Wednesday, July 30, 2025
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चीताें का जल्द हाेगा नामकरण, इंटरनेट मीडिया पर लाेग सुझा रहे नाम

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ग्वालियर ।  कूनाे नेशनल पार्क में चीताें की आमद हाे चुकी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र माेदी ने आज तीन चीताें काे बड़े बाड़े में छाेड़ा, जबकि बाकी पांच चीताें काे छाेटे बाड़े में रखा गया है। अब लाेगाें काे बेसब्री से इनके नामकरण का इंतजार है। जिम्मेदार अफसर भी जल्द ही नामकरण की बात कर रहे हैं। हालांकि इंटरनेट मीडिया पर अभी से चीताें के नामकरण काे लेकर कयासाें का दाैर शुरू हाे गया है। नामीबिया से चीते भारत की सरजमीं पर आ चुके हैं। चीताें के लिए ये माहाैल पूरी तरह से अलग है, ऐसे में वह कुछ सहमे-सहमे नजर आ रहे हैं। अभी माहाैल में एडजेस्ट हाेने में उनकाे कुछ समय लगेगा, इसी वजह से चीताें काे फिलहाल आमजन नहीं देख सकेंगे। खबर है कि करीब तीन माह तक चीताें काे क्वारंटाइन बाड़े में रखा जाएगा। चीताें काे भले ही लाेग अभी केवल टीवी या इंटरनेट मीडिया पर ही देख सके हैं, लेकिन जल्द ही लाेग चीताें का दीदार कर सकेंगे। उधर इंटरनेट मीडिया पर चीताें के नामकरण काे लेकर चर्चाओं का दाैर शुरू हाे गया है। लाेग नाम काे लेकर अपने-अपने सुझाव भी दे रहे हैं। किसी का कहना है कि नामीबिया से चीते आए हैं, इसलिए इनका नाम भी कुछ स्टाइलिश हाेना चाहिए, ऐसे लाेग चीताें के नाम रैंबाे, राकी और जैकी जैसे सुझा रहे हैं। वहीं स्वदेशी लाेगाें का कहना है कि चीते अब भारत आ चुके हैं, इसलिए उनका नाम भी भारतीय ही हाेना चाहिए। ऐसे में लाेग राजा, सुल्तान जैसे नाम दे रहे हैं। हालांकि विभागीय सूत्राें की माने ताे नामकरण ताे हाेगा, लेकिन अभी इसमें कुछ समय लगना है। आमताैर पर जब तक वन्य जीव काे क्वारंटाइन जाेन में रखा जाता है, उनका नामकरण नहीं हाेता है। जब वह खुले मैदान में आमजन के सामने आते हैं, तब उनका नामकरण किया जाता है। ऐसे में अभी नामकरण में कुछ समय लग सकता है।

भारत और सिंगापुर के बीच राउंटटेबल मीटिंग नई दिल्ली में जारी

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भारतीय और सिंगापुर के बीच मंत्रीस्तरीय राउंडटेबल नई दिल्ली में जारी है। इस राउंडटेबल बैठक में दोनों देशों के वित्त मंत्री, विदेश मंत्री और वाणिज्य मंत्री शामिल हैं। इस राउंडटेबल मीटिंग में सिंगापूर के डिप्टी पीएम वोंग भी मौजूद हैं।इस दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ट्वीट कर कहा है कि इस राउंडटेबल कान्फ्रेंस में सिंगापुर की ओर से लॉरेंस वोंग, विवियन बालकृष्णन, गैन किम और एस ईश्वरन शामिल हुए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की ओर से इस कार्यक्रम में उनके अलावा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने भाग लिया।

प्रधानमंत्री के जन्मदिवस पर मानवता सेवा, संकल्प के हुए विभिन्न कार्यक्रम

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भोपाल : प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के जन्मदिवस पर राजभवन में नि:शुल्क स्वास्थ्य परीक्षण शिविर लगाया गया। शिविर का आयोजन राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल के निर्देश पर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान भोपाल के द्वारा किया गया था। शिविर में मेडिसिन, स्त्री रोग विशेषज्ञ, शिशु रोग विशेषज्ञ, दंत रोग विशेषज्ञ और सिकल सेल एनीमिया रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा 165 व्यक्तियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया।

राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने प्रधानमंत्री जी के जन्मदिवस के अवसर पर समाज में पीड़ित मानवता के सेवा संकल्प की मजबूती और प्रेरणा के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करवाया है। भारतीय रेडक्रास सोसायटी की राज्य, विभिन्न जिला एवं उप शाखाओं में रक्तदान स्वास्थ्य शिविर लगाए गए हैं। राज्यपाल श्री पटेल द्वारा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में उपचाराधीन सात रोगियों को 4 लाख 72 हजार रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की गई। इसी क्रम में राजभवन के सांदीपनि सभागार में आयोजित स्वास्थ्य परीक्षण शिविर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान भोपाल के स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. पुष्पलता, सिकल सेल एनीमिया रोग विशेषज्ञ डॉ. सचिन बंसल, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. शिखा मलिक, डॉ. अनीशा रोसिलिन अब्राहम, डॉ. राजकुमार, दंत रोग विशेषज्ञ डॉ. अंशुल राय और मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. रजनीश जोशी के द्वारा स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। शिविर के लाभार्थियों में 100 पुरुष और 65 महिलाएं शामिल हैं। स्वास्थ्य परीक्षण शिविर व्यवस्था का संचालन एवं समन्वय राजभवन के मेडिकल ऑफिसर श्री बी.के. श्रीवास्तव द्वारा किया गया।

वैक्सिंग के समय इन बातों का रखें ध्यान..

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अनचाहे बालों को शरीर से हटाने के लिए सबसे ज्यादा वैक्सिंग को ही पसंद किया जाता है। भले ही वैक्सिंग कराने में दर्द का सामना करना पड़ता हो लेकिन वैक्सिंग से बाल जड़ से निकल जाते हैं। जिससे स्किन स्मूद और सॉफ्ट दिखने लगती है। लेकिन कई बार वैक्सिंग के समय छोटी-छोटी बातों को अनदेखा करने की वजह से मनचाहा रिजल्ट नही मिलता। अगर आप वैक्सिंग के बाद अच्‍छा रिजल्ट चाहती हैं तो इन छोटी बातों का ध्यान जरूर रखें। जिससे कि शरीर के सारे बाल आसानी से निकल जाएं और स्मूद स्किन मिले।
 
बॉडी को अच्छी तरह करे साफ- वैक्सिंग के बाद स्मूद स्किन तभी मिलेगी। जब स्किन पूरी तरह से साफ होगी। वैक्सिंग के पहले उस एरिया को गीले कपड़े या फिर टिश्यू से अच्छी तरह से पोंछकर साफ कर लें। क्योंकि पसीना, धूल-मिट्टी और गंदगी की वजह से वैक्स ठीक तरीके से स्किन पर नहीं लगता। अगर आप चाहती हैं कि वैक्सिंग के नतीजे बेहतर मिले तो स्किन पर टैल्कम पाउडर को लगाएं। इससे आपको वैक्सिंग के बाद स्मूद स्किन मिलेगी। क्योंकि टैल्कम पाउडर की वजह से वैक्स बालों को गहराई से निकालने में मदद करता है।

कितना करें वैक्स का इस्तेमाल- वैसे तो पार्लर में ब्यूटी एक्सपर्ट को अच्छे से पता होता है कि कितनी मात्रा में वैक्स लेने से वैक्सिंग हो जाएगी। लेकिन आमतौर पर लड़कियां जब घऱ में वैक्स करती हैं तो उन्हें नहीं पता होता कि कितनी वैक्स को एक बार में बॉडी पर लगाया जाना चाहिए। हमेशा वैक्स की बिल्कुल पतली परत स्किन पर लगानी चाहिए। जिससे कि ये पूरी तरह से चिपक जाए और बाल आसानी से निकल जाएं। अगर आप ज्यादा वैक्स को ज्यादा मात्रा में लगा लेंगे तो इससे बाल अनइवन निकलेंगे। और स्किन पर पूरा वैक्स लग जाएगा। जिससे आगे की वैक्स करने में दिक्कत होगी।

वैक्स का तापमान हो सही- वैक्सिंग करते समय वैक्स का तापमान काफी ज्यादा असर करता है। अगर वैक्स का तापमान कमरे के तापमान से कम होगा तो वैक्स सही तरीके से शरीर से चिपकेगा नहीं और ना ही बालों को निकालेगा। वहीं अगर वैक्स ज्यादा गर्म होगा तो बॉडी जल जाएगी। इसलिए वैक्स को पहले अच्छी तरह से गर्म कर पिघला लें। फिर इसे पांच से छह मिनट में कमरे के तापमान के हिसाब से कर लें और फिर इसे बॉडी पर अप्लाई करें। इससे सारे बाल आसानी से निकल जाएंगे। 

सही तरीके से निकाले स्ट्रिप- वैक्स को बॉड़ी पर लगाने के बाद इसे सही तरीके से निकालना भी जरूरी है। इसलिए जब भी वैक्स को बॉडी पर लगाएं तो स्ट्रिप को काफी समझदारी के साथ निकालें। हमेशा बालों की अपोजिट साइड में स्ट्रिप को निकालना चाहिए।

गुलाब के फूलों से बनाएं फेस पैक

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फूल अपने एंटीऑक्सिडेंट गुणों के लिए जाने जाते हैं, तभी फूलों का इस्तेमाल स्किन केयर के लिए ही नहीं बल्कि हेल्थ के लिए भी किया जाता है।

शहद और गुलाब : ताजे गुलाब की पंखुड़ियां लें और उन्हें अच्छी तरह धो लें। उन्हें थोड़े से गुलाब जल में 3-4 घंटे के लिए भिगो दें। फिर, भीगी हुई पंखुड़ियों और गुलाब जल को पीसकर एक महीन पेस्ट बना लें। एक बार जब यह तैयार हो जाए, तो इसे बाहर निकालें और 3 बड़े चम्मच डालें। पेस्ट के लिए शहद एक साथ मिलाएं और मिश्रण को 20-30 मिनट के लिए फ्रीज करके ठंडा कर लें। इस फेस पैक को अपनी उँगलियों से मालिश करते हुए त्वचा पर धीरे से लगाएं। 15-20 मिनट बाद इसे धो लें।

कच्चा दूध और गुलाब : ताजे गुलाब की कुछ पंखुड़ियां छीलकर अच्छी तरह धो लें। इसके बाद पंखुड़ियों का पेस्ट बनाएं। इस पेस्ट में दो चम्मच डालें। जरूरत के हिसाब से बेसन और कच्चा दूध डालें। पैक तैयार करने के लिए अच्छी तरह मिलाएं। एक बार जब यह तैयार हो जाए, तो इसे अपने चेहरे और गर्दन पर लगाएं और 15-20 मिनट के लिए छोड़ दें। 20 मिनट के बाद इसे धो लें।

चंदन पाउडर और गुलाब : दो ताजे गुलाबों की पंखुड़ियां लें और उन्हें पीसकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट में 1-2 चम्मच चंदन पाउडर और कच्चा दूध मिलाएं। फेस पैक तैयार करने के लिए अच्छी तरह मिलाएं। इसे लगाने के बाद इसे अपने चेहरे पर तब तक लगा रहने दें जब तक कि यह पूरी तरह से सूख न जाए। इसके बाद ही आप इसे धो सकते हैं।

एलोवेरा जेल और गुलाब :  दो ताजे गुलाबों की पंखुड़ियों को मसल लें और दो बड़े चम्मच डालें। इसके लिए एलोवेरा जेल। एक चिकना पेस्ट बनाने के लिए अच्छी तरह मिलाएं। अगर पेस्ट बहुत गाढ़ा है, तो इसमें थोड़ा सा गुलाब जल मिलाएं। दूसरे फेस पैक की तरह, इसे आपके चेहरे और गर्दन पर 20 मिनट के लिए लगाकर रखें और फिर धो दें।

कोकोनट मिल्क और गुलाब : आप इसे कोकोनट मिल्क के साथ भी बना सकते हैं। गुलाब की पंखुड़ियों को पीसकर पेस्ट बना लें। दो चम्मच नारियल का दूध डालें। इसमें आप आधा चम्मच ऑलिव ऑयल भी डाल सकते हैं। इस मिक्सचर को 20 मिनट के लिए चेहरे पर लगा लें। 

प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण में सुरक्षित है हमारा भविष्य : प्रधानमंत्री मोदी

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भोपाल : प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में नेशनल पार्क कूनो में अफीक्रा के नामीबिया से लाये गये चीतों को छोड़ कर देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में चीतों की वापसी से अब जैव विविधता की टूटी कड़ी पुन: जुड़ गई है। भारत की प्रकृति प्रेमी चेतना भी पूरी शक्ति से जाग्रत हो गई है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने राष्ट्रीय अभ्यारण्य में चीतों को छोड़ कर देशवासियों को बधाई और शुभकामनाएँ दीं।प्रधानमंत्री श्री मोदी ने आज दुनिया की पहली बड़े जंगली मांसाहारी जीव की अंतर-महाद्वीपीय स्थानांतरण परियोजना का चीता प्रोजेक्ट के अंतर्गत शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि आज सौभाग्य से हमें दशकों पहले जैव-विविधता की टूटी और विलुप्त कड़ी को जोड़ने का फिर से मौका मिला है।  आज भारत की धरती पर चीता लौट आया है। आजादी के अमृत महोत्सव में देश नई ऊर्जा के साथ चीतों के पुनर्वास के लिए जुट गया है। अमृत में तो वो सामर्थ्य होता है, जो मृत को भी पुनर्जीवित कर देता है। मुझे खुशी है कि आजादी के अमृतकाल में कर्त्तव्य और विश्वास का ये अमृत हमारी विरासत को, हमारी धरोहरों को  और अब चीतों को भी भारत की धरती पर पुनर्जीवित कर रहा है।

चीतों को यहाँ के वातावरण में ढलने के लिये देना होगा समय

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि प्रकृति और पर्यावरण के सरंक्षण में ही हमारा भविष्य सुरक्षित है। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि चीतों को यहाँ के वातावरण में ढ़लने के लिये समय देना है। तब तक हमें धैर्य रखना होगा। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने साथ मध्यप्रदेश के राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, केन्द्रीय वन मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह यादव, केन्द्रीय नागरिक उड्यन एवं इस्पाल मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री अश्विनी चौबे, प्रदेश के वन मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह की गरिमामयी मौजूदगी में लीवर घुमाकर चीतों को छोड़ा गया। मुक्त होते ही चीते सुरक्षा के लिहाज से तैयार किये गये बाड़े में विचरण करने लगे। अंतर्राष्ट्रीय गाइड लाइन के अनुसार क्वारेंटाइन पीरियड खत्म होने के बाद उन्हें जंगल स्वच्छंद विचरण के लिये आजाद किया जायेगा। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने देशवासियों से आग्रह करते हुए कहा कि कूनो नेशनल पार्क में छोड़े गए चीतों को देखने के लिए देशवासियों को कुछ महीने का धैर्य पूर्वक इंतजार करना होगा। चीते हमारे मेहमान बनकर आए हैं, इस क्षेत्र से अनजान हैं। कूनो नेशनल पार्क को ये चीते अपना घर बना पाएँ,  इसके लिए हमें इन चीतों को कुछ महीने का समय देना होगा। अंतर्राष्ट्रीय गाइडलाइन्स का पालन करते हुए कूनो राष्ट्रीय उद्यान में इन चीतों को बसाने के पूरे प्रबंध किये गये हैं। वर्ष 1947 में भारत में सिर्फ 3 चीते शेष थे। शिकार हो जाने से उनका अस्तित्व खत्म हो गया और 1952 में भारत में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया गया। तबसे अब तक देश में फिर से चीतों के पुनर्वास के कोई सार्थक प्रयास नहीं हुए थे। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि भारत की धरती पर चीतों के पुनर्वास के लिये नामीबिया, साउथ अफ्रीका सहित भारत के वैज्ञानिकों और विषय-विशेषज्ञों के शोध के बाद तैयार विस्तृत चीता एक्शन प्लान को परिणाम मूलक बनाया गया।

ईको सिस्टम पुनर्जीवित होगा

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि विकास और समृद्धि के लिये प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण भी जरूरी है। इसी से हमारा भविष्य भी सुरक्षित होता है। दुनिया जब प्रकृति और पर्यावरण की ओर देखती है तो सस्टेनेबल डेवलपमेंट की बात करती है। हमारे लिये प्रकृति, पर्यावरण, पशु-पक्षी सिर्फ सस्टेनेबिलिटी और सिक्युरिटी न होकर सेन्सीबिलिटी और स्प्रिच्युलिटी के आधार भी है। आज सौभाग्य से हमारे सामने एक ऐसा ही क्षण है। उन्होंने कहा कि कूनो नेशनल पार्क में जब चीते फिर से दौड़ेंगे तो मैदानी ईको-सिस्टम फिर से पुनर्जीवित होगा, जैव विविधता बढ़ेगी, ईको-टूरिज्म बढ़ेगा, विकास की नई संभावनाएँ जन्म लेंगी और क्षेत्रवासियों के लिये रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

गत 8 वर्ष में जुड़े 250 नये संरक्षित वन क्षेत्र

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि आज 21वीं सदी का भारत, पूरी दुनिया को संदेश दे रहा है कि ईकॉनॉमी और ईकॉलॉजी परस्पर विरोधाभासी नहीं है। वर्ष 2014 के बाद देश में करीब ढाई सौ नए संरक्षित क्षेत्र जोड़े गए हैं। वन क्षेत्र का निरंतर विस्तार हो रहा है। पर्यावरण की रक्षा के साथ ही, देश की प्रगति भी हो सकती है, ये भारत ने दुनिया को करके दिखाया है। आज हम विश्व की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि हमारे यहाँ एशियाई शेरों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। गुजरात देश में एशियाई शेरों का बड़ा क्षेत्र बनकर उभरा है। देश में टाइगर की संख्या को दोगुना करने का लक्ष्य हमने तय समय से पहले हासिल किया है। असम में आज एक सींग वाले गैंडो की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है, जिनका एक समय अस्तित्व खतरे में आ गया था। हाथियों की संख्या भी बढ़ कर पिछले वर्षों में 30 हजार से ज्यादा हो गई है। आज देश में 75 वेटलेंडस को रामसर साइट्स के रूप में घोषित किया गया है, जिनमें 26 साइट्स पिछले 4 वर्ष में ही जोड़ी गई हैं। देश के इन प्रयासों का प्रभाव आने वाली सदियों तक दिखेगा और प्रगति के नए पथ प्रशस्त करेगा।

फोटोग्राफी और चीता मित्रों से किया संवाद

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भारत भूमि पर 70 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद पुर्नस्थापित किये जाने वाले चीतों की मुक्ति के एतिहासिक पलों को अपने कैमरे से कैद किया। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने चीतों की सुरक्षा के लिये तैनात किये गये चीता मित्रों से संवाद भी किया। चीतों की सुरक्षा के लिये आसपास के 10 गाँव के 457 चीता मित्र तैनात किये गये हैं।

रेस्टोरेंट स्टाइल में घर पर बनाएं दही के शोले

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आपने रेस्टोरेंट में तो कई बार दही के शोले ट्राई किए होंगे लेकिन क्या आपने इसे घर में बनाना ट्राई किया है? अगर नहीं, तो आइये रेस्टोरेंट स्टाइल में घर पर बनायें दही के शोले की आसान सी रेसिपी….   

सामग्री- 
1/2 कप दही 
3 बड़े चम्मच कटा हुआ प्याज
1/2 छोटा चम्मच गरम मसाला पाउडर
1 छोटा चम्मच सूखे आम का पाउडर
3 बड़े चम्मच धनिया पत्ती
1 कप पनीर
3 बड़े चम्मच कटी हुई शिमला मिर्च (हरी मिर्च)
1 छोटा चम्मच लाल मिर्च पाउडर
आवश्यकता अनुसार नमक
6 स्लाइस ब्रेड स्लाइस

दही के शोले बनाने की विधि- 
एक कटोरी लें। उसमें पनीर और दही डालें। अब इसमें कटा हुआ प्याज, शिमला मिर्च, नमक, लाल मिर्च पाउडर, गरम मसाला, अमचूर और हरा धनिया डालें। मिश्रण तैयार करने के लिए अच्छी तरह मिलाएं। अब ब्रेड स्लाइस लें और किनारों को काट लें। एक रोलिंग पिन का प्रयोग करें और ब्रेड स्लाइस को एक चीज शीट में रोल करें। अब ब्रेड स्लाइस के बीच में 1-2 टेबल स्पून स्टफिंग डालें और सभी किनारों को एक साथ लाएं। पानी की कुछ बूँदें डालें और एक छोटी गेंद बनाएं। गेंद को सील करने के लिए धीरे से दबाएं। ऐसे ही और स्टफ्ड बॉल्स बना लीजिए। अब एक कढ़ाई में तेल गर्म करें और उसमें स्टफ्ड बॉल्स डाल दें इन्हें गोल्डन ब्राउन होने तक डीप फ्राई करें। क्रिस्पी होने पर इन्हें प्लेट में निकाल लीजिए और आप इन्‍हें किसी भी चटनी के साथ सर्व कर सकते हैं। 

DRDO में सीनियर टेक्निकल असिस्टेंट सहित 1901 पदों पर निकली भर्ती

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रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने कार्मिक प्रतिभा प्रबंधन केंद्र, में सीनियर टेक्निकल असिस्टेंट B और टेक्निकल A के पदों को भरने के लिए आवेदन मांगे हैं। योग्य उम्मीदवार जो इन पदों के लिए अप्लाई करना चाहते हैं, वे DRDO की ऑफिशियल वेबसाइट drdo.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।

आवेदन की शुरुआती तारीख : 3 सितंबर 2022
आवेदन की आखिरी तारीख : 23 सितंबर

कुल पदों की संख्या- 1901
सीनियर टेक्निकल असिस्टेंट-बी: 1075 पद
टेक्नीशियन-ए: 826 पद

योग्यता
सीनियर टेक्निकल असिस्टेंट-बी: AICTE द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थान से साइंस में ग्रेजुएशन की डिग्री या इंजीनियरिंग या प्रौद्योगिकी या कंप्यूटर विज्ञान या संबद्ध विषयों में डिप्लोमा होना चाहिए।
तकनीशियन- ए: किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड या संस्थान से 10वीं कक्षा पास या समकक्ष परीक्षा पास होना चाहिए। साथ ही मान्यता प्राप्त संस्थान से ITI सर्टिफिकेट प्राप्त होना चाहिए।

आयु सीमा
उम्मीदवारों की उम्र 18 से 28 वर्ष के बीच होनी चाहिए।

सैलरी
सीनियर टेक्निकल असिस्टेंट-बी: पे मैट्रिक्स लेवल-6 के तहत 35400-112400 रुपये
तकनीशियन-ए: पे मैट्रिक्स लेवल -2 के तहत 19900-63200 रुपये

सिलेक्शन प्रोसेस
सीनियर टेक्निकल असिस्टेंट-बी: टीयर- I (सीबीटी)-स्क्रीनिंग टेस्ट; टियर- II (सीबीटी) – चयन परीक्षा
तकनीशियन-ए: टीयर- I (सीबीटी) – चयन परीक्षा; टियर- II – ट्रेड / स्किल टेस्ट

ऐसे करें आवेदन

ऑफिशियल वेबसाइट drdo.gov.in. पर क्लिक करें। " DRDO CEPTAM link" लिंक पर क्लिक करें। एक नया पेज खुलेगा जहां उम्मीदवारों को आवेदन लिंक मिलेगा। उस पर क्लिक करें और जरूरी डिटेल्स दर्ज करें। आवेदन फॉर्म भरें और आवेदन फीस का भुगतान करें। अब सबमिट पर क्लिक करें। कंफर्मेशन पेज डाउनलोड करें और आगे की जरूरत के लिए एक हार्ड कॉपी रख लें।

बेली फैट कम करने के असरदार टिप्स

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बेली और थाई फैट को कम करने के लिए आपके लुक को पूरी तरह से खराब कर देते हैं। पेट पर जमा एक्सट्रा फैट टाइप -2 डायबिटीज और दिल की समस्याओं जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। अपने बैली फैट से छुटकारा पाने के लिए, हेल्‍दी डाइट के साथ एक्‍सरसाइज भी बेहद जरूरी है। ज्यादातर लोग वजन कम करने के लिए काफी कोशिश करते हैं, लेकिन फिर भी जिद्दी बैली फैट कम नहीं होता।

सही कार्ब्स लें : वेट लॉस के दौरान एक्सरसाइज करने के लिए आपको एनर्जी की सबसे ज्यादा जरुरत होती है, ऐसे में कार्ब्स आपको एनर्जी देते हैं। लेकिन सही कार्ब्स लेना जरूरी है। शक्कर, पास्ता, ब्रेड से मिलने वाले कार्ब्स से बचें, क्योंकि इनकी वजह से वजन बढ़ सकता है।

मीठा खाने से बचें : शरीर में जगह-जगह पर फैट जमा होने का कारण शुगर का ज्यादा सेवन है। स्टार्च और कार्बोहाइड्रे युक्त चीजो को खाने से इंसुलिन रिलीज होता है। ऐसे में जितनी ज्यादा शक्कर आप खाते हैं, उतना ही शरीर में इंसुलिन रिलीज होता है। इसलिए मीठा खाने से बचें।

कैलोरी पर दें ध्यान :  अगर आप वजन कम करने की योजना बना रही हैं तो आपको अपने खान-पान पर नजर रखनी होगी। आप दिनभर में क्या खा रहे हैं इस पर ध्यान दें। हेल्दी डायट और पोर्शन कंट्रोल पर ध्यान देने से आप अधिक कैलोरी खाने से खुद को बचा सकते हैं।

पानी की मात्रा पर दें ध्यान : चर्बी कम करने के लिए मेटाबॉलिज्म का फास्ट होना जरूरी है। अगर बॉडी सही तरह से हाइड्रेटेड होती है तो मेटाबॉलिज्म फास्ट होता है। पानी से आपका पेट भरा रहता है, यह बार-बार भूख लगने की आदत को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा ये शरीर से एक्सट्रा सोडियम को बाहर निकालने में मदद करता है।  

प्रोटीन करें शामिल : बेली फैट को कम करने के लिए डायट में ज्यादा से ज्यादा प्रोटीन को शामिल करने की सलाह दी जाती है। फैट कम करने के लिए प्रोटीन काफी मददगार होता है।

अभिनेता रणवीर शौरी के पिता के.डी. शौरी का हुआ निधन

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अभिनेता रणवीर शौरी के पिता कृष्ण देव शौरी का शुक्रवार रात, 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। अभिनेता ने शनिवार को ट्विटर पर अपने दिवंगत पिता की एक तस्वीर साझा कर इस बात की जानकारी दी है। अभिनेता ने सोशल मीडिया पर अपने पिता की एक तस्वीर साझा करते हुए, रणवीर ने लिखा, “मेरे प्यारे पिता, कृष्ण देव शौरी, कल रात 92 साल की उम्र में चले गए। उस समय उनके साथ उनके बच्चे और पोते-पोतियां सब थे। वह अपने पीछे अद्भुत यादें और कई प्रशंसक छोड़ गए हैं। मैंने अपनी प्रेरणा और सुरक्षा का सबसे बड़ा स्रोत खो दिया है।"

रणवीर के दोस्तों और इंडस्ट्री के सहयोगियों के साथ-साथ प्रशंसकों ने भी पोस्ट पर अपनी संवेदनाएं भेजीं। कृष्ण देव शौरी, केडी शौरी के नाम से प्रसिद्ध थे। वह एक फिल्म निर्माता भी थे। उन्होंने 1970 और 80 के दशक में जिंदा दिल, बे-रहम, बद और बदनाम जैसी फिल्मों का निर्माण किया था। इसके अलावा, उन्होंने 1988 की फिल्म महा-युद्ध का निर्देशन किया भी था, जिसमें गुलशन ग्रोवर, मुकेश खन्ना, कादर खान और परेश रावल जैसे कलाकार थे। उन्होंने अपनी दो फिल्मों में बतौर जज कैमियो भी किया था।

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