सनातन धर्म में जन्म से ही कई सारे संस्कार और परंपराएं आरंभ हो जाती है जिनका पालन व्यक्ति को करना होता है विवाह भी इन्हीं संस्कारों में से एक है जो व्यक्ति को युवा अवस्था में निभाना होता है हमारे देश में शादी विवाह बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है और इस दौरान कई सारी रस्म और रिवाजों को भी निभाया जाता है जिसमें हल्दी, मेंहदी से लेकर कन्यादान और न जाने कितनी ही परंपराएं और रिवाज शामिल होते है
इन सभी को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है वही लड़की की शादी में विदाई का भी एक समय होता है जो हर किसी के लिए बहुत भावुक करने वाला होता है और इस दौरान लड़कियों द्वारा चावल फेंकने की रस्म अदा की जाती है जिसे बहुत ही खास माना जाता है लेकिन बहुत ही कम लोगों को मालूम होगा कि विदाई के दौरान ये रस्म क्यों निभाई जाती है अगर आप भी इस रस्म की अहमियत नहीं जानते है तो आज हम आपको इसके बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते है।
हम में से अधिकतर लोग यह जानते है कि चावल फेंकने की रस्म दुल्हन के डोली में बैठने से पहली की जाती है इसमें बिना पीछे देखे दुल्हन को पांच बार चावल फेंकने होते है चावल से जुड़ी इस रस्म को हिंदू धर्म में बहुत ही उपयोगी और महत्वपूर्ण माना जाता है यह रस्म इसलिए अदा की जाती है क्योंकि इसको धन का प्रतीक माना गया है धार्मिक तौर पर अगर देखा जाए तो चावल बहुत ही पवित्र होता है सभी शुभ व मांगलिक कार्यों में इसका प्रयोग किया जाता है अक्षत को सुख समृद्धि का कारक भी माना जाता है।
धार्मिक परंपराओं के अनुसार चावल फेंकने की इस रस्म को प्रार्थना का प्रतीक भी माना जाता है इसका अर्थ होता है कि भले ही कन्या का विवाह हो गया है लेकिन फिर भी वह अपने घरवालों के लिए प्रार्थना करती रहेगी कि उसका घर सुख समृद्धि और धन से हमेशा भरा रहे। ऐसा भी कहते है कि इस रस्म की अदाएगी मायके वालों को बुरी नजर से बचाती है। इस पवित्र रस्म का एक अर्थ यह भी होता है कि दुल्हन अपने माता पिता का धन्यवाद करती है वह इसलिए क्योंकि माता पिता ही है जो अपने बच्चों के लिए सबकुछ करते है ऐसा भी मान्यता है कि इस रस्म को करने से मायके में कभी भी अन्न की कमी नहीं रहती है।