मस्जिद विवाद: मेंगलुरु स्थित मलाली मस्जिद विवाद पर यहां की एडिशनल सिविल कोर्ट सुनवाई के लिए राजी हो गई है। अदालत ने विश्व हिंदू परिषद (VHP) की अर्जी मंजूर कर ली। वहीं, मुस्लिम पक्ष की अर्जी खारिज कर दी। VHP का दावा है कि मलाली मस्जिद मंदिर को ढहाकर बनाई गई थी। यह वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद की ही तरह केस है। उधर, मस्जिद कमेटी का दावा है कि यह वक्फ की जमीन है, इसलिए कोर्ट को इस पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए। लेकिन कोर्ट ने यह दावा खारिज कर दिया। मस्जिद के रेनोवेशन के दौरान मंदिर का ढांचा मिलने से विवाद खड़ा हुआ था। हिंदू संगठनों ने उत्तर प्रदेश में ज्ञानवापी मस्जिद की तर्ज पर सर्वे करवाने की मांग की थी, जिस पर कोर्ट ने आज फैसला सुनाया है।
मुस्लिम पक्ष के तर्क को मानने से इनकार
मस्जिद कमेटी का दावा है कि यह वक्फ की जमीन है, इसलिए कोर्ट को इस पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष के इस तर्क को मानने से इनकार कर दिया है और कहा कि आगे इस मामले की सुनवाई मंगलूरु सिविल कोर्ट के अधीन जारी रहेगी। इससे पहले कर्नाटक की स्थानीय अदालत ने दक्षिण कन्नड़ जिले में मलाली मस्जिद विवाद के संबंध में आदेश 9 नवंबर के लिए सुरक्षित रख लिया था।
कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया था
मंगलुरु में तीसरे अतिरिक्त सिविल कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखने के बाद निर्देश दिया था कि मस्जिद के परिसर में यथास्थिति बनाए रखी जाए। याचिकाकर्ताओं में से एक, विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने मलाली मस्जिद में सर्वे करने के लिए कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति की मांग की है। मलाली मस्जिद के प्रबंधन ने कहा था कि विहिप की याचिका को खारिज किया जाना चाहिए। इसने यह भी कहा था कि अदालत इस मामले को नहीं उठा सकती है। अदालत ने दलीलें और जवाबी दलीलें दर्ज की थीं। फैसला पहले 17 अक्टूबर को सुरक्षित रखा गया था, जिसे 9 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया। हिंदू संगठन और अल्पसंख्यक समुदाय फैसले का इंतजार कर रहे थे।
इसी साल 21 अप्रैल को मरम्मत के दौरान मस्जिद के नीचे एक पिलर निकला। खबर फैली तो हिंदू पक्ष ने दावा किया कि यह मंदिर का पिलर है। इससे इलाके में तनाव की स्थिति बन गई। दोनों पक्ष आमने-सामने हो गए। यहां तब से ही धारा 144 लागू है।