हरियाणा सरकार ने युद्ध में हताहत होने वाले सैनिक परिवारों के सदस्यों को दी जाने वाली सहायता और नौकरी के फैसले की नीति में अभूतपूर्व बदलाव किया है। प्रदेश सरकार अब रक्षा अधिकारियों, गृह मंत्रालय द्वारा सशस्त्र बल या केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के सदस्य के किसी भी ऑपरेशन में हताहत होने पर उनके आश्रितों को अनुकंपा आधारित नौकरी प्रदान करेगी।
अभी तक यह नीति युद्ध से हताहत होने वाले सैनिकों के परिवार के सदस्यों पर ही लागू होती थी। लेकिन मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में फैसला लिया गया कि किसी भी ऑपरेशन या युद्ध के दौरान आईआईडी विस्फोट, आतंकवादी घटना, उग्रवादी हमला, सीमा पर झड़प, एमटी कार्डिएक अरेस्ट, हवाई दुर्घटना और प्राकृतिक आपदाओं में असाधारण साहस का प्रदर्शन करते हुए बलिदान हुए सैनिकों के परिजनों को भी अनुकंपा आधारित नौकरियां प्रदान की जाएंगी।
संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में वास्तविक आधिकारिक कर्तव्यों के प्रदर्शन के दौरान विभिन्न प्रकार की दुर्घटनाओं में शहीद होने वाले आश्रितों को भी राज्य सरकार की इस योजना का लाभ मिलेगा। देश की सेनाओं में हर दसवां सैनिक हरियाणा से है। केवल 1.3 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्रफल और देश की दो प्रतिशत आबादी वाला हरियाणा सशस्त्र बलों की कुल ताकत में लगभग 10 प्रतिशत का योगदान देता है।
बच्चों व भाई-बहनों को भी मिल सकेंगी
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बताया कि अब अनुकंपा नियुक्ति नीति के पात्र परिवार के सदस्यों की परिभाषा को भी बढ़ाया गया है। संशोधित नीति के तहत अनुकंपा नियुक्ति के प्रयोजन के लिए युद्ध से हताहत के परिवार में पति-पत्नी शामिल हैं। यदि पति या पत्नी नियुक्ति नहीं चाहते हैं तो विवाहित या अविवाहित बच्चों में से एक को लाभ दिया जा सकता है। इसमें कानूनी रूप से गोद लिए गए बच्चे भी शामिल किए गए हैं। बशर्ते कि मृत सैनिक एवं युद्ध में हताहत व्यक्ति ने जीवित अवस्था में ही बच्चा गोद लिया हो। यदि युद्ध में हताहत व्यक्ति अविवाहित था तो उसके माता-पिता की सहमति से ही अविवाहित या विवाहित भाई या अविवाहित बहन या जिसके लिए माता-पिता और अन्य अविवाहित बहनों और भाइओं द्वारा सहमति दी जाती है, उसे नीति का लाभ दिया जाएगा।