Sharad Purnima: सर्वपितृमोक्ष अमावस्या के दिन 14 अक्टूबर को सूर्यग्रहण रहेगा जबकि शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर को चंद्रग्रहण रहेगा। सूर्यग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए हमारे यहां न तो इसका कोई सूतक मान्य होगा और न ही कोई दोष लगेगा इसलिए पितृमोक्ष अमावस्या के दिन सभी प्रकार के आयोजन निर्विर्घ्न होंगे इसी प्रकार शरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण लगेगा जो भारतवर्ष में दिखाई देगा।
वहीं चंद्रमा की शीतल रोशनी में बनने वाली खीर भी इस बार ग्रहण के कारण मध्यरात्रि में नहीं बन पाएगी। ऐसे में ग्रहण समाप्ति के बाद ही खीर बना सकेंगे। ऐसा नौ वर्ष बाद हो रहा है। पंडित रामजीवन दुबे ने बताया कि यह ग्रहण अश्विनी नक्षत्र एवं मेष राशि पर होगा। ग्रहण का प्रारंभ ईशान कोण से होगा और मोक्ष चंद्रमा के अग्नि कोण पर होगा। एक पखवाड़े में दो ग्रहण शुभ नहीं माने जाते हैं। लेकिन इस बार चंद्र ग्रहण शरद पूर्णिमा के दिन लगने जा रहा है। ऐसे में लोगों के मन में यह दुविधा रहती है कि ग्रहण और सूरत काल में खीर को चंद्रमा की रोशनी में खुले आसमान में कैसे रखा जाए? हर साल शरद पूर्णिमा के दिन चांदनी में खीर बनाकर रखी जाती है।इस बार शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर शनिवार को आ रही है। शरद पूर्णिमा की रात्रि में भगवान श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था। उन्होंने बांसुरी बजाई और गोपियों को अपने पास बुलाया और उन्हें दिव्य अमृत पिलाया।
खीर पर भी ग्रहण
सर्वपितृमोक्ष अमावस्या के दिन 14 अक्टूबर को सूर्यग्रहण रहेगा, जबकि शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर को चंद्रग्रहण रहेगा। सूर्यग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए हमारे यहां न तो इसका कोई सूतक मान्य होगा और न ही कोई दोष लगेगा, इसलिए पितृमोक्ष अमावस्या के दिन सभी प्रकार के आयोजन निर्विर्घ्न होंगे, इसी प्रकार शरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण लगेगा, जो भारतवर्ष में दिखाई देगा।
खीर रखने का समय
पंडित रामजीवन दुबे अनुसार, ग्रहण 28 तारीख की रात 1:05 बजे से शुरू होगा और 02:23 बजे तक रहेगा। यानी ग्रहण की कुल अवधि 1 घंटा 18 मिनट होगी। लेकिन ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले शाम 4 बजे से सूतक शुरू हो जाएगा। ऐसे में ग्रहण पूरा होने के बाद ही खीर को खुले आसमान के नीचे चांदनी रात में आंगन में रखें और अगली सुबह स्नान करने के बाद खीर का सेवन करें।
शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। शरद पूर्णिमा तिथि 28 अक्टूबर को सुबह 03:52 बजे शुरू होगी और अगले दिन 29 अक्टूबर को सुबह 4:17 बजे समाप्त होगी। अत: उदयातिथि को देखते हुए शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी।इस ग्रहण का सूतक दोपहर बाद से प्रारंभ होगा जो मध्यरात्रि के बाद तक रहेगा। इस दिन रात्रि में मंदिरों के पट बंद रहेंगे, मंदिरों में भजन कीर्तन तो होंगे, लेकिन खीर का भोग नहीं लगेगा।
इन राशियों पर रहेगा प्रभाव
- किस राशि पर क्या प्रभाव
ग्रहण का स्पर्श रात्रि 1:05 बजे - ग्रहण का मध्य रात्रि 1:44 बजे
- ग्रहण का मोक्ष रात्रि 2:24 बजे
- ग्रहण का सूतक दोपहर 4:05 बजे
- शुभ-कर्क, मिथुन, वृश्चिक, धनु, कुंभ
- मध्यम-सिंह, तुला, मीन
- अशुभ-मेष, वृष, कन्या, मकर
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा 16 कलाओं से पूर्ण होता है। इसलिए इस दिन चंद्रमा की रोशनी से अमृत बरसता है और घर के आंगन में खीर रखने की परंपरा है। लेकिन इस साल शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण भी लग रहा है। चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। ग्रहण के समय हर चीज दूषित हो जाती है। वहीं सूतक काल से ही पूजा करना वर्जित माना जाता है।