Sunday, September 8, 2024
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क्या है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भारत रत्न का 5एम का फार्मूला

केंद्र नरेंद्र मोदी सरकार ने इस साल 2024 में देश की पांच विख्यात लोगों जिनमें कर्पूरी ठाकुर, लालकृष्ण आडवाणी, चौधरी चरण सिंह, पी.वी. नरसिंह और डा. एम.एस. स्वामीनाथन को भारत रत्न के सर्वोच्च सम्मान से विभूषित करने का निर्णय लिया गया है। इनमें से एमएस स्वामीनाथन कृषि वैज्ञानिक रहे है जबकि अन्य सभी हस्तियां राजनीतिक क्षेत्र से ताल्लुख रखती हैैं। इनमें से भी केवल लालकृष्ण आडवाणी ऐसे व्यक्ति हैैं जिन्हें जीवित रहते यह सम्मान मिल रहा है बाकी अन्य हस्तियों का मरणोपरांत यह सम्मान मिलेगा। भारत रत्न का यह सम्मान जिन राजनीतिक हस्तिायों को दिया जा रहा है उनमें से तीन भाजपा की विपरीत विचारधारा और विपक्षी दलों के राजनेता हैैं। इनमें से बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर हैैं जिनका कांग्रेस से नाता रहा है और वह लोकदल और जनता पार्टी से जुड़े रहे थे जबकि पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी रहे हैैं चौधरी चरण का राजनीतिक सफर कांग्रेस से आरंभ हुआ था लेकिन बाद उन्होंने जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा के साथ मतभेदों के चलते अपनी अलग पार्टी बनाई थी और वह उत्तरप्रदेश के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने। भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा के मुखर विरोधी रहे भारत के पूर्व प्रधानमंत्री नरसिंहराव भी कांग्रेस से जुडे हुए थे।

5एम फार्मूला आखिर है क्या…?

5रू का मंत्र और फार्मूला छिपा है। भारत रत्न देने के पीछे छिपे 5रू फार्मूले से मतलब मंडल, मंदिर, मंडी, मार्केट और मिलेट्स से है। आखिरकार पीएम मोदी ने अलग-अलग विचारधाराओं वाली हस्तियों को चुनावी साल में देश का सर्वोच्च अलंकरण क्यों दिया और उसके पीछे क्या कोई सियासी संकेत या फार्मूला छिपा है। पीएम मोदी ने 2024 के चुनावों को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया है।

मंडल मंत्र जुड़ा कर्पूरी ठाकुर से

मोदी सरकार से पहले ओबीसी वर्ग का एक बड़ा हिस्सा भारतीय जनता पार्टी से बचता रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र स्वयं ओबीसी वर्ग से आते हैैं और इसी के चलते प्रधानमंत्री मोदी ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न को देकर इस वर्ग को साधने की कोशिश की है। और यह भी देखा गया है कि 2014 के बाद से ओबीसी वर्ग का थोड़ा झुकाव भी भाजपा की ओर रहा है। 2024 के चुनावों से ऐन पहले कर्पूरी ठाकुर को सर्वोच्च सम्मान देकर पीएम मोदी ने बिहार में नीतीश कुमार को तो अपने पाले में किया ही, आसपास के राज्यों में तथाकथित सामाजिक न्याय की पक्षधर पार्टियों के ईबीसी वोटवैंक में भी सेंध लगाई है।

मंदिर मंत्री का नाता आडवाणी से

सितंबर 1990 में उन्होंने सोमनाथ से अयोध्या तक राम रथ यात्रा निकाली थी लेकिन बिहार में तत्कालीन लालू यादव की सरकार ने उन्हें अक्टूबर 1990 में गिरफ्तार कर लिया था। अब जब अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो चुका है और वहां रामलला विराजमान हो चुके हैं, तब आडवाणी को भारत रत्न देकर ना केवल उनके त्याग, समर्पण और परिश्रम को सम्मानित किया गया है बल्कि यह संदेश भी देने की कोशिश की गई है कि जो कोई भी देश हित में कार्य करेगा, उसका देर-सबेर सम्मान होगा।

मंडी मंत्रा का नाता चौधरी चरण सिंह से

किसानों की उपज, खेतीबारी और पूरी किसानी परंपरा से संबंध है मंडी से। भूतपूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह किसानों के मसीहा कहलाते थे, जिन्होंने देश में सहकारी कृषि लागू करने के मुद्दे पर देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से मतभेद के चलते कॉपरेटिव फार्मिंग का जमकर विरोध किया था। चौधरी जी ने यूपी में मंत्री रहते हुए जमीन्दारी प्रथा को खत्म किया था और किसानों को जमीन का मालिकाना हक दिलवाया था। वह किसानों के सच्चे हिमायती थे। किसान वोटरों के बीच चौधरी साहब सर्वस्वीकार और निर्विवाद नेता रहे हैं।

मार्केट मंत्र जुड़ा है नरसिंह राव से

प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहराव ने अपने कार्यकाल के दौरान देश में आर्थिक उदारीकरण को लागू किया था। इस मामले को लेकर वह भारत में आर्थिक सुधारों का जनक कहे जाते हैैं। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का काम किया था उस समय देश के वित्त मंत्री के रूप मनमोहन सिंह कार्य कर रहे थे। इसी दरम्यान देश में विदेशी निवेश के आमंत्रण को खोल दिया गया था। राव को भारत रत्न देकर पीएम मोदी ने अर्थव्यवस्था और उससे जुड़ी बाजार व्यवस्था, कॉरपोरेट जगत के साथ-साथ कांग्रेस के उपेक्षितों को सम्मान देने और उन्हें अपनी ओर खींचने की कोशिश की है।

मिलेट एमएस मायने स्वामीनाथन

भारत में हरित क्रांति के जनक माने जाने वाले कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन ने देश उस समय एक नया संबल दिया जिस वक्त देश को अंग्रेजी शासन से आजादी भी नहीं मिली और देश गहरे खाद्यान्न संकट से गुजर रहा था। भारत उस समय विदेशों से गेहूं, चावल और दालों के अलावा अन्य कई अनाजों को आयात करता था। ऐसे समय में एमएस स्वामीमनाथन से फसलों की नई नई किस्में का अविष्कार करके भारत खाद्यान्न के मामले आत्मनिर्भरता प्रदान करने बड़ी भूमिका अदा की थी आज भारत विदेशों को अनाज निर्यात करने में सक्षम हो चुका है। आज जब फिर से पूरी दुनिया मिलेट्स पर जोर दे रही है, तब स्वामीनाथन का सम्मान कर पीएम मोदी ने किसानों और कृषि वैज्ञानिकों के साथ-साथ शोधकर्ताओं का भी मनोबल बढ़ाया है और उन्हें सबका साथ, सबका विकास की परिभाषा में समेटने की कोशिश को साकार किया है।

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