Water University: उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में दुनिया का पहला ‘जल विश्वविद्यालय’ खुलने जा रहा है, जो कि करीब 25 एकड़ जमीन पर बनकर तैयार होगा। इस विश्वविद्यालय में भारतीय छात्रों के साथ-साथ विदेशी छात्रों को भी जल संरक्षण की शिक्षा व नई तकनीकों के बारे में सिखाया जाएगा। बता दें कि इस ‘जल विश्वविद्यालय’ को पर्यावरण वैज्ञानिक प्रो. रविकांत पाठक और पद्मश्री से सम्मानित जल योद्धा उमाशंकर पांडेय के पहल पर शुरू किया जा रहा है। बुंदेली वीरभूमि के हमीरपुर में दुनिया का पहला जल विश्वविद्यालय लोगों को पानी का महत्व समझाने लगेगा। यह वही बुंदेलखंड है जहां कभी ‘भौरा तेरा पानी गजब करी जाए गगरी न टूटे चाहे खसम मर जाए’ जैसी कहावत यहां के जल संकट की विभीषिका को बताती थी। अब वहीं से देश-दुनिया को पानी की अहमियत बताई जाएगी।
तीसरा विश्वयुद्ध पानी के लिए होगा
माना जा रहा है कि तीसरा विश्वयुद्ध पानी के लिए होगा, अब उसी विश्व को हमीरपुर में प्रस्तावित जल विश्वविद्यालय पानी संबंधी चुनौतियों के समाधान के साथ विज्ञान, अभियांत्रिकी, एकीकृत कर वैश्विक जल संसाधन प्रबंधन व अनुसंधान से नवाचार को बढ़ावा देगा। हमीरपुर के रूरी पारा गांव में 70 एकड़ में प्रयोगशालाएं, अनुसंधान केंद्र, कक्षाएं और छात्रों व शोधार्थियों के लिए हास्टल के साथ आचार्यों के लिए आवास बनेंगे। विश्वविद्यालय में जल विज्ञान, जल अभियांत्रिकी व प्रौद्योगिकी, जल प्रबंधन, जल और मानविकी, जल व अंतरिक्ष जैसे विषय पढ़ाए जाएंगे।
देश-दुनिया के लोग जल संरक्षण का पाठ पढ़ने आएंगे
इसमें जल्द ही देश-दुनिया के लोग जल संरक्षण का पाठ पढ़ने आएंगे। यह पहला विवि होगा, जहां छात्र व शोधार्थी जल की कमी से पैदा हो रही समस्याओं के लिए, पुरातन व आधुनिक तकनीकों के माध्यम से समाधान खोजेंगे। यहां यूजीसी के मानकों के मुताबिक स्नातक व परास्नातक के पाठ्यक्रम संचालित होंगे, जिसमें संरक्षण व जल संकट को कोर्स के रूप में जोड़ा जाएगा।
स्वीडन के गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय के वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के प्रोफेसर डा. रविकांत पाठक संस्थापक और कुलाधिपति, तो देश जल संचय का जखनी माडल देने वाले पद्मश्री उमाशंकर पांडेय उसके महासचिव होंगे। विश्वविद्यालय का प्रस्ताव हमीरपुर के तत्कालीन जिलाधिकारी व आयुक्त चित्रकूट धाम मंडल आरपी सिंह जरिए शासन को भेजने के बाद अक्टूबर 2023 में राज्य सरकार से अनुबंध जैसे कार्य प्रगति पर हैं। दिसंबर में प्रशासनिक भवन आदि का कार्य पूरा हो चुका है। नए वर्ष में शिलान्यास व बुनियादी ढांचे का निर्माण हो जाएगा। दिसंबर, 2024 तक सभी कार्य पूरे कर शिक्षण कार्य शुरू किया जाएगा, इसके साथ ही बुंदेलखंड के 500 गांवों तक जखनी माडल पहुंचाने की तैयारी है, जिससे खेत पर मेड़, मेड़ पर पेड़ से जल बचाया जा सके।
पानी की पाठशाला अभियान चला किया जाएगा जागरूक
मानक के अनुरूप जमीन की उपलब्धता के साथ ही विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम को भी घोषित कर दिया गया है। हमीरपुर के छेड़ी बसायक मुस्करा निवासी डा. रविकांत पाठक द्वारा प्रस्तावित जल विश्वविद्यालय पानी की पाठशाला अभियान के जरिए गांव-गांव तक जल ज्ञान और विज्ञान को पहुंचाएगा।