहरे की शुरुआत हो चुकी है। अधिकांश स्थानों पर रावण दहन भी कल ही है। इस पर्व पर नीलकंठ पंक्षी का दर्शन करने की भी परंपरा है। मान्यता है कि ऐसा करने से लोगों की किस्मत चमक जाती है। जानिए क्या है पौराणिक कहानी है, और क्या हैं पक्षी के मायने।
इस पक्षी के दर्शन से चमक सकती है किस्मत
काशी के ज्योतिषाचार्य ने बताया कि विजयदशमी का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। लेकिन इस दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन करने से मनुष्य को सभी मनोकामनाओं की प्राप्ति होती है। इसके पीछे हमारे धर्म ग्रंथ में उल्लेख है कि रावण का वध करने के बाद मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम को ब्रह्म हत्या का पाप लगा था।
उन्होंने बताया कि दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन करना बेहद शुभ माना जाता है। इसके पीछे की बड़ी वजह यह है कि भगवान राम ने जब रावण का वध किया तो ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए उन्होंने भगवान शिव की आराधना की। उस दौरान भगवान शिव ने भगवान राम को दशहरे के दिन ही नीलकंठ पक्षी के रूप में दर्शन दिए थे। रामायण काल से जुड़ी है। यदि दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी दिख जाए तो आपकी किस्मत के दरवाजे खुल जाते हैं। आपको कुछ ऐसा पानी की उम्मीद जग जाती है जिसके लिए आप लंबे वक्त से संघर्ष कर रहे थे। धन-धान्य के साथ ही सौभाग्य भी आपके साथ होता है। नीलकंठ भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। शिव रूप नीलकंठ के दर्शन मात्र से ही भगवान राम का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। मौसम के बदलने के साथ ही अब शरद ऋतु की शुरुआत भी हो गई है। नीलकंठ पक्षी को किसानों के लिए भी हितकर माना जाता है। नीलकंठ पक्षी इस मौसम में पैदा होने वाले कीट पतंगों को खाता है। खेतों में विचरण करते हुए किसानों के लिए फसलों को बचाने का यह वरदान साबित होता है। यही वजह है कि नीलकंठ को बेहद शुभ और सौभाग्यशाली पक्षी माना जाता है।
शमी और अपराजिता का पूजन भी देता है विशेष फल
काशी के ज्योतिषाचार्य ने यह भी बताया कि विजयदशमी के दिन शमी पेड़ का विधि विधान से पूजन करने और अपराजिता के पूजन का भी विशेष महत्व है। अगर किसी भी व्यक्ति द्वारा दशहरे के दिन शमी के पेड़ का पूजन किया जाता है तो उसे आरोग्य धन वैभव की प्राप्ति होती है। इसके अलावा अपराजिता के पूजन करने से व्यक्ति कभी भी पराजित नहीं होता है वह अजेय रहता है।