After death experience: मरने के बाद इंसान की आत्मा के साथ क्या होता है वह कहां चला जाता है इसका आज तक रहस्य बना हुआ है। लेकिन डॉक्टर जेफरी लॉन्ग ने ‘मृत हुए एक शख्स ने बेहद चौंका देने वाले खुलासे किए है। लॉन्ग ने यह दावा भी किया है कि उन्होंने इस तरह के 5000 से ज्यादा केस पर रिसर्च की है। नियर डेथ एक्सपीरियंस में व्यक्ति की चेतना उसके शरीर से अलग हो जाती है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति यह सुन और देख सकता है कि उसके आसपास क्या हो रहा है। कुछ लोगों ने यह भी कहा कि वे दूसरे लोक में चले गए थे, जहां उनका स्वागत उनके ही मृत प्रियजनों ने किया। इस दौरान काफी शांति औक प्रेम जैसी भावना महसूस होती है। उन्हें ऐसा लगता है कि जैसे मौत के बाद मिलने वाला घर ही उनका असली घर है।
‘नियर डेथ एक्सपीरियंस’ से जुड़े कई राज खोले
क्या मौत के बाद भी कोई जिंदगी होती है? यह सवाल कभी न कभी तो हर किसी के मन में आता है। ज्यादातर लोग यह मानते हैं कि मरने के बाद इंसान के कर्मों का हिसाब होता है, जिसके बाद यह तय होता है कि उसे स्वर्ग में जाना है या नर्क में। एक डॉक्टर जेफरी लॉन्ग ने ‘नियर डेथ एक्सपीरियंस’ से जुड़े कई राज खोले हैं। लॉन्ग ने यह दावा भी किया है कि उन्होंने इस तरह के 5000 से ज्यादा केस पर रिसर्च की है। अपने अनुभवों के आधार पर जेफरी लॉन्ग ने कहा कि मौत के बाद भी एक जिंदगी होती है।
45 प्रतिशत मरीज NDE के दौरान मौत के बाद भी चीजें महसूस करते रहते हैं
नियर डेथ एक्सपीरियंस से जुड़े मामलों पर रिसर्च करते हुए साल 1998 में ‘नियर डेथ एक्सपीरियंस रिसर्च फाउंडेशन’ की स्थापना की थी। डॉ. लॉन्ग के रिसर्च से यह संकेत मिलते हैं कि नियर डेथ एक्सपीरियंस के दौरान जब कोई व्यक्ति मौत की आगोश में जाता है, तो भी वह भावनाएं महसूस करता है और दूसरों की बातचीत को सुनता है। उन्होंने एक उदाहरण देकर बताया कि एक महिला अपना शरीर छोड़ चुकी थी, तो भी वह बहुत कुछ महसूस कर रही थी। जेफरी ने बताया कि लगभग 45 प्रतिशत मरीज NDE के दौरान मौत के बाद भी चीजें महसूस करते रहते हैं, सुनते और देखते रहते हैं।
मरने के बाद काफी शांति और सुकून महसूस होता
मौत के नजदीक जाने वाले लोगों ने महसूस किया कि उन्हें मौत के बाद एक सुरंग से ले जाया जाता है। इस दौरान उन्हें एक रोशनी भी दिखाई देती है। कई लोगों ने अपने प्रिय मृत लोगों से या पालतू जानवरों से मिलने की भी बात भी कही और यह भी बताया कि मरने के बाद काफी शांति और सुकून महसूस होता है। नियर डेथ एक्सपीरियंस से जुड़े केस में वह लोग शामिल हैं, जो या तो कोमा में है या फिर क्लिनिकली डेड घोषित कर दिए गए हैं। यानी ऐसे लोगों की दिल की धड़कन रुक जाती है। लेकिन वे फिर भी सुनते, देखते और भावनाओं को महसूस करते हैं और बाकी लोगों से बातचीत करते हैं।
मौत को लेकर किसी का एक जैसा अनुभव नहीं था
डॉक्टर जेफरी लॉन्ग ने जब ‘नियर डेथ एक्सपीरियंस रिसर्च फाउंडेशन’ की स्थापना की थी, तब ऐसे लोगों के अनुभव इकट्ठे करने शुरू कर दिए थे, जिन्होंने नियर डेथ एक्सपीरियंस को फील किया है। उन्होंने बताया कि हर किसी का नियर डेथ एक्सपीरियंस अलग-अलग था। मौत को लेकर किसी का एक जैसा अनुभव नहीं था।
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