Winter Food: MP के मालवा क्षेत्र में पाया जाने वाला गराङू ठंड के मौसम में पाया जाता है। यह न केवल खाने मे स्वादिष्ट होते है बल्कि इसको खाने से शरीर को लाभ भी पहुंचता है। गराङू खाने से पाचन से जुङी शिकायतें दूर होती है इसमे भरपूर मात्रा में फाइबर पाए जाते हैं, जो आंतो की गंदगी साफ करने में मददगार होते हैं। इसको खाने से पेट से जुङी समस्यायें दूर होती है। इसके अलावा फाइबर होने के कारण ये शरीर में कोलेस्ट्रोल लेवल को भी कम करता है।
गराडू शरीर को कई तरह की बीमारियो से बचाने में मददगार
गराडू में कैल्शियम, आयरन, कॉपर, मैग्नीज, फॉस्फोरस आदि तत्व अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं। ये सभी तत्व आपको सेहतमंद रखने और शरीर को कई तरह की बीमारियो से बचाने में मददगार होते हैं। कैल्शियम की मात्रा ज्यादा होने के कारण शरीर की इम्युनिटी को बढाता है और हड्डीयों-दातों को भी मजबूत बनाता है। इसके सेवन से शरीर में व्हाइट ब्लड सेल्स की भी मात्रा बढ़ती हैं, जो शरीर के चोट और घाव को भी जल्दी भरने में मदद करता है।
कंद प्रजाती के होते
आपको बता दें, गराड़ू मुख्य रूप से अफ़्रीका और एशिया में उगाया जाता है। यह कंद प्रजाती के होते हैं, इसको उगाने के लिए विशेष तरह की जलवायु ज़रूरी मानी जाती है और जलवायु परिवर्तन से इसके स्वाद में फ़र्क़ आता है। इसलिए भारत में इसे मालवा के भी विशेष क्षेत्र में उगाया जाता है। गर्मी के मौसम में इसकी खेतों में बुवाई होती है और ठंड के मौसम नवंबर से फरवरी माह तक इसे बाहर निकाला जाता है। इसको खाने से शरीर में गर्माहट पहुंचती है इसलिए इसे ठंड के मौसम में खाते हैं और गराडू को मध्यप्रदेश मे “ठंड के राजा” नाम से भी जाना जाता है।
जिले में यहां हो रहा उत्पादन
मालवा की हृदय स्थली रतलाम में तीन दशक पहले खेतलपुर के प्रगतिशील किसान रामचंद्र धाकड़ ने गराडू उत्पादन की शुरुआत की थी। वर्तमान में खेतलपुर सहित बांगरोद, शंकरगढ़, धमोत्तर, अम्बोदिया, रत्तागढ़खेड़ा, आलनिया, रूपाखेड़ा, मांगरोल आदि स्थानों पर सैकड़ों किसान गराडू का उत्पादन कर रहे हैं।