Sunday, September 8, 2024
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अपनी छोड़ सारे जहां की चिंता कर भोपाल के विद्यार्थी ने जीता पीएम मोदी का मन

 भोपाल ।   'खुदगर्ज दुनिया में ये इंसान की पहचान है, जो पराई आग में जल जाये वो इंसान है, अपने लिये जिये तो क्या जिये, तू जी ऐ दिल ज़माने के लिये।' बादल फिल्म में मन्ना डे का यह गीत राजधानी के दीपेश अहिरवार के सोच पर सटीक बैठता है। दीपेश ने अपने इसी सोच से साथियों की फिक्र की और प्रधानमंत्री से परीक्षा पे चर्चा के दौरान पूछा कि हम इंस्टाग्राम और अन्य इंटरनेट मीडिया की इस दुनिया में अपना ध्यान भटकाए बिना अपनी पढ़ाई पर ध्यान कैसे केंद्रित करें? जबकि दीपेश के पास खुद मोबाइल फोन नहीं है। उसका मानना था कि भले उसके पास मोबइल फोन नहीं है, लेकिन उसके दोस्त और वे तमाम विद्यार्थी जो इस समय परीक्षा की तैयारी में जुटे हैं, वो अधिकांश समय मोबाइल पर रील बनाने और चैट करने में व्यतीत करते हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री जी द्वारा दी गई सीख उन सभी विद्यार्थियों के लिए बेहद उपयोगी होगी और परीक्षा के समय इस गैरजरूरी व्यस्तता से उनका मन भटकने से बचेगा। दीपेश के इसी सोच ने चयनकर्ताओं का और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का दिल जीत लिया।

पिता ने भी जब फोन नहीं उठाया तो स्कूल पहुंची पीएमओ की टीम

प्रधानमंत्री के 'परीक्षा पे चर्चा' कार्यक्रम के लिए जब नई दिल्ली से प्रधानमंत्री कार्यालय की टीम छात्र दीपेश अहिरवार का वीडियो शूट करने के लिए राजधानी पहुंची तो उससे संपर्क ही नहीं हो पाया। दीपेश के पिता दलमन अहिरवार मजदूरी करते हैं और टीम के पास जो मोबाइल नंबर था वह दीपेश के पिता का था। टीम ने जब उस नंबर पर संपर्क किया तो उसके पिता काम के दौरान फोन नहीं उठा सके। इसके बाद टीम दीपेश से मिलने उसके स्कूल शासकीय उमावि अहमदाबाद, कोहेफिजा पहुंची। जब टीम ने स्कूल प्राचार्य को बताया कि आपके विद्यार्थी का चयन प्रधानमंत्री से सवाल पूछने के लिए किया गया तो सभी आश्चर्यचकित रह गए और टीम के सदस्य भी इस बात से चकित हुए कि छात्र ने इंटरनेट मीडिया आधारित सवाल पूछा है और उसके पास तो मोबाइल भी नहीं है। टीम की इस जिज्ञासा का समाधान करते हुए दीपेश ने बताया कि मेरे पास स्मार्टफोन नहीं है, इसके चलते कोविड काल में आनलाइन कक्षा नहीं कर पाता था, लेकिन आजकल बच्चों को अक्सर इंस्टाग्राम पर रील बनाते और इंटरनेट मीडिया पर चैटिंग करते देखता हूं, तब लगता है इनसे ध्यान भटकने से कैसे रोका जाए? इस कारण मुझे लगा कि प्रधानमंत्री द्वारा दी गई सीख से बच्चे प्रेरित होंगे और उसका सही उपयोग करेंगे, इसलिए सबके लाभ के लिए प्रधानमंत्री से यह सवाल पूछना चाहता हूं।

स्कूल प्रबंधन ने उपलब्ध कराया ब्लेजर और टाई

पिता मजदूरी करके बमुश्किल परिवार का भरण-पोषण करते हैं और बच्चों की पढ़ाई पूरी करवा रहे हैं। ऐसे में कार्यक्रम के लिए ब्लेजर और टाई उपलब्ध करवाना उनके लिए नामुमकिन ही था। इस बात को जानते हुए स्कूल प्रबंधन ने आपस में मिलकर दीपेश के लिए ब्लेजर और टाई का प्रबंध किया। इसके बाद विद्यार्थी का वीडियो शूट हो सका। दीपेश ने कहा कि पहली बार मैं वीडियो शूटिंग का हिस्सा बना और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मेरे सवाल का जवाब दिया। मुझे बहुत अच्छा लगा। 'परीक्षा पे चर्चा' कार्यक्रम का शुक्रवार को लाइव प्रसारण स्कूल में किया गया, जिसमें दीपेश अहिरवार उसी वेशभूषा में शामिल हुआ। कार्यक्रम में चयन के लिए स्कूल के विद्यार्थियों को 300 से 500 शब्दों में निबंध लिखकर आनलाइन मेल करना था। इसमें छात्र दीपेश ने 'मेरी प्रिय किताब' विषय पर निबंध लिखकर भेजा था। जिसका पीएमओ की टीम ने चयन किया था।

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