Golu Devta Temple: भारत में कई रहस्यमयी और अद्भुत मंदिर हैं। इन्हीं में एक है गोलू देवता का यह रहस्यमी मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा क्षेत्र में स्थित है, जोकि न्याय दिलाने के लिए काफी प्रसिद्ध है। ऋग्वेद में उत्तराखंड को देवभूमि कहा गया है। ऐसी भूमि जहां देवी-देवता निवास करते हैं। हिमालय की गोद में बसे इस सबसे पावन क्षेत्र को मनीषियों की पूर्ण कर्म भूमि कहा जाता है। उत्तराखंड में देवी-देवताओं के कई चमत्कारिक मंदिर हैं। इन मंदिरों की प्रसिद्धि भारत ही नहीं बल्कि विदेशों तक फैली हुई है। इन्हीं में से एक मंदिर गोलू देवता का भी है। गोलू देवता को स्थानीय मान्यताओं में न्याय का देवता कहा जाता है।
स्टाम्प पेपर में अपनी मनोकामना लिखकर न्याय मांगते हैं
इस मंदिर परिसर में भक्तों की भीड़ और लगातार गुंजती घंटों की आवाज से ही गोलू देवता की लोक प्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है।इस मंदिर में ऐसे भक्त आते हैं, जिन्हें न्याय नहीं मिल पाता या न्याय मिलने में देरी होती है। जो लोग कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाकर परेशान हो जाते हैं। लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिलता वो भक्त यहां स्टाम्प पेपर में अपनी मनोकामना लिखकर न्याय मांगने के लिए आते हैं। चितई ग्वाल देवता के इस मंदिर में भक्त मनोकामना पूर्ति के लिए चढ़ावे के रूप में यहां घंटियां चढ़ाते हैं और पत्र लिखते हैं। इन्हें शीघ्र न्याय दिलाने वाला देवता कहा जाता है। स्थानीय लोग इन्हें लोक देवता के रूप में भी पूजते हैं. यहां ग्वेल देवता सफेद रंग के घोड़े पर विराजमान हैं और उनके सिर पर सफेद पगड़ी भी। ग्वेल देवता के हाथों में धनुष-बाण हैं।
मंदिर में अनगिनत घंटियां और चिट्ठियां दिखेंगी
इन्हें गोलू देवता, ग्येल देवता, राजवंशी देवता, गौर भैरव, और गोल्ज्यू महाराज आदि जैसे कई नामों से जाना जाता। मान्यताओं में इन्हें महादेव शिव का अवतार भी माना जाता है। आपको यह भी बता दें कि, उत्तराखंड में ग्वेल देवता के एक नहीं बल्कि कई मंदिर हैं।लेकिन चितई ग्लाव मंदिर इन सभी में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। मंदिर पहुंचने पर आपको अनगिनत घंटियां और चिट्ठियां दिखेंगी।
गोलू देवता को शिव और कृष्ण दोनों का अवतार
गोलू देवता को शिव और कृष्ण दोनों का अवतार माना जाता है। उत्तराखंड ही नहीं बल्कि विदेशों से भी गोलू देवता के इस मंदिर में लोग न्याय मांगने के लिए आते हैं। मंदिर की घंटियों को देखकर ही आपको इस बात का अंदाजा लग जाएगा कि यहां मांगी गई किसी भी भक्त की मनोकामना कभी अधूरी नहीं रहती। गोलू मंदिर दिल्ली से 400 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अगर आप इस मंदिर के दर्शन के लिए जाना चाहते हैं तो आपको आनंद विहार से सीधे अल्मोड़ा की बस मिलेगी। इसके अलावा आप पहले दिल्ली से हल्द्वानी भी जा सकते हैं और इसके बाद यहा से अल्मोड़ा के लिए गाड़ी ले सकते हैं। चितई गोलू मंदिर अल्मोड़ा क्षेत्र से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर पिथोरागढ़ राजमार्ग पर स्थित है।