MP News: मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सत्ता में वापसी को तीन हफ्ते गुजर गए हैं, लेकिन अभी तक यह तय नहीं हुआ है कि कौन सा मंत्री किस विभाग की कमान संभालेगा। पार्टी ने पहले मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा में देरी की और फिर मंत्रियों के चयन में लंबा वक्त लिया। अब मंत्रियों के विभाग वितरण के लिए भी जद्दोजहद चल रही है, जिससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या डॉ मोहन यादव की कैबिनेट में बड़े नाम वाले मंत्री होने के कारण पार्टी को उनके कद के हिसाब से मंत्रालय देने में मुश्किल आ रही है?
बड़े नेताओं को एडजस्ट करना है चुनौती!
सूत्रों ने बताया कि कई बड़े नेता अपने समर्थक मंत्रियों के लिए हाई प्रोफाइल मिनिस्ट्री की मांग सीएम डॉ मोहन यादव और बीजेपी संगठन से कर रहे हैं। दरअसल मंत्रिमंडल विस्तार के बाद अभी तक मंत्रालयों का बंटवारा नहीं हो सका है, इसका कारण हैं गृह, परिवहन, नगरीय प्रशासन और आबकारी जैसे महकमे, जो हाई प्रोफाइल माने जाते हैं। इन विभागों को लेकर बड़े नेता कोशिश में जुटे हुए हैं। वहीं इस बार बीजेपी के कई बड़े नेता विधानसभा का चुनाव लड़े और जीते हैं तो बीजेपी की मुश्किलें और बढ़ी हुई हैं। इस बीच बीजेपी संगठन के लिए कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद सिंह पटेल और राकेश सिंह के लिए कद के हिसाब से मंत्रालय तय करने में भी मुश्किल आ रही है।
असली मारामारी मलाईदार मंत्रालयों को लेकर
26 दिसंबर को मंत्रियों द्वारा शपथ लेने के तीसरे दिन भी उन्हें विभागों का आवंटन नहीं हो पाया है। वैसे खबर है कि सीएम डॉ मोहन यादव और प्रदेश संगठन ने मंत्रियों के विभाग तय करके अंतिम सहमति के लिए सूची दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व के पास भेज दी है। अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व ही लेगा। असली मारामारी गृह, वित्त, परिवहन, नगरीय प्रशासन, आबकारी, लोक निर्माण विभाग जैसे मलाईदार मंत्रालयों को लेकर है।