पेरिस के चार्ल्स डी गॉल एयरपोर्ट पर 18 साल तक रहने वाले ईरान से निर्वासित एक व्यक्ति की शनिवार को हवाई अड्डे पर निधन हो गया। एयरपोर्ट अधिकारियों ने यह जानकारी दी। बता दें कि 2004 में बनी अमेरिकी फिल्म निदेशक स्टीवन स्पीलबर्ग की फिल्म 'द टर्मिनल' इसी व्यक्ति की कहानी से प्रेरित थी
पेरिस हवाईअड्डा प्राधिकरण के एक अधिकारी के मुताबिक, मेरहान करीमी नास्सेरी नाम के इस व्यक्ति का हवाईअड्डे के टर्मिनल 2एफ में दोपहर के करीब दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।अधिकारी ने कहा कि पुलिस और एक मेडिकल टीम ने उसका इलाज किया लेकिन उसे बचा नहीं पाए। मेहरान को सर अल्फ्रेड के नाम से भी जाना जाता था।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, करीमी नास्सेरी का जन्म 1945 में ईरानी शहर मस्जिद सुलेमान में हुआ था और उनकी आत्मकथा 'द टर्मिनल मैन' 2004 में प्रकाशित हुई थी। वह 1988 से 2006 तक पेरिस हवाई अड्डे के टर्मिनल एक में रहे। हालांकि इसमें पहले कानूनी अड़चने आई क्योंकि उनके पास रेजीडेंसी के कागजात नहीं थे और बाद में अपनी पसंद के अनुसार वह हवाई अड्डे पर रहने लगे। हवाईअड्डे के अधिकारी ने कहा कि वह हाल के हफ्तों में फिर से हवाईअड्डे पर रह रहे थे। 1988 में ब्रिटेन द्वारा शरणार्थी के रूप में राजनीतिक शरण देने से इनकार करने के बाद मेहरान पहली बार हवाई अड्डे पर बस गए थे। ब्रिटेन ने उन्हें इस तथ्य के बावजूद कि उनकी मां स्कॉटिश थी, शरण देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद उन्होंने जानबूझकर खुद को देशविहीन घोषित किया और हवाई अड्डे पर रहने का विकल्प चुना। कहा जाता है कि वह हमेशा अपना सामान अपने साथ रखते थे।
मेहरान 18 साल तक हवाई अड्डे पर रहने के बाद पहली बार 2006 में अस्पताल में भर्ती होने के वक्त हवाईअड्डे से बाहर निकले थे। हवाई अड्डे पर उन्होंने पढ़ने, डायरी लिखने और अर्थशास्त्र का अध्ययन करने में समय बिताया। स्पीलबर्ग ने उनकी असामान्य स्थिति के आधार पर 2004 में फिल्म 'द टर्मिनल' बनाने का फैसला किया। इस फिल्म में टॉम हैंक्स ने अभिनय किया था। इसमें टॉम हैंक्स ने एक पूर्वी यूरोपीय व्यक्ति की भूमिका निभाई थी, जो अमेरिका में प्रवेश से वंचित होने के बाद न्यूयॉर्क के जॉन एफ कैनेडी हवाई अड्डे पर रहता है, की भूमिका निभाई थी। टॉम हैंक्स अभिनीत 'द टर्मिनल' के अलावा एक जीन रोशफोर्ट अभिनीत 1993 की फ्रांसीसी फिल्म 'टॉम्ब्स डू सिएल' भी मेहरान से प्रेरित थी।